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जून, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ल्हासा की ओर/ प्रश्नोत्तर

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ल्हासा की ओर          --राहुल सांकृत्यायन   प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1: थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों? उत्तर : ल्हासा से लौटते समय लेखक भद्र वेश में थे, परंतु इस बार सुमति उनके साथ नहीं थे। इसके अलावा स्थानीय लोग शाम के वक्त शराब पीकर अपना होश-हवास भी खो बैठे थे। इसलिए लेखक का भद्र वेश भी ठहरने के लिए उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। प्रश्न 2: उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था? उत्तर : उस समय के तिब्बत में हथियार संबंधी कोई कानून न रहने के कारण लोग लाठी की तरह खुलेआम पिस्तौल, बंदूक आदि लिए फिरते थे। इसके अलावा डाकू यहाँ पहले यात्रियों को मार डालते थे, फिर देखते थे कि उनके पास पैसे हैं या नहीं। अतः यात्रियों को हर वक्त लूटे या मारे जाने का भय बना रहता था। प्रश्न 3: लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया? उत्तर : लेखक का घोड़ा अत्यंत सुस्त स्वभाव का था। इसके

ल्हासा की ओर/ शब्दार्थ

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ल्हासा की ओर             ---राहुल सांकृत्यायन   शब्दार्थ: (i) चौकियाँ -------- सुरक्षा के लिए बनाए गए ठिकाने (ii) पलटन --------- सेना, फौज  (iii) बसेरा ---------- रहने का स्थान, निवास (iv) परित्यक्त ------ छोड़ा हुआ (v) अपरिचित ---- अनजान  (vi) मथकर ------- घोलकर (vii) राहदारी ------- यात्रा करने का कर, अनुमति पत्र (viii) वेश ------------ कपड़े, पोशाक (ix) मनोवृति ------ मन की भावना (x) छङ् ----------- शराब जैसा एक नशीला पदार्थ, मदिरा (xi) विकट --------- कठिन, दुर्गम  (xii) निर्जन -------- एकांत, सुनसान  (xiii) पड़ाव --------- ठहरने का स्थान (xiv) श्वेत शिखर --- पर्वतों की सफेद चोटियाँ, बर्फीले ऊँचे                                         स्थान (xv) रास्ता फूटना --- नया रास्ता शुरू होना (xvi) कंडे ------------ आग जलाने के लिए सुखाया गया गोबर (xvii) थूक्पा --------- तिब्बत का एक लोकप्रिय खाद्य पदार्थ  (xviii) गंडा -------- मंत्र पढ़कर गाँठ लगाया हुआ धागा या                            कपड़ा; डंडे के ऊपर कोई कपड़ा बाँधकर                           बनाया गया धार्मिक चिन्ह (xix) भरिया ------

