लघु कथा लेखन
लघु कथा लेखन Examples
रुपरेखा के आधार पर लघु कहानियों के कुछ उदाहरण –
1.
संकेत –
(दो भाई घर में अकेले, फाइल में आतंकियों की जानकारी, आतंकियों का घर में घुसना, फ़ाइल ढूंढ़ना, कमरे में बंद, आतंकी गिरफ्तार)
चतुर अर्जुन
एक दिन अर्जुन और उसका छोटा भाई करण दोनों घर में अकेले थे। उनके पिताजी एक पुलिस अधिकारी थे। वे एक लाल रंग की फाइल घर लाए थे। उसमें सभी कुख्यात आतंकवादियों के बारे में जानकारी थी।
अर्जुन जानता था कि पापा ने वह फाइल एक अलमारी में सुरक्षित रखी हुई है। अर्जुन और करण खेल रहे थे कि तभी दो आतंकवादी उनके घर में घुस आए और बोले, “लाल फाइल कहाँ है?” अर्जुन बड़ा चालाक था।
वह बोला, “शयनकक्ष की अलमारी में ऊपर रखी गई है। मैं वहाँ तक नहीं पहुँच सकता।” दोनों आतंकवादी लाल फाइल को हासिल करने के लिए उस कमरे में गए। जब वे अलमारी में फाइल ढूँढ रहे थे, तब अर्जुन ने धीरे-से उस कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और पिताजी को भी फोन कर दिया जल्दी ही उसके पिताजी पुलिस लेकर वहाँ पहुँच गए।
दोनों आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार अर्जुन ने अपनी चतुराई से दोनों आतंकवादियों को पकड़वा दिया। सभी ने उनकी खूब सराहना की।
शिक्षा – सूझ-भूझ से किसी भी मुसीबत से निपटा जा सकता है।
लघु कथा का शीर्षक – मदद
Title of laghu katha
प्रतिभा आज स्कूल में बहुत उदास थी। उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। उससे उसकी सहेली आराध्या ने कारण पूछा तो उसने बताया कि मुझसे एक बड़ी गलती हो गई है, ….
_______
मैंने अपने माता-पिता का कहना नहीं माना…। आराध्या ने कहा पूरी बात बताओ ? प्रतिभा ने बताया कि अर्धवार्षिक परीक्षा होने वाली है लेकिन मैंने पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया। माता-पिता ने कई बार मुझे समझाया था कि पढ़ाई पर ध्यान दो, पढ़ाई करो। लेकिन मैंने पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया, समय नष्ट किया। इस कारण से मैंने अपने पाठ को ठीक ढंग से याद भी नहीं किया है। मैं अनुतीर्ण हो जाऊँगी।
आराध्य ने कहा, “तुम चिंता मत करो। कठिन परिश्रम करो। अच्छे अंको से पास हो जाओगी। मैं तुम्हारी मदद करूँगी। मैं तुम्हें अपना नोट्स भी दे रही हूँ, तुम इसे लिखकर पूरा करो। मैं शाम को 5:00 बजे तुम्हारे यहाँ आऊँगी और हम दोनों मिलकर एक घंटा पढ़ेंगे।” इतना सुनते ही प्रतिभा खुश हो गई।
आराध्या की मदद से प्रतिभा ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया। पढ़ने में मन लगाने लगी। यह परिवर्तन देखकर उसके माता-पिता बहुत खुश थे।
परीक्षा हुई तो प्रतिभा और आराध्या दोनों प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुईं। प्रतिभा ने आराध्या से कहा तुम मेरी सच्ची सहेली हो तुम्हारे ही वजह से मेरे अंदर साहस आया और मैंने परिश्रम किया। आराध्या ने कहा कि एक अच्छा दोस्त ही दूसरे दोस्त की मदद करता है। धन्यवाद देने की बात नहीं है, तुमने मेहनत किया और तुम्हें सफलता मिली। प्रतिभा के माता-पिता भी बहुत खुश थे।
मैं ने जन्मदिवस मनाया पेड़ों के साथ (Laghu Katha ka udharan)
आज राजू जन्मदिवस है। सुबह से उसके मोबाइल फोन के व्हाट्सएप मैसेंजर, फेसबुक पर शुभकामनाएं आ रहे हैं। किसी भी मैसेज को वह ध्यान से नहीं पढ़ता क्योंकि सभी मैसेज एक जैसे कॉपी-पेस्ट, न उसमें किसी तरह की भावनाएँ, न कोई सोच! अधिकांश मैसेजे अंग्रेजी में और कुछ हिंदी में।
