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सूरदास के पद (पदों की व्याख्या)

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  सूरदास के पद L पहले पद की व्याख्या ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी। अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी। पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी। ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी। प्रीति नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी। ‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।।             ऊपर लिखे गए पद में गोपियाँ उद्धव पर व्यंग करते हुए कहती  हैं कि  उद्धव  कृष्ण के निकट रहकर भी उनके प्रेम में नहीं बँधे हैं । वे बड़े ही भाग्यशाली हैं कि कृष्ण के प्रति उनके मनमें जरा भी मोह नहीं है। किसी भी प्रकार का बंधन या अनुराग नहीं है। बल्कि वे तो कृष्ण के प्रेम रस से बिलकुल अछूते हैं। वह उस कमल के पत्ते की तरह हैं जो जल के भीतर रहकर भी गिला नहीं होता। जैसे तेल से चुपड़े हुए गागर पर पानी की एक भी बूँद नहीं ठहरती, वैसे ही उद्धव पर भी कृष्ण के प्रेम का कोई असर नहीं हुआ है। प्रेम की नदी अथवा सागर स्वरूप श्रीकृष्ण के इतने निकट होकर भी उसमें उन्होंनेे अपने  पाँव नहीं डुबोए हैं। उनका मन कृष्ण के सौंदर्य पराग पर भी   कभी मोहित नहीं होता। वास्तव में गोपियाँ कृष्ण के प्रति उद्धव की इस अनुरागहीनता

ल्हासा की ओर(प्रश्नोत्तर)

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ल्हासा की ओर                   --राहुल सांकृत्यायन प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1: थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों? उत्तर : ल्हासा से लौटते समय लेखक भद्र वेश में थे, परंतु इस बार सुमति उनके साथ नहीं थे। इसके अलावा स्थानीय लोग शाम के वक्त शराब पीकर अपना होश-हवास भी खो बैठे थे। इसलिए लेखक का भद्र वेश भी ठहरने के लिए उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। प्रश्न 2: उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?  उत्तर : उस समय के तिब्बत में हथियार संबंधी कोई कानून न रहने के कारण लोग लाठी की तरह खुलेआम पिस्तौल, बंदूक आदि लिए फिरते थे। इसके अलावा डाकू यहाँ पहले यात्रियों को मार डालते थे, फिर देखते थे कि उनके पास पैसे हैं या नहीं। अतः यात्रियों को हर वक्त लूटे या मारे जाने का भय बना रहता था। प्रश्न 3: लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया? उत्तर : लेखक का घोड़ा अत्यंत सुस्त स्वभाव का

सूरदास के पद/प्रश्नोत्तर

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   सूरदास के पद प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1: गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है? उत्तर : गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर भाग्यहीन है। उद्धव कितने अभागे हैं कि हमेशा कृष्ण के साथ रहकर भी वह उनके प्रेम से अनभिज्ञ हैं। प्रश्न 2: उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किससे की गई है? उत्तर : उद्धव के व्यवहार की तुलना हमेशा पानी के भीतर रहने वाले कमल के पत्ते से और तेल की मटकी से की गई है क्योंकि कमल का पत्ता हमेशा पानी में डूबा रहता है, पर उस पर पानी की एक बूँद भी दाग नहीं लगा पाती और उस पर पानी की एक बूँद भी नहीं टिकती। उसी तरह तेल की मटकी को जल में डुबोने से उस पर एक बूँद भी नहीं ठहरती। उद्धव भी पूरी तरह कृष्ण से अनासक्त था। वह श्रीकृष्ण के निकट रह कर भी उनके प्रेम के बंधन से पूरी तरह मुक्त था। प्रश्न 3: गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं? उत्तर : गोपियों ने उद्धव को कमल का पत्ता, तेल की मटकी तथा प्रेम की नदी में पाँव रख कर भी पाँव न भीगने वाला व्यक्ति बता कर उनको उलाहने दिए हैं