वाच्य

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वाच्य प्रश्न 1: वाच्य की परिभाषा लिखिए: उत्तर : 'वाच्य' का शाब्दिक अर्थ है-- बोलने का विषय।     क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाए कि क्रियापद द्वारा किए गए कार्य अथवा कही गई बात का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। जैसे--  ---साहिल पढ़ता है। -- सारिका के द्वारा गीत गाया जाता है। -- दादाजी से सोया नहीं जाता। प्रश्न 2: वाच्य के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए: उत्तर : हिंदी में वाच्य के तीन भेद होते हैं। वे हैं: (i) कर्तृवाच्य  (ii) कर्मवाच्य और  (iii) भाववाच्य  प्रश्न 3: कर्तृवाच्य की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए: उत्तर: जिस वाक्य में क्रिया का मुख्य विषय कर्ता होता है, वहाँ कर्तृवाच्य होता है। इस वाच्य में कथन का केंद्र हमेशा कर्ता होता है। जैसे: --- प्रेमचंद उपन्यास लिखते हैं। --- बच्चे रो रहे हैं। --- राहुल क्रिकेट खेलता था। --- राम ने रोटी खाई।             कर्तृवाच्य के वाक्यों की क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक-- दोनों ही प्रकार की हो सकती हैं और इनमें कर्म गौण होता है। कर्तृवाच्य में कर्ता को पहचानने के लिए क्रिया के साथ 'कौन' अथवा 'किसने' लगाकर प्र
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  कबीर की साखियाँ  और   सबद      साखियाँ प्रश्न 1: 'मानसरोवर' से कवि का क्या आशय है? उत्तर:  'मानसरोवर' से कवि का आशय है-- मनरूपी पवित्र सरोवर, जो पवित्र और निर्मल विचारों से भरा हो। प्रश्न 2: कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है? उत्तर : कवि ने सच्चे प्रेमी की कसौटी यह बताई है कि उससे मिलने पर व्यक्ति के मन की सारी मलिनता दूर हो जाती है। प्रश्न 3: तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है? उत्तर : तीसरे दोहे में कवि ने अनुभव से प्राप्त सहज ज्ञान को महत्व दिया है।  प्रश्न 4: इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है? उत्तर : संत कबीर के अनुसार इस संसार में सच्चा संत वही कहलाता है जो आपसी भेद-भाव, तर्क-वितर्क, वैर-विरोध के झमेलों में न पड़कर निष्पक्ष और निश्छल भाव से एक ईश्वर की आराधना करता है। प्रश्न5: अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है? उत्तर :  अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीरदास जी ने समाज में व्याप्त धार्मिक संकीर्णता और जाति-पाँति की असमानताओं की ओर संकेत किया है।  प्रश्न 6: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके

कबीर की साखियाँ/शब्दार्थ

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    कबीर की साखियाँ शब्दार्थ: मानसरोवर ---- हिमालय पर स्थित पवित्र सरोवर, पवित्र मन सुभर ---------- अच्छी तरह से भरा हुआ, शुभ्र, निर्मल हंसा ------------ हंस, साधक अथवा भक्त  केलि ----------- क्रीड़ा, खेल मुकताफल ---- मोती मुकता --------- मुक्त होकर, आजाद होकर  अनत ---------  अन्यत्र, और कहीं  हस्ती ---------- हाथी दुलीचा -------- कालीन, छोटा आसन  डारी ----------- डालकर  स्वान ---------- कुत्ता झख मारि ----- वक्त बर्बाद करते हुए  पखापखी ----- पक्ष-विपक्ष  कारनै ---------- कारण से जग ------------ संसार, दुनिया  भुलान --------- भूला हुआ निरपख -------- निष्पक्ष  सोई ------------ वही सुजान --------- ज्ञानी व्यक्ति मूआ ----------- मर गया  जीवता -------- जीवित रहता है दुहुँ ------------- दोनों काबा ---------- मुसलमानों का पवित्र तीर्थ  कासी --------- काशी, वाराणसी, हिंदुओं का पवित्र तीर्थस्थल  भया ----------- हो गया  मोट चून ------ मोटा दाना जीम ---------- भोजन करना  जनमिया ----- जन्म लेने वाला  करनी --------- कर्म, कार्य, क्रिया-कलाप   सुबरन कलस -- सोने का कलश अथवा घड़ा  सुरा ------------ श

