प्रश्नोत्तर (कृतिका)

 


प्रश्नोत्तर (कृतिका)

प्रश्न 1: 'मेरे संग की औरतें' संस्मरण की लेखिका मृदुला गर्ग अपने साथ की किन औरतों से प्रभावित थीं और क्यों?

उत्तरः लेखिका मृदुला गर्ग अपने साथ की कई औरतों से प्रभावित थीं, जिनके साथ उनका कोई न कोई रिश्ता था। वे थीं-- उनकी नानी, परदादी और छोटी बहन रेणु। उनकी नानी देश प्रेम से भरी थीं। उन्होंने अपनी सामान्य भूमिका छोड़कर अंतिम समय में पति के मित्र क्रांतिकारी प्यारेलाल जी को बुलाया और उनसे अपनी बेटी का विवाह किसी स्वतंत्रता सेनानी से कराने का वादा लिया। उनकी दादी ने भी लीक तोड़ते हुए सामाजिक परंपराओं के विपरीत पतोहू के संतान के रूप में लड़के के स्थान पर लड़की की कामना करके समाज के सामने अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। बहन रेणु ने अपने नजरिए से जिंदगी को देखा, समझा और अकेले ही उसका आनंद भी लिया। इन सभी ने लेखिका के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है।

प्रश्न 2:  'शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है।'-- इस क्षेत्र में 'मेरे संग की औरतें' पाठ की लेखिका मृदुला गर्ग द्वारा किए गए प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

उत्तरः वास्तव में शिक्षा बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है। अब इस धारणा को भारतीय संविधान में स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है। भारतीय समाज के सभी चिंतनशील नागरिक इस दिशा में अपने अपने स्तर से यथासंभव प्रयास करते हैं। लेखिका द्वारा इस दिशा में किए जाने वाले प्रयास भी उल्लेखनीय हैं। लेखिका कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागलकोट में रहती थी, जहाँ उसके दो बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल की समुचित व्यवस्था नहीं थी। अतः उसने वहाँ एक अच्छा स्कूल खुलवाने के लिए पर्याप्त कोशिश की। पहले उसने पास के कैथोलिक बिशप से प्रार्थना की। लेकिन उनके तैयार नहीं होने पर लेखिका ने कुछ उत्साही व्यक्तियों के साथ मिलकर वहाँ एक अच्छा प्राथमिक विद्यालय खुलवाया। उस विद्यालय में लेखिका तथा अन्य अधिकारियों के बच्चे पढ़ने लगे। आगे चलकर वे बड़े-बड़े विद्यालयों में भर्ती होने के योग्य भी बन गए।

प्रश्न 3: गोपाल प्रसाद के विचार आधुनिक समाज के लिए घातक हैं। 'रीढ़ की हड्डी' पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए: 

उत्तरः गोपाल प्रसाद पेशे से वकील हैं, किंतु वे लिंगभेद के शिकार हैं। वह पढ़ाई लिखाई पर केवल लड़कों का अधिकार मानते हैं इस तरह वह लड़कियों की पढ़ाई के विरोधी हैं उसका कहना है कि लड़कियों का पढ़ना लिखना काबिल बनना आवश्यक नहीं है उसके अनुसार लड़कियों को घर का काम कुशलतापूर्वक आना चाहिए यदि लड़की पढ़ लिख कर योग्य बन गई और अंग्रेजी में अखबार पढ़कर पॉलिटिक्स की बातें करने लगी तो घर की देखभाल हो चुकी उसकी यह सोचना केवल लड़कियों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए बहुत घातक है वह समाज की गली सड़ी यथास्थिति वादी भावनाओं का प्रतिनिधि है वह शादी जैसे मामले को भी बिजनेस मानता है तथा दहेज का लोभी है इस प्रकार स्पष्ट है कि गोपाल प्रसाद के विचार आधुनिक समाज के लिए घातक है

प्रश्न 4: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी के माध्यम से लेखक समाज में किस तरह के परिवर्तन की आशा करता है?

उत्तर: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी के माध्यम से लेखक समाज से पुरुषवादी मानसिकता को उखाड़ फेंकना चाहता है। पुरुषवादी मानसिकता के कारण ही हमारा समाज प्रगति की दिशा में अग्रसर नहीं हो पा रहा। साथ ही अन्य देशों की तुलना में पिछडता भी जा रहा है। हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय है। लड़कों और लड़कियों में भेदभाव किया जाता है। लड़कियों को सभी प्रकार के अधिकारों से वंचित रखा जाता है। उन्हें विभिन्न प्रकार के सामाजिक बंधनों के घेरे में जकड़ कर रखा जाता है। उन्हें किसी भी प्रकार का निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं दी जाती। साथ ही विभिन्न प्रकार के नियम उन पर थोपे जाते हैं। इस प्रकार लेखक इस पाठ के माध्यम से समाज में व्याप्त विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहता है। यह एकांकी नाटक महिलाओं को पूर्ण एवं स्वतंत्र रूप से जीने का हौसला देता है, जिससे एक स्वस्थ समाज की रचना की जा सके तथा समाज का विकास किया जा सके।

प्रश्न 5: 'इस जल प्रलय में' पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने 'मृत्यु का तरल दूत' किसे और क्यों कहा था?

