दो बैलों की कथा
---प्रेमचंद
प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 1: कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी?
उत्तर: कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि सभी पशु मवेशीखाने में हैं या नहीं। हाजिरी लेकर यह पता अथवा अनुमान लगाया जाता होगा कि कहीं कोई पशु भाग तो नहीं गया या उसकी चोरी तो नहीं हुई।
प्रश्न 2: छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?
उत्तर: छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। उसकी सौतेली माँ उस पर बहुत अत्याचार करती थी। बैलों पर हुए अत्याचारों की तुलना भी वह अपने ऊपर हुए अत्याचारों से करती थी। उनके दुखों को वह भली-भाँति समझती थी। बैलों के प्रति इन्हीं आत्मीयता भरी भावनाओं के कारण छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया।
प्रश्न 3: कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं?
उत्तर: कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं; जैसे--
(i) स्वतंत्रता के लिए हमें सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए,
(ii) अत्याचार का यथासंभव विरोध करना चाहिए,
(iii) असहाय अवस्था में पड़े हुए शत्रु पर कभी वार नहीं करना चाहिए,
(iv) स्त्रियों का हमेशा सम्मान करना चाहिए और उन पर अत्याचार नहीं करना चाहिए,
(v) अपने अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करना चाहिए, आदि।
प्रश्न 4: प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ 'मूर्ख' का प्रयोग न कर किसी नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
उत्तर: लेखक ने गधे को सुख-दुख, हानि-लाभ आदि सभी भावों को सह सकने वाले ऋषि-मुनियों जैसा स्वभाव वाला जानवर बताया है। वह अत्यंत सीधा, सहनशील और शांत जानवर है। इस तरह लेखक ने गधे को 'मूर्ख' न कहकर उसके संत जैसे व्यक्तित्व की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 5: किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
उत्तर: कहानी में अनेक ऐसी घटनाएँ हैं जिनसे पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी; जैसे--
(i) दोनों का एक दूसरे के प्रति विभिन्न ढंग से प्रेम प्रकट करना,
(ii) हल या गाड़ी में जोते जाने पर हर एक की यह चेष्टा होना कि ज्यादा से ज्यादा बोझ उसी के कंधे पर पड़े,
(iii) हीरा के नाक पर गया के द्वारा डंडे बरसाए जाने पर मोती का गुस्से से बेकाबू हो जाना,
(iv) कांजीहौस से भागने का मौका मिलने पर भी मोती का न भागना और बँधे हुए मित्र हीरा के साथ ही उसका रह जाना,
(v) एक दूसरे को बचाने के लिए दोनों का एक साथ साँड़ पर आक्रमण करना और उस पर विजय पाना, आदि।
प्रश्न 6: 'लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।' हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हीरा के इस कथन के माध्यम से प्रेमचंद स्त्रियों पर अपना सम्मान प्रकट करना चाहते हैं। लेखक पाठकों को याद दिलाना चाहते हैं कि भारतीय संस्कृति के अनुसार नारी आदर और सम्मान की पात्र है। परंतु देखा जाता है कि समाज उसे वह श्रद्धा व आदर नहीं देता जिसकी वह अधिकारी है।
प्रश्न 7: किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
उत्तर: किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य का संबंध बहुत मधुर होता है। वे एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। वे परस्पर भावनात्मक संबंधों में बँधे होते हैं। पशु अपने मालिक या किसान को छोड़कर कहीं और जाना नहीं चाहते और किसान भी अपने पशुओं से बहुत प्यार करता है।
प्रश्न 8: 'इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।' --मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: मोती के उपर्युक्त कथन से यह पता चलता है कि वह जान की कीमत और आशीर्वाद का महत्व जानता है। वह बिलकुल भी स्वार्थी नहीं है। इसलिए खुद बंधन में पड़कर भी अन्य प्राणियों को वह स्वतंत्र करा देता है। भागने का मौका मिलने पर भी वह अपने मित्र हीरा के साथ रह जाता है। मोती के इस कथन से हीरा के प्रति उसका सच्चा स्नेह और सच्ची मित्रता व्यक्त होती है। साथ ही कांजीहौस के अन्य पशुओं के प्रति उसका प्रेम एवं कर्तव्यबोध, उसकी दया की भावना आदि भी उभर कर आती है।
प्रश्न 9: आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
आशय: हीरा और मोती मौखिक संवाद किए बिना ही एक दूसरे के मन की बात समझ सकते थे। परस्पर प्रेम जताया करते थे। आपस के दुख-दर्द को बाँँटा करते थे। भले ही मनुष्य स्वयं को सभी प्राणियों में श्रेष्ठ और बुद्धिमान मानता है, किंतु उसमें भी यह शक्ति अथवा क्षमता नहीं होती कि वह एक दूसरे की मन की बात समझ सके।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
आशय: हीरा और मोती गया के घर बँधे हुए थे। वहाँ उन्हें हमेशा अपमानपूर्ण व्यवहार मिलता था। खाने के लिए उन्हें सिर्फ सूखा भूसा दिया जाता था। इसलिए वे बहुत नाराज थे। परंतु उस घर की एक नन्हीं-सी बालिका रात को उन्हें एक-एक रोटी खिला जाती थी। उन रोटियों से उनका पेट तो नहीं भरता था, परंतु हमेशा अपमान और घृणा का व्यवहार पा रहे उस घर में उन्हें उस बालिका का प्रेम मिल जाता था, जिससे वह प्रसन्न हो उठते थे। उन दो रोटियों से उनकी भूख तो नहीं मिटती थी, लेकिन हृदय जरूर तृप्त हो जाते थे।
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