रचना के आधार पर वाक्य भेद

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 रचना के आधार पर वाक्य भेद प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: वाक्य किसे कहते हैं? उत्तर : ऐसा सार्थक शब्द समूह जो व्यवस्थित हो तथा वक्ता का पूरा आशय स्पष्ट रूप से प्रकट कर सके, वाक्य कहलाता है। जैसे:  -- बालगोबिन भगत मझोले कद के गोरे चिट्टे आदमी थे। -- हालदार साहब पान खाने के लिए हमेशा चौराहे पर रुकते। -- विद्यार्थी आज पिकनिक मनाने पोखरा गए। प्रश्न 2: वाक्यों का विभाजन किन दो आधारों पर किया जाता है?   उत्तर : वाक्यों का विभाजन मुख्यतया निम्नलिखित दो आधारों पर किया जाता है-- (i) रचना के आधार पर और  (ii) अर्थ के आधार पर प्रश्न 3: रचना की दृष्टि से वाक्य के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए।   उत्तर : रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद हैं। वे हैं: (i) सरल/साधारण वाक्य (ii) संयुक्त वाक्य और  (iii) मिश्र/मिश्रित/जटिल वाक्य प्रश्न 4: सरल वाक्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए: उत्तर : जिन वाक्यों में एक ही मुख्य क्रिया हो, उन्हें सरल अथवा साधारण वाक्य कहते हैं। जैसे:   -- भादों महीने में कई बार मूसलधार वर्षा होती है।   -- शाम के समय बच्चे मैदान में खेल रहे थे।   -- मोहन अगले महीने अमेरिका जाएगा।         
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  दो बैलों की कथा                   ---प्रेमचंद   प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ? उत्तर : कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि सभी पशु मवेशीखाने में हैं या नहीं। हाजिरी लेकर यह पता अथवा अनुमान लगाया जाता होगा कि कहीं कोई पशु भाग तो नहीं गया या उसकी चोरी तो नहीं हुई।  प्रश्न 2: छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?    उत्तर : छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। उसकी सौतेली माँ उस पर बहुत अत्याचार करती थी। बैलों पर हुए अत्याचारों की तुलना भी वह अपने ऊपर हुए अत्याचारों से करती थी। उनके दुखों को वह भली-भाँति समझती थी। बैलों के प्रति इन्हीं आत्मीयता भरी भावनाओं के कारण छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया। प्रश्न 3: कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं? उत्तर: कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं; जैसे-- (i) स्वतंत्रता के लिए हमें सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए,  (ii) अत्याचार का यथासंभव विरोध करना चाहिए,  (iii) असहाय अवस्था में पड़े हुए

माता का अँचल / शब्दार्थ

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माता का अँचल                  --- शिवपूजन सहाय शब्दार्थ  (i) अँचल --------आँचल, गोद, क्षेत्र  (ii) मृदंग -------- ढोलक जैसा वाद्ययंत्र (iii) तड़के ------- सवेरे (iv) भभूत ------ राख (v) दिक करना --- परेशान करना, तंग करना (vi) झुँझलाकर ---- परेशान होकर  (vii) लिलार ------- ललाट, माथा  (viii) त्रिपुंड्र ----- माथे पर लगाया जानेवाला एक प्रकार का तिलक  (ix) निहारा -------- देखा  (x) पोथी ---------- किताब, ग्रंथ (xi) विराजमान ---- उपस्थित (xii) शिथिल ------ ढीला, कमजोर (xiii) उतान पड़ना -- पीठ के बल लेटना अथवा गिर पड़ना (xiv) गोरस ---------  दूध अथवा दूध से बने खाद्य पदार्थ  (xv) अफर जाना --- भरपेट से अधिक खा लेना (xvi) कौर --------- निवाला  (xvii) ठौर -------- जगह, स्थान  (xviii) मरदुए --------- पुरुष, आदमी  (xix) महतारी ------- माता (xx) एक चुल्लू ----- जरा-सा  (xxi) कड़वा तेल ---- सरसों का तेल  (xxii) बोथना-------- मल देना, लथपथ कर देना  (xxiii) बाट जोहना -- प्रतीक्षा करना  (xxiv) हमजोली ------- साथी, मित्र  (xxv) सरकंडा -------- एक तरह की नुकीली घास  (xxvi) चंदोआ --- छोटा शामियाना, कपड़
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  कोशिश करने वालों की हार नहीं होती                          ---- सोहनलाल द्विवेदी लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है मन का विश्वास रगों में साहस भरता है चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।