अनुच्छेद लेखन/कक्षा: दस

 अनुच्छेद लेखन   1: टेलीविजन को लत न बनाएँ 'लत' -- शब्द उन आदतों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो आदतें अच्छी नहीं मानी जातीं। आजकल टेलीविजन देखना भी 'लत' बनता जा रहा है। यदि बच्चे निश्चित समय तक शिक्षा प्रदान करने वाले कार्यक्रम देखें तो कोई बात नहीं, लेकिन मध्यवर्गीय और उच्च मध्यवर्गीय परिवारों में टेलीविजन मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन बन गया है। जब घर में टेलीविजन चलता है तो बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय उससे ही चिपक जाते हैं और इसकी इस लत का दुष्प्रभाव उनकी पढ़ाई-लिखाई पर तो पड़ता ही है साथ ही उनके स्वास्थ्य, स्वभाव और आचार-विचार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस संदर्भ में माता-पिता तथा अन्य बड़ों को स्वयं पर नियंत्रण रखना होगा तभी वह अपने बच्चों को टेलीविजन की लत से मुक्त कर सकते हैं। ======================================== 2: ग्लोबल वार्मिंग  'ग्लोबल वार्मिंग' का तात्पर्य भूमंडल के दिन-प्रतिदिन बढ़ते तापमान से है। विगत कुछ वर्षों से तापमान में भयंकर वृद्धि होती जा रही है। वायुमंडल का तापमान यदि इसी प्रकार से बढ़ता रहा तो मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा। ग्लोबल वा

अनुच्छेद लेखन/ कक्षा: नौ

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  अनुच्छेद लेखन  1: विज्ञापन और हमारा जीवन आज विज्ञापनों ने हमारे जीवन में एक अहम जगह बना ली है। आज विज्ञापनों का प्रचार-प्रसार व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर ऐसा मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालता है कि व्यक्ति उससे निकल ही नहीं पाता। आज विज्ञापनों का चलन जोर पकड़ता जा रहा है। एक ओर विज्ञापनों के द्वारा घर बैठे-बैठे लोगों को रोजगार, नौकरी, शादी संबंधी जानकारियाँ सुगमता से प्राप्त हो जाती हैं तो दूसरी तरफ आम व्यक्ति इनके भ्रम जाल में फँसता चला जाता है। कुछ विज्ञापन तो कम उम्र के बच्चों पर बहुत गलत प्रभाव डालते हैं। विज्ञापन के भड़कीले तथा घिनौने रूप से बचने और नई पीढ़ी को बचाने के लिए ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाई जानी चाहिए जो किशोर एवं युवा वर्ग पर अपना मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालकर उनकी सोच दूषित कर सकते हैं। ================================= 2: वरदान है विज्ञान विज्ञान मानव प्रदत्त ऐसा वरदान है जिसने मनुष्य को वह सब कुछ दिया है जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। मनुष्य की सुख-सुविधाओं के जितने भी साधन हो सकते थे, शायद आज विज्ञान की कृपा से उसके पास उपलब्ध हैं। यातायात के समस्त साधन, कंप्यूटर, टेलीविज

बालगोबिन भगत/ रामवृक्ष बेनीपुरी

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  बालगोबिन भगत                        -- रामवृक्ष बेनीपुरी  प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1: खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे? उत्तर : खेतीबारी करने वाले एक गृहस्थ होते हुए भी बालगोबिन भगत अपनी निम्नलिखित चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे-- (i) वे हरदम प्रभु का स्मरण करते थे और भजन कीर्तन में व्यस्त रहते थे। (ii) उनका रहन-सहन, वेश-भूषा किसी साधु के समान बहुत ही सरल था। (iii) वह किसी दूसरे की चीजों को छूते तक नहीं थे। (iv) उनके मन में किसी के प्रति भी राग-द्वेष की भावना नहीं थी। (v) लंबे उपवास में रहने के बावजूद उनमें अजीब-सी मस्ती बनी रहती थी। प्रश्न 2: भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी? उत्तर : पुत्र की मृत्यु के बाद भगत अकेले हो चुके थे। भगत की पुत्रवधू उनकी सेवा करना चाहती थी। उनके लिए भोजन, दवा आदि का प्रबंध करना चाहती थी। इसलिए वह भगत को कतई अकेले छोड़ना नहीं चाहती थी। प्रश्न 3: भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं? उत्तर : भगत ने अपने बेटे की मृत्यु को भगवान की इच्छा माना और इस

