नेताजी का चश्मा/ स्वयं प्रकाश

नेताजी का चश्मा / --- स्वयं प्रकाश प्रश्नोत्तर प्रश्न 1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर : चश्मेवाले के मन में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। उसे देशभक्तों से बहुत प्रेम था। कस्बे के चौराहे में स्थित बिना चश्मेवाली नेताजी की मूर्ति देखकर अथवा मूर्ति के अधूरेपन को देखकर वह बहुत दुखी होता था। इसलिए अपनी ओर से चश्मा पहनाकर वह मूर्ति का अधूरापन दूर करता था और नेताजी के प्रति अपने मन की श्रद्धा भी प्रकट करता था। उसके मन की देशभक्ति की इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते होंगे। प्रश्न 2: हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था, लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा--- (क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे? उत्तर : हालदार साहब को लगा था कि कैप्टन चश्मेवाले की मृत्यु के बाद अब नेताजी की मूर्ति हमेशा बिना चश्मे के खड़ी रहेगी। इसलिए हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे। (ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? उत्तर : मूर्ति पर ...