अनुच्छेद लेखन
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जीवन में खेलकूद का महत्व
खेल मानव की जन्मजात और स्वाभाविक प्रवृत्ति है। खेलों से ही मनुष्य का सही और स्वस्थ विकास होता है। आज बच्चों को जिस ढंग से शिक्षा दी जाती है, वह भी खेल से ही जुड़ी है। वर्तमान किंडर गार्टन और मोंटेसरी जैसी आधुनिक बाल शिक्षा पद्धति का विकास ही इसलिए हुआ है कि खेल-खेल में बच्चों को आसानी से शिक्षा दी जा सके। खेल का नाम सुनने मात्र से ही बच्चे प्रसन्न हो जाते हैं। खेलने से शरीर पुस्ट होता है। खेल खेलने से मनुष्य को संघर्ष करने की आदत पड़ती है। खेल से हार-जीत सहज लगने लगती है तथा एकाग्रता की शक्ति भी बढ़ती है। खेल हमारे जीवन में एक साथ अनुशासन, संगठन, सहयोग, साहस, विश्वास एवं सहनशीलता जैसे गुणों का विकास करता है और इनकी शिक्षा देता है। स्वामी विवेकानंद ने देश के नवयुवकों को बलवान बनने का संदेश दिया है और कहा है कि खेलों के द्वारा ही शरीर को स्वस्थ और बलवान बनाया जा सकता है। खेल स्वस्थ मनोरंजन का उत्तम माध्यम है। खिलाड़ियों को खेल के मैदान में सबसे अधिक आनंद प्राप्त होता है। इस दृष्टि से जीवन में खेलों का अत्यधिक महत्व है।
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समय अमूल्य धन है
समय ही जीवन है। अगर अपने जीवन से प्रेम है तो समय को व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए क्योंकि जीवन इसी से बना है। ईश्वर एक बार एक ही क्षण देता है और दूसरा क्षण देने से पहले उसे छीन लेता है। समय को खोकर उसे पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। समय धन से भी अधिक महत्वपूर्ण है। धन तो परिश्रम करके कमाया जा सकता है, लेकिन चौबीस घंटे में एक पल भी नहीं बढ़ाया जा सकता। समय का सदुपयोग आवश्यक है। उचित समय और अवसर पर उचित कार्य पूरा कर लेना चाहिए। समय कभी रुकता नहीं। समय किसी के अधीन नहीं। इसका सदुपयोग करने वाला व्यक्ति ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। सफलता उसके कदम चूमती है। समय प्रकृति की ओर से मानव को दिया हुआ ऐसा अमूल्य धन है जहाँ अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं। समय के साम्राज्य में सब समान हैं। समय मित्र के रूप में व्यक्ति के सामने आता है। उसको समुचित आदर न मिलने पर वह चुपचाप लौट जाता है। अतः व्यक्ति को समय का मूल्य पहचानते हुए एक-एक पल का सदुपयोग करना चाहिए।
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इंटरनेटः सुविधाओं का खजाना
इंटरनेट आज के विश्व को बड़ी ही आसानी से जोड़ने का सर्वाधिक प्रभावशाली माध्यम है। यह संसार में उपलब्ध सभी तरह की सूचना सामग्रियों के भंडारण का और व्यक्तियों के संबंध को परस्पर जोड़ने का कार्य करता है। इंटरनेट ज्ञान का भंडार है। इसमें हर देश के समाचारपत्र, पुस्तक, व्याख्यान, विचार बिंदु प्राप्त होते हैं। जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसकी जानकारी इसमें न प्राप्त होती हो। घर बैठे हर वक्त इसमें एकत्र ज्ञान की प्राप्ति व्यक्ति को होती है। आजकल इंटरनेट के माध्यम से बिल भरा जा सकता है, टिकट बुक कराई जा सकती है। अब तो घर बैठे-बैठे खरीददारी की जा सकती है अथवा व्यापार, क्रय-विक्रय किया जा सकता है। इसके माध्यम से आर्थिक और अन्य तरह के अपराधों को भी अंजाम दिया जा रहा है। इस तरह के अपराधों में पढ़े-लिखे युवक-युवतियाँ लिप्त हो रहे होते हैं। इंटरनेट की सुविधा समय बचाने के साथ-साथ कार्य कुशलता भी बढ़ाती है। लेकिन ऐसे अपराधों की वजह से लोग इसका प्रयोग करने से डरने भी लगे हैं। अतः अपने समाज को अपराधमुक्त बनाने के लिए तकनीक का नैतिक एवं सकारात्मक प्रयोग सीखना अति आवश्यक है।
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