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अगस्त, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

साना साना हाथ जोड़ि...

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  साना साना हाथ जोड़ि...                                             ---मधु काँकरिया  प्रश्न 1: झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था? उत्तर : गंतोक शहर की एक झलक ने ही लेखिका को सम्मोहित कर लिया था। रात्रि के समय जगमगाते प्रकाश के कारण शहर अत्यंत सुंदर नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे आकाश के सारे तारे नीचे बिखर कर जमीन पर टिमटिमा रहे हैं। तराई में तारों के गुच्छों की झालर-सी लटकती दिखाई दे रही थी। प्रश्न 2: गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया? उत्तर : गंतोक को सुंदर बनाने में यहाँ के श्रमिक वर्ग के साथ-साथ यहाँ के परिश्रमी निवासी, पुरुष-महिला आदि सभीका काफी योगदान है। उन्हीं के श्रम के बल पर सिक्किम और गंतोक को अद्भुत सुंदरता मिली है। इसलिए लेखिका ने गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' कहा है।  प्रश्न 3: कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है? उत्तर : बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा मंदिर, घर अथवा किसी अन्य स्थल पर दो तरह की पताकाएँ फहराई जाती हैं। सफेद झंडे फहराना जहाँ एक ओर श

सिक्किम : कुछ रोचक जानकारियाँ

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  सिक्किम: कुछ रोचक जानकारियाँ 1. भारत को आजादी सन् 1947 में मिली, जबकि सिक्किम 1974 तक अलग देश की पहचान रखता था। सन् 1975 में सिक्किम के प्रधानमंत्री ने भारतीय संसद से अनुरोध किया कि वो भारत का अंग बनना चाहता है, और इसके लिए जो जरूरी कदम हैं, वो उठाए जाएँ। आखिरकार सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का 22वाँ राज्य बना। 2. सिक्किम भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। ये पहाड़ों और वादियों से घिरा हुआ राज्‍य है। सिक्किम में दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी है। 3. बहुतायत: नेपाली मूल के लोगों की जनसंख्या वाला सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहाँ के स्थानीय लोग अलग देश के मूल निवासी हैं। सिक्किम में रहने वाले अधिकतर लोग नेपाली मूल के हैं। 4. छंग यहाँ का स्थानीय मद्य है, जो खास मौके पर पिया जाता है. ये शराब बाँस से बनती है। 5. सिक्किम में हर साल मार्च से मई माह के बीच अंतर्राष्ट्रीय पुष्प महोत्सव का आयोजन होता है। इस छोटे से राज्य में 600 तरह के पुष्प मिलते हैं, जो 240 तरह के पेड़-पौधे. सिक्किम प्राकृतिक रूप से भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। 6. सिक्किम पक्षियों के लिए स्व

तिब्बत के बारे में विस्मित कर देने वाले 25 तथ्य

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तिब्बत के बारे में  विस्मित कर देने वाले 25 तथ्य तिब्बत समुद्र-तट से तीन मील की ऊँचाई पर स्थित एक धार्मिक देश है जहाँ बौद्ध धर्म का खूब विकास हुआ। यूँ तो तिब्बत के बारे में बहुत सी बातें बताई जा सकती हैं, परंतु यहाँ उसके बारे में कुछ अत्यंत रोचक तथ्य प्रस्तुत  किए जा रहे हैं। 1. दुनिया की कुल 46% आबादी तिब्बत से उत्पन्न होने वाली पाँच मुख्य नदियों पर निर्भर करती है। 2. हिमालयन मोनाल तिब्बत का राष्ट्रीय पक्षी है। 3. ‘जौ’ तिब्बत में पैदा होने वाली सबसे मुख्य फसल है। जौ से बने आटे से ‘संपा’ बनाया जाता है जो तिब्बत के लोगों का सबसे मुख्य खाद्य पदार्थ है। यहाँ मांसाहार ज़्यादातर याक, बकरी और मटन से मिलता है। 4. तिब्बत को ‘दुनिया की छत’ भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत सारे ऊँचे पर्वत शिखर हैं। तिब्बत समुद्र के लेवल से लगभग साढ़े चार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। 5. तिब्बत में कोई भी KFC नहीं है, क्योंकि दलाई लामा ने उन्हें एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे मुर्गियों को बड़े पैमाने पर मारने से तिब्बत की पारंपरिक मूल्यों का उल्लंघन होता है। 6. सन् 2005 में फुटबॉल प्रबंधकों को ची