उत्तर: लेखक ने आचार्य जी से बाढ़ के पानी को 'मृत्यु का तरल दूत' कहा था। लेखक को बाढ़ का बढ़ता पानी मृत्यु का जीता-जागता दूत-सा दिखाई दे रहा था। बाढ़ का पानी वास्तव में देखते ही देखते अनेक घरों को उजाड़ देता है। अनेक जीवों को बेघर कर देता है, उन्हें उजाड़ देता है। कई प्राणियों को तो बाढ़ का पानी  मौत की नींद भी सुला देता है। बाढ़ का जल कई लोगों के विनाश या मृत्यु का कारण बनता है। इसलिए लेखक ने इसे 'मृत्यु का तरल दूत' कहा है।

प्रश्न 6: गाँव के लोग नाव के अभाव में क्या कर रहे थे? 'इस जल प्रलय में' पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर: गाँव के लोग नाव के अभाव में केले के पौधे का 'भेला' बनाकर किसी प्रकार अपना काम चला रहे थे। जब उन्होंने देखा कि जमीदार के लड़के ऐसे संकट काल में भी हारमोनियम तबला लेकर 'जल विहार' करने के लिए हैं, तो ग्रामीणों ने उनकी नाव छीन ली, हालाँकि इसमें थोड़ी मारपीट भी हुई थी। 

प्रश्न 7: 'मेरे संग की औरतें' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। 

उत्तरः 'मेरे संग की औरतें' एक नए ढंग या शैली में लिखा गया संस्मरण है। यह पाठ ऐसी औरतों पर केंद्रित है, जिन्होंने परंपरागत तरीके से जीवन जिया, लेकिन साथ ही ये औरतें लीक से हटकर जीने की भी प्रेरणा देती हैं। पाठ में लेखिका की नानी, परदादी, माँ, बहनें और स्वयं लेखिका की कहानी बताई गई है। यह सभी चरित्र वस्तुतः लेखिका के संग की ही महिलाएँ हैं।  लेखिका इस शीर्षक के माध्यम से किन्हीं विशिष्ट स्त्रियों के बारे में, उनके विशिष्ट व्यक्तित्व की चर्चा करने का लक्ष्य नहीं रखतीं, बल्कि सामान्य स्त्रियों के व्यक्तित्व में निहित विशिष्ट गुणों को उभारना चाहती हैं। इसलिए वह अपने संग की सामान्य महिलाओं की ही चर्चा करती है। इस तरह 'मेरे संग की औरतें' शीर्षक पूर्णता सार्थक और अत्यंत प्रभावी भी है।

प्रश्न 8: लड़कियों का उच्च शिक्षित होना आज के युग में भी अभिशाप क्यों समझा जाता है? 'रीढ़ की हड्डी' पाठ के आधार पर तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः लड़कियों का उच्च शिक्षित होना आज के युग में भी अभिशाप इसलिए समझा जाता है क्योंकि समाज में अब भी गोपाल प्रसाद जैसे व्यक्ति मौजूद हैं, जो पुरातन पंथी रूढ़िवादी मानसिकता के शिकार हैं। उन्हें यह भय सताने लगता है कि यदि लड़कियां पढ़-लिख गईं तो इससे पुरुष वर्चस्व में कमी आ जाएगी। नारी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाएगी। लड़कियों के पढ़ने से पुरुष सत्ता का एकाधिकार टूट जाएगा। शिक्षा प्राप्त करने पर लड़कियों में साहस का भाव आ जाएगा और तब वे किसी अन्याय के सामने नहीं झुकेंगी। समाज के लोगों में आज भी ऐसी सोच का कायम रहना उनकी  पुरातनपंथी एवं पुरुषवादी मानसिकता का जीवंत प्रमाण है।

प्रश्न 9: रेडियो से प्रसारित कौन सा समाचार दिल दहलाने वाला था? उस समाचार का कैसा प्रभाव दिखाई दिया? 'इस जल प्रलय में' पाठ के आधार पर लिखिए। 

उत्तरः शाम को साढ़े सात बजे जब आकाशवाणी के पटना केंद्र से स्थानीय समाचार प्रसारित किया गया कि स्टूडियो की सीढ़ियों तक पानी पहुँच गया है और किसी भी समय स्टूडियो के अंदर पानी घुस सकता है, यह समाचार सच में दिल दहलाने वाला था। पान की दुकान के सामने खड़े लोग चुपचाप इस समाचार को सुन रहे थे और सभी डर गए थे। सबके चेहरे पर भय की रेखा साफ-साफ झलक रही थी। लेकिन थोड़ी ही देर में सब लोग सहज हो गए। जब लेखक पानी देखकर लौट रहा था तो लोगों के चेहरे शांत भाव में दिखे। वह लोग रोज की तरह निश्चिंत भाव से हँसने-बोलने लग गए थे। दुकानदार भी अपना सामान नीचे से उठा कर ऊपर करते दिखाई दे रहे थे।

प्रश्न 10: वर्तमान समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है या शंकर जैसे? अपने विचार व्यक्त कीजिए। 
उत्तरः आज हमारे समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है,न कि शंकर जैसे। उमा स्वाभिमानी लड़की है। वह समाज में व्याप्त रूढ़ीवादी परंपराओं के विरुद्ध आवाज उठाती है। वह स्त्रियों की चेतना तथा स्वतंत्रता के बारे में सोचती है। वह लड़के लड़कियों में भेद करने वालों को घृणा की दृष्टि से देखती है। उसके पिता गोपालप्रसाद से उमा की शिक्षा की बात छुपाते हैं, किंतु गोपाल प्रसाद के पूछने पर वह अपनी अपनी उच्च शिक्षा की सच्चाई दृढ़तापूर्वक निडरता से बता देती है। इसके विपरीत शंकर स्वयं तो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है, किंतु वह यह नहीं चाहता कि उसकी पत्नी पढ़ी-लिखी हो। इसलिए वह कम पढ़ी-लिखी लड़की से विवाह करना चाहता है। किंतु उमा शंकर का विरोध करती है और उसकी दुर्बल प्रवृत्ति को उजागर करती है और शंकर के साथ शादी से इंकार करती है। अतः मेरे विचार से आज हमारे समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है।

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