नजदीकी रिश्तेदारों का शिष्टाचार फोन भी आया और उन्हें बधाइयाँ दी। यह एक औपचारिक बातचीत की तरह ही थी, जैसे एक देश से दूसरे देश के प्रतिनिधि करते हैं, बिलकुल उसी तरह। जन्मदिवस पर बधाई देने की औपचारिकताओं को पाकर वह समझ चुका था कि आज के डिजिटल युग का इंसान केवल डिजिटल तरीके से ही अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हैं। उसके बाद कोई किसी के सुख-दुख का साथी नहीं होता है। वह इस सच्चाई को अच्छी तरीके से जानता है! इसलिए इस बार उसने अपना जन्मदिवस पेड़ों के साथ मनाया। पार्क में अकेले रहकर अनेक पेड़ों-पौधों से बातें कीं। माली से कहकर एक नया पौधारोपण उसने उसी दिन अपने हाथों से किया। पेड़-पौधों के साथ उसने अपना जन्मदिवस मनाया।
छात्रों जब लघुकथा प्रस्थान बिंदु के आधार पर लिखे तो उस लघुकथा का शीर्षक (Title of laghu katha) लिखेंगे, ऐसा प्रश्न पूछता है।
जैसी करनी वैसी भरनी इस कहावत के आधार पर एक लघु कथा 100 से 140 शब्दों में लिखिए-
ललितपुर गांव में एक साहूकार रहता था जो भोले-भाले किसानों की गरीबी का फायदा उठाता था। जब किसी किसान को पैसे की जरूरत होती थी तो वह महंगे ब्याज दर पर पैसे देता था। जब ब्याज इतना अधिक हो जाता और किसान ब्याज और मूल धन नहीं चुका पाता तो वह साहूकार किसान की जमीन अपने नाम करा लेता था। उस गांव के कई किसान अपनी जमीन गंवा चुके थे। साहूकार की पत्नी सज्जन और दयालु स्वभाव की थी। वह अपने पति को बार बार समझाती की बेईमानी और चालाकी से कमाया गया धन किसी काम का नहीं होता है। यह पाप है एक न एक दिन इस करनी का फल जरूर मिलेगा लेकिन साहूकार अपनी पत्नी के इन बातों का मजाक बना था और उस पर कोई ध्यान नहीं देता था। दूसरे शहर में किसी जरूरी काम के लिए साहूकार गया था। वहां रात में एक होटल में रुका। साहूकार के पास ढेर सारे पैसे थे। सुबह जब उठा तो उसके पैसे गायब थे। वह रोने चिल्लाने लगा क्योंकि उसके पास ₹1000000 था जो चोरी हो चुका था। होटल वालों ने साहूकार के एक भी बात नहीं सुनी कहा कि तुम पैसा लेकर नहीं आए झूठ मूठ का चोरी का बहाना बना रहे हो। होटल में चोर थोड़ी ना सकता है। अब साहूकार कैसे समझा था। थक हार कर बाप ने गांव लौटा जब अपनी पत्नी को सारी बात बताई तो पत्नी ने कहा देखा तुम दूसरों का पैसा हड़प तेथे आज तुम्हारा ही पैसा चोरी हो गया इसे कहते हैं जैसी करनी वैसी भरनी।
साहूकार को अब बात समझ में आ गई थी आप उसने चोरी और बेईमानी का धंधा छोड़ दिया था। अब वह किसानों की मदद करने लगा और किसानों की मजबूरी का फायदा नहीं उठाता था।
दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लघु कथा लिखिए-(100 से 120 शब्दों में)
संकेत-बिन्दु :
मधुमक्खियों का छत्ता ............ कबूतर का घोंसला .......... रानी मधुमक्खी का नदी में गिरना ............ कबूतर द्वारा पत्ता फेंकना .... ........ मधुमक्खी के प्राण बचाना ........... शिकारी का आना ............ कबूतर पर निशाना लगाना ........... मधुमक्खियों का शिकारी पर हमला ........... कबूतर की प्राण रक्षा।
संकेत-बिन्दु :
मधुमक्खियों का छत्ता ............ कबूतर का घोंसला .......... रानी मधुमक्खी का नदी में गिरना ............ कबूतर द्वारा पत्ता फेंकना .... ........ मधुमक्खी के प्राण बचाना ........... शिकारी का आना ............ कबूतर पर निशाना लगाना ........... मधुमक्खियों का शिकारी पर हमला ........... कबूतर की प्राण रक्षा।
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निम्नलिखित सूचनाएँ पढ़ें।
किसान का बेटा – आलसी और आपसी झगड़े – किसान परेशान – बीमार पडना – बेटों को सुधारने का उपाय सोचना – एक-एक लकड़ी काटने को कहना – चारों लकड़ियाँ एकसाथ बाँधना – उन्हें तोड़ने को कहना – असमर्थ निकलना।
प्रश्न.
