यात्रा विदेश की, यादें स्वदेश की/ घनश्याम राजकर्णिकार
यात्रा विदेश की, यादें स्वदेश की उद्गार साहित्य के महत्वपूर्ण अंग को एक बड़ा योगदान यात्रा संस्मरण के अनेक महत्व हैं। पाँचवीं और सातवीं शताब्दी के करीब नेपाल और भारत की यात्रा करने वाले चीनी यात्री फाहियान और ह्वेनसांग के यात्रा संस्मरण भी अनेक कारणों से इतिहासकार आज तक याद करते हैं। आज के अन्वेषण, अनुसंधान के युग में ऐसे यात्रासंस्मरण के माध्यम से लोगों को रोचक जानकारी देने के साथ-साथ ज्ञान की सीढ़ी चढ़ने का मात्र न होकर प्रगति पथ पर आगे बढ़ने के लिए आवश्यक प्रेरणा देने का कार्य भी होता है। इसीलिए आज के संदर्भ में यात्रासंस्मरण देश-विदेश के वर्णन में मात्र सीमित न होकर एक मानव की अनुभव-अनुभूति से दूसरे मानव को जानने-समझने की विधा के रूप में भी विस्तृत हो गया है। श्री घनश्याम राजकर्णिकार की प्रस्तुत पुस्तक में समाहित विभिन्न देशों के भ्रमण वृतांत इसी अर्थ में अविस्मरणीय हो गए हैं। इसमें अपने देश की तुलना में विकसित हो चुके देशों के विकास के रहस्य मात्र अभिलिखित नहीं है, बल्कि एक नेपाली बुद्धिजीवी के मन-मस्तिष्क के द्वारा उसमें निहित दुर्गुण, दुर्भावना और दुष्कृतियाँ भी ग्रहण की ग