बस की यात्रा/ हरिशंकर परसाई
बस की यात्रा
कारण बताएँ
प्रश्न 1: "मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धा भाव से देखा।"
-- लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
उत्तर: लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जग गई कि वह बस के टायर की स्थिति से परिचित होने के बावजूद भी बस को चलाने का साहस जुटा रहा था। दो-चार पैसे कमाने के लिए जान जोखिम में डालने की ऐसी सोच लोगों में कम ही दिखाई देती है जिसे देखकर लेखक वास्तव में आश्चर्यचकित हो गया।
प्रश्न 2: "लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।"
-- लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उत्तर: लोगों ने लेखक को यह सलाह इसलिए दी क्योंकि वे जानते थे कि बस की हालत बहुत खराब है। बस का कोई भरोसा नहीं था कि यह कब कहाँ खराब हो जाए और रात भर रास्ते में कहाँ किस हालत में बितानी पड़ जाए। उनके अनुसार यह बस किसी डाकिन के समान है।
प्रश्न 3: "ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।"
-- लेखक को ऐसा क्यों लगा?
उत्तर: जब बस का इंजन स्टार्ट हुआ तब सारी बस झनझनाने लगी। लेखक को ऐसा प्रतीत हुआ कि पूरी बस ही इंजन है क्योंकि इंजन के स्टार्ट होने पर इंजन के पुर्जो की भाँति बस के सभी यात्री भी हिल रहे थे।
प्रश्न 4: "गजब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।"
-- लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उत्तर: अत्यंत पुरानी और खस्ताहाल बस में बैठते ही लेखक के मन में आशंका हुई कि यह गाड़ी चलेगी भी या नहीं। लेकिन उनकी आशंका को मिटाने के लिए बस के हिस्सेदार ने बस की बढ़ा चढ़ाकर प्रशंसा की और कहा कि यह बस अपने आप चलेगी। बस की जराजीर्ण अवस्था के विपरीत यह सुनकर लेखक को बहुत हैरानी हुई।
प्रश्न 5: "मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।"
-- लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर: बस की जर्जर अवस्था को देखकर लेखक को डर लग रहा था कि कहीं उसकी बस किसी पेड़ से न टकरा जाए। किसी तरह एक पेड़ से बचकर निकल जाने पर वह दूसरे पेड़ का इंतजार करता था कि बस कहीं इस पेड़ से न टकरा जाए। यही वजह है कि लेखक हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।
पाठ से आगे
प्रश्न 6: 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था?
उत्तरः 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 में अंग्रेज सरकार से असहयोग करने तथा पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से हुआ था।
प्रश्न 7: सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए।
उत्तरः इंजन के स्टार्ट होने के बाद सारी बस थर थरा रही थी। बस के चलने के बाद बस का हर हिस्सा एक दूसरे से असहयोग कर रहा था। लग रहा था कि सीटें बॉडी को छोड़कर आगे निकल रही हों या पीछे भागी जा रही हों। लेखक इस तरह अपनी प्रतीकात्मक भाषा में यह बताना चाह रहे हैं कि बस विनयपूर्वक अपने मालिक एवं यात्रियों से उसे स्वतंत्र करने का अनुरोध कर रही है।
भाषा की बात
प्रश्न 8: बस, वश, बस तीन शब्द हैं-- इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-- बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो।
-- उपर्युक्त वाक्यों के समान वश और बस शब्द से दो-दो वाक्य बनाइए।
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