सूचनाओं को जोड़कर कहानी की पूर्ति करें।
उत्तरः
संगठन की ताकत
किसी गाँव में एक किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। वे चारों अक्सर लड़ते रहते थे। अपने बेटों के स्वभाव से किसान मन-ही मन बहुत दुःखी रहता था। सोचते-सोचते वह एक दिन बीमार पड़ गया। अपने बेटों को सुधारने का उसने एक उपाय सोचा। एक दिन जब वह बिस्तर पर लेटा था, तो उसने अपने चारों बेटों को पास बुलाया और उन्हें एक-एक लकड़ी देकर कहा – “इन्हें तोडों”। एक-एक कर उन चारों ने अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ दी। किसान ने मुस्कुराते हुए चारों को देखा। पिता की मुस्कान का अर्थ उन चारों की समझ में नहीं आया। अब किसान ने अपने पास से चार दूसरी साबुत लकड़ियाँ और एक रस्सी निकाली। उसने अपने बड़े बेटे को पास बुलाकर चारों लकड़ियों को रस्सी से बाँधने केलिए कहा।
अब किसान ने उन चारों से उसे तोड़ने को कहा। उन सभी ने बारी-बारी से उस लकड़ियों के गट्ठर को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन कोई तोड़ न सका। किसान ने कहा – “संगठन में बहुत शक्ति होती है। यदि तुम लोग आपस में मिलकर रहोगे तो संसार में तुम्हें कोई हरा नहीं पाएगा। यदि आपस में झगड़ा करते हुए अलग-अलग रहोगे तो कोई भी तुम्हारी आपस की फूट का फायदा उठा लेगा।” चारों बेटों ने अपने पिता से यह वादा कि वे अब कभी भी आपस में झगड़ा नहीं करेंगे। और इन लकड़ियों की गट्ठर की तरह हमेशा संगठित होकर रहेंगे।
-एक कर उन चारों ने अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ दी। किसान ने मुस्कुराते हुए चारों को देखा। पिता की मुस्कान का अर्थ उन चारों की समझ में नहीं आया। अब किसान ने अपने पास से चार दूसरी साबुत लकड़ियाँ और एक रस्सी निकाली। उसने अपने बड़े बेटे को पास बुलाकर चारों लकड़ियों को रस्सी से बाँधने केलिए कहा।
संकेतों की सहायता से कहानी की पूर्ति करें।
उत्तर
अन्याय का धन
किसी देश में सुजानसिंह नाम का राजा राज करता था। राजा का मंत्री हिम्मतसिंह नेक, ईमानदार तथा बहुत समझदार था। राजा सुजानसिंह हिम्मतसिंह का बहुत आदर करते थे।
एक दिन अचानक रात में सुजानसिंह की नींद खुल गई। वे अपने कमरे से बाहर निकले तो उन्होंने देखा, मंत्री हिम्मतसिंह के कमरे में प्रकाश हो रहा था। राजा वहाँ पहुँचे। उन्होंने झाँककर देखा तो मंत्रीजी गहरी चिंता में डूबे हुए दिखाई पड़े। सुजानसिंह मंत्रीजी के कमरे में दाखिल हुए। उन्होंने मंत्री जी से पूछा – “मंत्री जी, आप इतने चिंतित क्यों हैं? क्या राज्य पर कोई भारी विपत्ति आ पड़ी है?” हिम्मतसिंह ने अपनी चिंता का कारण बताते हुए कहा – “महाराज, गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष के लगान की वसूली अधिक है। अधिक वसूली का कारण जानने केलिए ही में चिंतित हूँ।” राजा बोले . “आमदनी कम तो नहीं हुई, बढ़ गयी है न? रात बहुत हो चुकी है। अब आप सो जाइए।