विज्ञापन: कितने सच्चे कितने झूठे

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  विज्ञापन: कितने सच्चे कितने झूठे  मनुष्य अपने जीवन को सुख-सुविधामय बनाने के लिए विभिन्न वस्तुओं का उपयोग और उपभोग करता है। उसे लगने लगा है कि उपभोग ही सुख है। उस पर पाश्चात्य उपभोक्तावाद का असर हो रहा है, इसी का फायदा उठाकर उत्पादक अपनी वस्तुओं को बढ़ा-चढ़ाकर उसके सामने प्रस्तुत करते हैं। इसे ही विज्ञापन कहा जाता है। आजकल इसका प्रचार-प्रसार इतना अधिक हो गया है कि वर्तमान को विज्ञापन का युग कहा जाने लगा है। विज्ञापन ने हमारे जीवन को अत्यंत गहराई से प्रभावित किया है। यह हमारा स्वभाव बनता जा रहा है कि दुकानों पर वस्तुओं के उन्हीं ब्रांडों की माँग करते हैं जिन्हें हम समाचार पत्र, दूरदर्शन या पत्र-पत्रिकाओं में दिए गए विज्ञापनों में देखते हैं। हमने विज्ञापन में किसी साबुन या टूथपेस्ट के गुणों की लुभावनी भाषा सुनी और हम उसे खरीदने के लिए उत्सुक हो उठते हैं। विज्ञापनों की भ्रामक और लुभावनी भाषा बच्चों पर सर्वाधिक प्रभाव डालती है। बच्चे चाहते हैं कि वे उन्हीं वस्तुओं का प्रयोग करें जो शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन या प्रियंका चोपड़ा द्वारा विज्ञापित करते हुए बेची जा रही हैं। वास्तव में बच्चों का

कृष्ण की चेतावनी/ रामधारी सिंह 'दिनकर'

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कृष्ण की चेतावनी            --- रामधारी सिंह "दिनकर" वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये। ‘दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो धरती अपनी तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे! दुर्योधन वह भी दे न सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- ‘जंजीर बड़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन संसार सकल, मुझमें लय है झंकार सकल। अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें। ‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परि

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

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कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है। आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है, जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है। मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में। मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम। कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। ।

कैदी और कोकिला/माखनलाल चतुर्वेदी

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   कैदी और कोकिला            -- माखनलाल चतुर्वेदी प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी? उत्तर : कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगा जैसे कोयल उसके लिए किसी का कोई संदेशा लेकर आई है। कवि को ऐसा लगता है कि वह संदेशा शायद बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए कोयल सुबह होने की प्रतीक्षा भी न कर सकी और अर्धरात्रि को ही संदेशा देने कवि के पास पहुँची। प्रश्न 2: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई? उत्तर : कवि ने कोकिल के बोलने के कई कारणों की संभावना व्यक्त की है। उनके अनुसार-- (i) कोयल शायद कोई बहुत जरूरी संदेशा लेकर आई हो। (ii) उसने कहीं किसी क्रांति के दावानल की ज्वाला देख ली हो और उसकी खबर देने आई हो। (iii) देशवासियों में मधुर विद्रोह बीज बोने के लिए बोल उठी हो । (iv) अंग्रेज शासन से मुक्ति की रणभेरी बजा रही हो। (v) कैदियों के मन में देशभक्ति की भावना जगाने आई हो। प्रश्न 3: किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ? उत्तर : कविता में अंग्रेज शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है, क्योंकि अंग्रेज शासन के दौरान निर्दोष भारतीयों पर घोर अत्याच

उपभोक्तावाद की संस्कृति/ श्यामाचरण दूबे

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उपभोक्तावाद की संस्कृति                        लेखक: श्यामाचरण दुबे प्रश्न 1: लेखक के अनुसार जीवन में 'सुख' का अभिप्राय क्या है? उत्तर : लेखक के अनुसार विविध भोग विलास की सामग्रियों का प्रयोग, शारीरिक सुख, सुंदरता बढ़ाने के साधनों का प्रयोग, भ्रमण विलास, सुविधासंपन्न भवनों में निवास आदि को ही वास्तविक सुख नहीं माना जाना चाहिए। 'सुख' से लेखक का अभिप्राय नैतिक मूल्यों के अनुसार जीवन-यापन, मानसिक शांति, परोपकारपूर्ण कार्य से प्राप्त सुख से है। प्रश्न 2: आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? उत्तर : आज की उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारे दैनिक जीवन को जाने-अनजाने भीतर से ही खोखला कर दिया है। आज हम कोई सामान खरीदते समय आकर्षक विज्ञापन, विलासिता और दिखावटी सौंदर्य की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। उसकी गुणवत्ता, उपयोगिता और आवश्यकता पर ध्यान नहीं देते। विज्ञापनों के प्रभाव से सारा समाज दिशाहीन हो गया है और अपने लक्ष्य से भटक गया है। प्रश्न 3: गांधीजी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है? उत्तरः गांधीजी ने बहुत पहले ह

भगवान के डाकिए/रामधारी सिंह 'दिनकर'

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  भगवान के डाकिए / रामधारी सिंह 'दिनकर' प्र०1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यो बताया है? स्पष्ट कीजिए। उत्तर – कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए माना है क्योंकि ये संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने–ले–जाने का कार्य करते हैं। प्रकृति और तत्व दोनों ही अपना कार्य सुचारू रूप से निभा रही है। यह अपने पंखों पर सुगंधित वायु को लेकर एक देश से दूसरे देश पहुंचाते हैं। इसलिए कवि दिनकर ने इन्हें भगवान के डाकिए कहा है। प्र०2. पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए । उत्तर – पक्षी और बादल दोनों ही कवि के अनुसार भगवान के डाकिए हैं। इनके द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़–पौधे , पानी और पहाड़ ही पढ़ जाते हैं। और यह हमारे संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने का कार्य करते हैं। पेड़–पौधे ,पानी और पहाड़ वहीं इनकी भाषा को समझ पाते हैं। प्र०3. किन पंक्तियों का भाव है : ( क) पक्षी और बादल प्रेम , सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश क्यों भेजते है। उत्तर – पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं, जो एक महादेश से, दूसरे महा