माता का अँचल / प्रश्नोत्तर

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  माता का अँचल                     --- शिवपूजन सहाय प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है? उत्तर : अपने पिता से अधिक जुड़ाव होने के बावजूद विपदा के समय भोलानाथ पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। इसकी वजह यह हो सकती है कि माँ के आँचल तले एक बच्चे को जिस प्यार और सुरक्षा की अनुभूति मिलती है, वह पिता के सान्निध्य में नहीं मिलती। माँ से बच्चों का संबंध जन्म के पूर्व से ही जुड़ा होता है। इसलिए भी संतान की आत्मीयता माँ के साथ अत्यंत गहरी होती है। प्रश्न 2: आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है? उत्तर : भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है, क्योंकि उसे उनके साथ दिनभर अलग-अलग खेल खेलने और शरारत भरी मस्ती करने का आनंद मिलता है। जब भी वह अपने मित्रों को देखता है तो वह अपने सारे दुख-दर्द भूल जाता है। प्रश्न 4: भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्

दो बैलों की कथा / शब्दार्थ

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  दो बैलों की कथा                    ---- प्रेमचंद   शब्दार्थ: (i) निरापद -------- सुरक्षित (ii) सहिष्णुता ---- सहनशीलता (iii) पछाईं -------- पालतू पशुओं की एक नस्ल (iv) गोईं --------- जोड़ी (v) कुलेल(कल्लोल) --- क्रीड़ा  (vi) विषाद ------- उदासी (vi) पराकाष्ठा ---- अंतिम सीमा  (vii) गण्य-------- गणनीय, सम्मानित  (viii) विग्रह ------ अलगाव  (ix) पगहिया ----- पशु बाँधने की रस्सी  (x) गराँव --------- फुँदेदार रस्सी जो बैल आदि के गले में पहनाई                                जाती है (xi) प्रतिवाद ----- विरोध (xii) टिटकार --- मुँह से निकलने वाला टिक-टिक का शब्द  (xiii) मसलहत -- हितकर  (xiv) रगेदना ---- खदेड़ना  (xv) मल्लयुद्ध -- कुश्ती  (xvi) साबिका --- वास्ता, सरोकार  (xvii) कांजीहौस -- मवेशीखाना, वह बाड़ा जिसमें दूसरे का खेत                                आदि खाने वाले या लावारिस चौपाये बंद किए                              जाते हैं और कुछ दंड लेकर छोड़े या नीलाम                                  किए जाते हैं (xviii) रेवड़ ---- पशुओं का झुंड (xix) उन्मत्त --- मतवाला (xx) थान ------ पशुओं के

कक्षा 9 का पाठ्यक्रम

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  कक्षा 9 का पाठ्यक्रम                    विषय: हिंदी क्षितिज: गद्य-खंड --- दो बैलों की कथा (प्रेमचंद)              ---- ल्हासा की ओर (राहुल सांकृत्यायन)               ---- उपभोक्तावाद की संस्कृति (श्यामाचरण दुबे)               ---- साँवले सपनों की याद (जाबिर हुसैन)              ---- नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर                               दिया गया (चपला देवी)              ---- प्रेमचंद के फटे जूते (हरिशंकर परसाई)              ---- मेरे बचपन के दिन (महादेवी वर्मा)              ---- एक कुत्ता और एक मैना (हजारीप्रसाद द्विवेदी) काव्य-खंड -- साखियाँ और सबद (कबीर)               ---- वाख (ललद्यद)               ---- सवैये (रसखान)               ---- कैदी और कोकिला (माखनलाल चतुर्वेदी)               ---- ग्राम श्री (सुमित्रानंदन पंत)               ---- चंद्र गहना से लौटती बेर (केदारनाथ अग्रवाल)               ---- मेघ आए (सर्वेश्वर दयाल सक्सेना)               ---- यमराज की दिशा (चंद्रकांत देवताले)               ---- बच्चे काम पर जा रहे हैं (राजेश जोशी)   कृतिका :               ----