एक कर उन चारों ने अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ दी। किसान ने मुस्कुराते हुए चारों को देखा। पिता की मुस्कान का अर्थ उन चारों की समझ में नहीं आया। अब किसान ने अपने पास से चार दूसरी साबुत लकड़ियाँ और एक रस्सी निकाली। उसने अपने बड़े बेटे को पास बुलाकर चारों लकड़ियों को रस्सी से बाँधने केलिए कहा।
निम्नांकित संकेत पढ़ें।
एक राजा – मंत्री ईमानदार और समझदार – रात को राजा का जाग उठना – मंत्री को कमरे में चिंतित देखना – गत साल फसल की कमी – कर वसूली में वृद्धि – राजा मंत्री से प्रभावित – अगले साल आधा लगान वसूल करने का निर्णय – राजा और मंत्री दोनों खुश।
Activity 2
निम्नांकित संकेत पढ़ें।
एक राजा – मंत्री ईमानदार और समझदार – रात को राजा का जाग उठना – मंत्री को कमरे में चिंतित देखना – गत साल फसल की कमी – कर वसूली में वृद्धि – राजा मंत्री से प्रभावित – अगले साल आधा लगान वसूल करने का निर्णय – राजा और मंत्री दोनों खुश।
संकेतों की सहायता से कहानी की पूर्ति करें।
उत्तर
अन्याय का धन
किसी देश में सुजानसिंह नाम का राजा राज करता था। राजा का मंत्री हिम्मतसिंह नेक, ईमानदार तथा बहुत समझदार था। राजा सुजानसिंह हिम्मतसिंह का बहुत आदर करते थे।
एक दिन अचानक रात में सुजानसिंह की नींद खुल गई। वे अपने कमरे से बाहर निकले तो उन्होंने देखा, मंत्री हिम्मतसिंह के कमरे में प्रकाश हो रहा था। राजा वहाँ पहुँचे। उन्होंने झाँककर देखा तो मंत्रीजी गहरी चिंता में डूबे हुए दिखाई पड़े। सुजानसिंह मंत्रीजी के कमरे में दाखिल हुए। उन्होंने मंत्री जी से पूछा – “मंत्री जी, आप इतने चिंतित क्यों हैं? क्या राज्य पर कोई भारी विपत्ति आ पड़ी है?” हिम्मतसिंह ने अपनी चिंता का कारण बताते हुए कहा – “महाराज, गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष के लगान की वसूली अधिक है। अधिक वसूली का कारण जानने केलिए ही में चिंतित हूँ।” राजा बोले . “आमदनी कम तो नहीं हुई, बढ़ गयी है न? रात बहुत हो चुकी है। अब आप सो जाइए।
अब किसान ने उन चारों से उसे तोड़ने को कहा। उन सभी ने बारी-बारी से उस लकड़ियों के गट्ठर को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन कोई तोड़ न सका। किसान ने कहा – “संगठन में बहुत शक्ति होती है। यदि तुम लोग आपस में मिलकर रहोगे तो संसार में तुम्हें कोई हरा नहीं पाएगा। यदि आपस में झगड़ा करते हुए अलग-अलग रहोगे तो कोई भी तुम्हारी आपस की फूट का फायदा उठा लेगा।” चारों बेटों ने अपने पिता से यह वादा कि वे अब कभी भी आपस में झगड़ा नहीं करेंगे। और इन लकड़ियों की गट्ठर की तरह हमेशा संगठित होकर रहेंगे।
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