ल्हासा की ओर/ शब्दार्थ
ल्हासा की ओर
---राहुल सांकृत्यायन
शब्दार्थ:
(i) चौकियाँ -------- सुरक्षा के लिए बनाए गए ठिकाने
(ii) पलटन --------- सेना, फौज
(iii) बसेरा ---------- रहने का स्थान, निवास
(iv) परित्यक्त ------ छोड़ा हुआ
(v) अपरिचित ---- अनजान
(vi) मथकर ------- घोलकर
(vii) राहदारी ------- यात्रा करने का कर, अनुमति पत्र
(viii) वेश ------------ कपड़े, पोशाक
(ix) मनोवृति ------ मन की भावना
(x) छङ् ----------- शराब जैसा एक नशीला पदार्थ, मदिरा
(xi) विकट --------- कठिन, दुर्गम
(xii) निर्जन -------- एकांत, सुनसान
(xiii) पड़ाव --------- ठहरने का स्थान
(xiv) श्वेत शिखर --- पर्वतों की सफेद चोटियाँ, बर्फीले ऊँचे स्थान
(xv) रास्ता फूटना --- नया रास्ता शुरू होना
(xvi) कंडे ------------ आग जलाने के लिए सुखाया गया गोबर
(xvii) थूक्पा --------- तिब्बत का एक लोकप्रिय खाद्य पदार्थ
(xviii) गंडा -------- मंत्र पढ़कर गाँठ लगाया हुआ धागा या
कपड़ा; डंडे के ऊपर कोई कपड़ा बाँधकर
बनाया गया धार्मिक चिन्ह
(xix) भरिया --------- सामान ढोकर चलने वाला भारवाहक,
मजदूर
(xx) ललाट --------- माथा, मस्तक
(xxi) बेगार ----------- बिना मेहनताना लिए काम करने वाला
मजदूर
(xxii) भिक्षु ----------- बौद्ध अनुयायी
(xxiii) भेष ------------ वेश-भूषा, कपड़े, पोशाक
(xxiv) हस्तलिखित --- हाथ से लिखी हुई
(xxv) पोथियाँ -------- पुस्तकें, ग्रंथ, किताबें
(xxvi) कंजूर ---------- बुद्धवचन अनुवाद के ग्रंथ
(xxvii) डाँड़ा ----------- ऊँचा भूभाग, छोटी-सी पहाड़ी
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