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नवंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संगतकार (प्रश्नोत्तर)

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   संगतकार                -- मंगलेश डबराल प्रश्न 1: संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है? उत्तर : संगतकार के माध्यम से कवि उन व्यक्तियों की ओर संकेत  करना चाह रहा है जो नेतृत्व स्थानीय व्यक्तियों की सफलता में पर्दे के पीछे रहकर अपना योगदान देते हैं। ये लोग बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान तो देते हैं परंतु लोगों की निगाह में नहीं आ पाते हैं अथवा सफलता के श्रेय से वंचित रह जाते हैं। मुख्य गायक की सफलता में साथी गायक, वाद्यवादक, अन्य कलाकार, ध्वनि एवं प्रकाश की व्यवस्था देखने वाले कर्मचारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है, परंतु उन्हें इसका श्रेय कभी नहीं मिल पाता है। प्रश्न 2: संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं? उत्तर: संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा भी बहुत सारे क्षेत्रों में दिखाई देते हैं; जैसे-- (i) खेल में जीत का श्रेय हमेशा अधिनायक को मिलता है, जबकि विजेता बनाने में अनेक खिलाड़ी, कोच एवं अन्य अनेक लोगों का योगदान भी होता है। (ii) राजनीति के क्षेत्र में जीत केवल किसी उम्मीदवार विशेष की होती है, परंतु

फसल (प्रश्नोत्तर)

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  फसल       -- नागार्जुन प्रश्न 1: कवि के अनुसार फसल क्या है? उत्तर:   कवि के अनुसार फसल-- (i) नदियों के पानी का जादू है। (ii) लाखों-करोड़ों किसान और मेहनती लोगों के द्वारा किए गए परिश्रम की गरिमा है। (iii) भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है। (iv) सूरज की किरणों का रूपांतर है।  (v) हवा की थिरकन का सहयोग है। प्रश्न 2: कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?   उत्तरः कविता में फसल उपजाने के लिए प्रकृति और मनुष्य दोनों के पारस्परिक सहयोग की बात कही गई है, जो निम्नलिखित हैं-- (i) केवल एक-दो नदियों का नहीं, अपितु अनेक नदियों का पानी। (ii) लाखों करोड़ों किसान, मजदूर एवं मेहनती लोगों का परिश्रम। (iii) केवल एक-दो खेतों का नहीं, अपितु हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म। (iv) सूरज की किरणें। (v) हवा की थिरकन। प्रश्न 3: फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? उत्तर : कवि कहना चाहता है कि फसल केवल बीज, खाद, पानी, सूरज की किरणें और हवा के सहयोग से ही पैदा नहीं होती, अपितु इसमें किसानों
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   यह दंतुरित मुस्कान                                      --- नागार्जुन   प्रश्न 1: बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर : बच्चे की दंतुरित मुस्कान पर कवि का मन मोहित हो जाता है। उसे लगता है यह मुस्कान एक मृत व्यक्ति में भी प्राण डाल देगी। उस मुस्कान को देखकर कठोर से कठोर व्यक्ति का दिल भी पिघल जाएगा। कवि को ऐसा लगता है मानो कमल का सुंदर फूल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया हो। प्रश्न 2: बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर है? उत्तर : बच्चे की मुस्कान में मासूमियत होती है। उसकी मुस्कान में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होती। उसकी मुस्कुराहट में प्रसन्नता, खुशी और मस्ती की भावना भरी होती है। जबकि बड़े व्यक्ति की मुस्कान चालाकी भरी हो सकती है। उसकी मुस्कान में कोई उद्देश्य, स्वार्थ अथवा किसी के प्रति दुर्भावना भी हो सकती है। बच्चों की मुस्कान के साथ बड़ों की मुस्कान की तुलना नहीं हो सकती। प्रश्न 3: कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तरः कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य
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अट नहीं रही है                   कवि: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'  प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? उत्तरः फागुन के महीने में पेड़-पौधों में रंग-बिरंगे फूल, हरे कोमल पत्ते, मंद बहती हवाओं के कारण प्रकृति की सुंदरता में अनुपम निखार आ जाता है। फागुन की सुंदरता चारों तरफ नजर आने लगती है। वातावरण उल्लासमय होने लगता है। कवि की आँखें फागुन की सुंदरता से अभिभूत हैं। इसलिए चाहकर भी कवि इस फागुन की सुंदरता से अपनी आँखें नहीं हटा पा रहा है।  प्रश्न 2: प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?  उत्तर : प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन निम्नलिखित रूपों में किया है-- (i) समस्त प्रकृति फल-फूलों से लद गई है। (ii) सृष्टि का कण-कण उत्साह व उमंग से भर गया है। (iii) सुंदरता की व्यापकता के दर्शन पेड़-पौधे, फूल-पत्ते, मंद बहती सुगंधित हवा आदि सब में हो रहे हैं।  प्रश्न 3: फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?  उत्तर : फागुन में प्रकृति की शोभा हर तरफ अथवा हर जगह एक जैसी अतुलनीय