दो बैलों की कथा/प्रेमचंद

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  दो बैलों की कथा                                            ---प्रेमचंद   प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी? उत्तर : कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि सभी पशु मवेशीखाने में हैं या नहीं। हाजिरी लेकर यह पता अथवा अनुमान भी लगाया जाता होगा कि कहीं कोई पशु भाग तो नहीं गया या उसकी चोरी तो नहीं हुई।  प्रश्न 2: छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?   उत्तर : छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। उसकी सौतेली माँ उस पर बहुत अत्याचार करती थी। बैलों पर हुए अत्याचारों की तुलना वह अपने ऊपर हुए अत्याचारों से करती थी। उनके दुखों को वह भली-भाँति समझती थी। बैलों के प्रति इन्हीं आत्मीयता भरी भावनाओं के कारण छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया। प्रश्न 3: कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं? उत्तर : कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं; जैसे-- (i) स्वतंत्र जीवन के लिए हमें सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए,  (ii) अत्याचार का यथासंभव विरोध करना चाहिए,  (ii

नेताजी का चश्मा/ स्वयं प्रकाश

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                नेताजी का चश्मा /   --- स्वयं प्रकाश प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1:  सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर : चश्मेवाले के मन में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। उसे देशभक्तों से बहुत प्रेम था। कस्बे के चौराहे में स्थित बिना चश्मेवाली नेताजी की मूर्ति देखकर अथवा मूर्ति के अधूरेपन को देखकर वह बहुत दुखी होता था। इसलिए अपनी ओर से चश्मा पहनाकर वह मूर्ति का अधूरापन दूर करता था और नेताजी के प्रति अपने मन की श्रद्धा भी प्रकट करता था। उसके मन की देशभक्ति की इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते होंगे। प्रश्न 2: हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था, लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा--- (क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे? उत्तर : हालदार साहब को लगा था कि कैप्टन चश्मेवाले की मृत्यु के बाद अब नेताजी की मूर्ति हमेशा बिना चश्मे के खड़ी रहेगी। इसलिए हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे। (ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? उत्तर : मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि आज भी समाज में देशवास

अभ्यास प्रश्नोत्तर/कृतिका(कक्षा: नौ)

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अभ्यास प्रश्नोत्तर/कृतिका प्रश्न 1: बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे?  उत्तर : बाढ़ की खबर सुनकर लोग अति आवश्यक सामानों को जुटाने में और अपनी सुरक्षा का प्रबंध करने में व्यस्त हो गए। आवश्यक ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी, दवाइयाँ आदि इकट्ठा करने लगे ताकि बाढ़ से घिर जाने पर भी कुछ दिनों तक आसानी से गुजारा चल सके। प्रश्न 2: बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाहर का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था? उत्तर : लेखक उसी क्षेत्र के रहने वाले थे, जहाँ बाढ़ग्रस्त लोग शरण लिया करते थे। बीते दिनों में लेखक बाढ़ पीड़ितों की मदद कई तरह से कर चुके थे। उन्होंने बाढ़ देखा तो था, परंतु बाढ़ से घिरने, बहने या खुद भोगने का अनुभव नहीं किया था। वे उसका प्रत्यक्ष अनुभव लेना चाहते थे। इसलिए बाढ़ के संबंध में अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए वे बहुत बेचैन और उत्सुक थे। प्रश्न 3: सबकी ज़बान पर एक ही जिज्ञासा-- 'पानी कहाँ तक आ गया है?' इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं?  उत्तर: सबके मन में एक ही जिज्ञासा थी-- 'पानी कहाँ तक आ गया है?' इस कथन से जनसमूह के

अभ्यास प्रश्नोत्तर (कक्षा: नौ)