बालगोबिन भगत / प्रश्नोत्तर

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  बालगोबिन भगत          -- रामवृक्ष बेनीपुरी  प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1: खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे? उत्तर : खेतीबारी करने वाले एक गृहस्थ होते हुए भी बालगोबिन भगत अपनी निम्नलिखित चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे-- (i) वे हरदम प्रभु का स्मरण करते थे और भजन कीर्तन में व्यस्त रहते थे। (ii) उनका रहन-सहन, वेश-भूषा किसी साधु के समान बहुत ही सरल था। (iii) वह किसी दूसरे की चीजों को छूते तक नहीं थे। (iv) उनके मन में किसी के प्रति भी राग-द्वेष की भावना नहीं थी। (v) लंबे उपवास में रहने के बावजूद उनमें अजीब-सी मस्ती बनी रहती थी। प्रश्न 2: भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी? उत्तर : पुत्र की मृत्यु के बाद भगत अकेले हो चुके थे। भगत की पुत्रवधू उनकी सेवा करना चाहती थी। उनके लिए भोजन, दवा आदि का प्रबंध करना चाहती थी। इसलिए वह भगत को कतई अकेले छोड़ना नहीं चाहती थी। प्रश्न 3: भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं? उत्तर : भगत ने अपने बेटे की मृत्यु को भगवान की इच्छा के रूप में स्वीकार किया

बालगोबिन भगत/ शब्दार्थ

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                 बालगोबिन भगत                                 --- रामवृक्ष बेनीपुरी   शब्द-संपदा(शब्दार्थ): (i) मँझोला ---------- न बहुत बड़ा न बहुत छोटा (ii) कमली ---------- कंबल (iii) पतोहू ----------- पुत्रवधू, पुत्र की पत्नी (iv) रोपनी ---------- धान की रोपाई  (v) कलेवा ----------- नाश्ता, सवेरे का जलपान (vi) पुरवाई --------- पूरब दिशा की ओर से बहने वाली हवा  (vii) अधरतिया ---- आधी रात  (viii) खंजड़ी ------ डफली की तरह आकार में उससे छोटा                              एक  वाद्य यंत्र (ix) निस्तब्धता ------ सन्नाटा  (x) लोही ------------ प्रातःकाल की लालिमा (xi) कुहासा ---------- कोहरा,धूँध (xii) आवृत---------‐- ढका हुआ, आच्छादित (xiii) कुश ---------- एक प्रकार की नुकीली घास (xiv) बोदा --------- कम बुद्धि वाला, कमजोर अथवा सुस्त  (xv) संबल --------- सहारा  (xvi) पंजर --------- मृत शरीर, शव (xvii) विरहिनी ----- प्रेमी से लंबे समय तक बिछड़ी हुई प्रेमिका (xviii) संझा ------- संध्या समय, शाम के वक्त गाए जाने वाले प्रभु                             के भजन (xix) सुभग ------ सुंदर  (xx) कोस --

नेताजी का चश्मा /--- स्वयं प्रकाश

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  नेताजी का चश्मा              --- स्वयं प्रकाश प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1:  सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर : चश्मेवाले के मन में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। उसे देशभक्तों से बहुत प्रेम था। कस्बे के चौराहे में स्थित बिना चश्मेवाली नेता जी की मूर्ति देखकर अथवा मूर्ति के अधूरेपन को देखकर वह बहुत दुखी होता था। इसलिए अपनी ओर से चश्मा पहनाकर वह मूर्ति का अधूरापन दूर करता था और नेताजी के प्रति अपने मन की श्रद्धा भी प्रकट करता था। उसके मन की देशभक्ति की इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते होंगे। प्रश्न 2: हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा--- (क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे? उत्तर : हालदार साहब को लगा था कि कैप्टन चश्मे वाले की मृत्यु के बाद नेता जी की मूर्ति हमेशा बिना चश्मे के खड़ी रहेगी। इसलिए हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे। (ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? उत्तर: मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि आज भी समाज में देशवासियों