उत्साह (प्रश्नोत्तर)

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उत्साह                कवि: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है, क्यों?  उत्तर : कवि समाज में क्रांति और उत्साह की भावना का संचार करना चाहता है। वह समाज में परिवर्तन एवं नवजीवन लाना चाहता है। वह बादल को क्रांति का सूत्रधार बनने का आह्वान करता है और उसके माध्यम से हर किसी में जोश, उत्साह और पौरुष का संचार करना चाहता है ताकि बादल के गरजने से क्रांति का संदेश जन-जन तक पहुँचे। इसलिए कवि बादल से फुहारने अथवा रिमझिम बरसने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है। प्रश्न 2: कविता का शीर्षक 'उत्साह' क्यों रखा गया है?  उत्तर : सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की 'उत्साह' कविता एक आह्वान गीत है। आह्वान गीत उत्साह के प्रतीक होते हैं। बादल की गर्जना एवं क्रांति की चेतना लोगों में उत्साह का संचार करती है। कवि कविता के माध्यम से क्रांति लाने के लिए लोगों में उत्साह का संचार करना चाहता है। इसलिए कवि 'निराला' के द्वारा कविता का शीर्षक 'उत्साह' रखा गया है। प्रश्न 3: कविता में बादल किन-क

एक कहानी यह भी(प्रश्नोत्तर)

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  एक कहानी यह भी                                   -- मन्नू भंडारी   प्रश्न 1: लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा? उत्तर : लेखिका के व्यक्तित्व पर उनके पिताजी, हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल, पिताजी के घनिष्ठ मित्र डॉक्टर अंबालाल से लेकर अनेक लोगों का प्रभाव पड़ा। पिताजी से लेखिका ने घर, समाज--- हर कहीं अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की सीख ली। हिंदी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने उनमें पुस्तकों के चयन के साथ-साथ विभिन्न साहित्य और साहित्यकारों के प्रति रुचि ही उत्पन्न नहीं की, चारदीवारी में रह रही लेखिका में खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का जोश भी भरा। डॉ अंबालाल जी ने भी उनके भाषण और साहस का समर्थन कर हौसला बढ़ाया। प्रश्न 2: इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर क्यों संबोधित किया है? उत्तरः इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर इसलिए संबोधित किया है, क्योंकि उनका मानना है कि निरंतर रसोई में अपना समय अथवा पूरा जीवन व्यतीत करने से महिलाओं की प्रतिभा और क्षमता रसोई की भट्टी में ही जलकर राख ह

प्रेमचंद के फटे जूते(प्रश्नोत्तर)

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  प्रेमचंद के फटे जूते                        --- हरिशंकर परसाई प्रश्न 1: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं? उत्तर : प्रेमचंद एक संघर्षशील लेखक थे। वे सादा जीवन परंतु उच्च विचार के पक्षधर थे। वे गैर समझौतावादी और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। सामाजिक कुप्रथाओं और परंपरावादी रूढ़ियों के वे घोर विरोधी थे। वे दिखावटीपन से दूर रहते थे और चारित्रिक दृढ़ता को मनुष्य का मुख्य गुण मानते थे। कुल मिलाकर वे पाठ में एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में पाठकों के सामने आते हैं। प्रश्न 2: सही कथन के सामने (✓) का निशान लगाइए-- (क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है। उत्तर : गलत कथन (सही कथन है --- बाएँ जूते में बड़ा छेद हो गया है) (ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए। उत्तर : ✓(सही कथन) (ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है। उत्तर : गलत कथन (सही कथन है --- प्रेमचंद की व्यंग्य मुसकान लेखक परसाई के हौसले पस्

साँवले सपनों की याद(प्रश्नोत्तर)

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    साँवले सपनों की याद                                         --- जाबिर हुसैन प्रश्नोत्तर : प्रश्न 1: किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया? उत्तर : बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कंठ की एक सुंदर गौरैया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वह गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में इस तरह जुट गए कि उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई और वे पक्षी-प्रेमी बन गए। प्रश्न 2: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं? उत्तर : सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित गंभीर खतरों का वर्णन किया होगा। वृक्षों की कटाई से लेकर इससे प्रकृति पर पहुँच रहे नुकसान तक के बारे में बताया होगा। साइलेंट वैली में रेगिस्तानी गर्म हवाओं के गंभीर असर के बारे में वर्णन किया होगा। वातावरण के बदलने से पशु-पक्षियों पर पहुँच रहे नुकसान और दुख-कष्टों का हृदयविदारक वर्णन किया होगा, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री की आँख