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अभ्यास प्रश्नोत्तर  प्रश्न 1: किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया? उत्तर : बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कंठ की एक सुंदर गौरैया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वह गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में इस तरह जुट गए कि उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई और वे पक्षी-प्रेमी बन गए। प्रश्न 2: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं? उत्तर: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित गंभीर खतरों का वर्णन किया होगा। वृक्षों की कटाई से लेकर इससे प्रकृति पर पहुँच रहे नुकसान तक के बारे में बताया होगा। साइलेंट वैली में रेगिस्तानी गर्म हवाओं के गंभीर असर के बारे में वर्णन किया होगा। वातावरण के बदलने से पशु-पक्षियों पर पहुँच रहे नुकसान और दुख-कष्टों का हृदयविदारक वर्णन किया होगा, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई होंगी। प्रश्न 3: लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा

संक्षिप्त प्रश्नोत्तरः व्याकरण (कक्षा: 9)

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  संक्षिप्त प्रश्नोत्तर प्रश्न 1:   'प्रतिशत', 'प्रत्यक्ष', 'प्रत्येक' आदि शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग बताइए।  उत्तर: प्रति प्रश्न 2: 'अध्यादेश' शब्द में कौन-सा उपसर्ग है? उत्तर : अधि प्रश्न 3: अछूत, अटल, अशुभ, अगर -- शब्दों में से वह शब्द चुनिए जिसमें उपसर्ग के रूप में 'अ' का प्रयोग नहीं हुआ है। उत्तर: अगर प्रश्न 4: 'गर्माहट' शब्द में कौन-सा प्रत्यय है? उत्तर : आहट प्रश्न 5: प्रत्यय मूल रूप से क्या होते हैं? उत्तर: शब्दांश  प्रश्न 6: 'मित्रता' शब्द में प्रयुक्त मूल शब्द और प्रत्यय अलग कीजिए।  उत्तर: मित्र(मूल शब्द)+ ता(प्रत्यय) प्रश्न 7: 'इमा' प्रत्यय युक्त दो शब्दों का निर्माण कीजिए।  उत्तर : अणु+इमा= अणिमा          लघु+इमा= लघिमा प्रश्न 8: 'गैरहाजिर' शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग और मूल शब्द लिखिए।  उत्तर : गैर (उपसर्ग) + हाजिर (मूल शब्द) प्रश्न 9: 'आमरण' शब्द में समास का कौन-सा भेद है? उत्तर: अव्ययीभाव समास  प्रश्न 10: 'त्रिफला' शब्द में समास का कौन-सा भेद है? उत्तर: द्विगु समास   प्रश्न 11 : समास

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (कक्षा: 8)

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संक्षिप्त प्रश्नोत्तर प्रश्न 1: 'मूक', 'प्राचीन', 'वरदान', 'संक्षेप' -- शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।  उत्तरः मूक ---- वाचाल          प्राचीन -- नवीन          वरदान --- अभिशाप          संक्षेप --- विस्तार प्रश्न 2: 'अव्यक्त' शब्द का विलोम शब्द है: उत्तर : व्यक्त  प्रश्न 3: 'समीप' शब्द का विलोम शब्द है: उत्तर : दूर प्रश्न 4: दोस्त, अरि, दुश्मन, शत्रु -- शब्दों में से कौन-सा शब्द 'मित्र' शब्द का पर्यायवाची है? उत्तर: दोस्त  प्रश्न 5: स्थान, क्षत्रीय, भूमि और खेत -- इन शब्दों में से कौन-सा शब्द 'क्षेत्र' का अनेकार्थक शब्द नहीं है? उत्तर : क्षत्रीय  प्रश्न 6: निम्नलिखित श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्दों के अर्थ याद कीजिए : (क) सुर -- देवता         शूर -- वीर (ख) शुक्ल -- श्वेत         शुल्क -- फीस, कर (ग) सूचि -- सूई       सूची -- तालिका (घ) हरि -- विष्णु       हरी -- हरे रंग की (ङ) वसन -- कपड़ा       व्यसन -- बुरी आदत  (च) सुत -- बेटा, पुत्र       सूत -- धागा, सारथि (छ) कोष -- खज़ाना       कोश -- शब्द भंडार  (ज) सर -- सरोवर, तालाब