यह दंतुरित मुसकान/नागार्जुन
यह दंतुरित मुसकान
प्रश्न 1: बच्चों की मुस्कान मृतक में भी जान कैसे डाल देती है?
उत्तरः बच्चों की दंतुरित मुस्कान निराशा या हताश व्यक्ति में भी आशा, प्रसन्नता एवं उत्साह का संचार कर देती है और एक व्यक्ति को नई ऊर्जा से प्रेरित करती है। इसीलिए बच्चों की मुस्कान को मृतक में भी जान डाल देने में सक्षम बताया गया है।
प्रश्न 2: कवि के अनुसार शिशु के स्पर्श से क्या-क्या परिवर्तन हुए?
उत्तरः शिशु का सौंदर्य ऐसा अद्भुत है कि उसके स्पर्श मात्र से ही कठोर या रसहीन व्यक्तियों के हृदय में भी रस उमड़ आता है। उसे देखकर उनका हृदय वात्सल्य से भर उठता है। काँटेदार पेड़ों से भी शेफालिका की फूलों की वर्षा होने लगती है।
प्रश्न 3: 'छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात' -- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः पंक्तियों के माध्यम से कवि कहता है कि वह जब छोटे शिशु को हँसते हुए देखता है तो उसे लगता है कि कमल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में खिल गए हैं।
प्रश्न 4: 'यह दंतुरित मुसकान' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर होता है?
उत्तरः बच्चों की दंतुरित मुस्कान अत्यंत पवित्र और मोहक होती है। उसे देखकर कठोर व्यक्ति का मन भी पिघल जाता है। बड़े व्यक्ति की मुस्कान के पीछे स्वार्थ या धोखा देने की भावना भी छिपी रह सकती है। छोटे बच्चों की मुस्कान सहज होती है। बड़े व्यक्ति की मुस्कान बच्चों की तरह सहज और कपटरहित नहीं होती।
प्रश्न 5: 'धन्य तुम और माँ भी तुम्हारी धन्य...' कवि ने शिशु और उसकी माँ को धन्य क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने शिशु और उसकी माँ को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि वे दोनों कवि के जीवन में सुखद क्षण दे रहे हैं। कई के लिए शिशु की दंतुरित मुस्कान एक नया जीवन प्रदान करती है। उसकी माँ भी धन्य है क्योंकि वह नहीं होती तो कभी बच्चे की मंद मंद मुस्काती छोटे-छोटे दाँत से युक्त सुंदर छवि को कवि नहीं देख पाता और न ही उसे जान पाता।
प्रश्न 6: 'यह दंतुरित मुस्कान' कविता के आधार पर बच्चों की मुस्कान के सौंदर्य को अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तरः 'यह दंतुरित मुस्कान' कविता के आधार पर बच्चे की मुसकान प्रुफुल्लता से परिपूर्ण है। उसकी मुसकान इतनी मधुर है कि मृतक में भी जान डाल देती है। उसकी मुसकान का सौंदर्य अनुपम है जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे कमल का पुष्प तालाब छोड़कर झोपड़ी में खिल गए हों, पाषाण पिघलकर जल बन गया हो तथा बबुल और बाँस से भी शेफालिका के फूल झरने लगे हों।
प्रश्न 7: बच्चे का शरीर कैसा है? वह कवि को किसके समान प्रतीत हो रहा है?
उत्तरः बच्चे का शरीर धूल से सना हुआ है। कवि को धूल से सना हुआ अपना शिशु कमल के पुष्प के समान प्रतीत हो रहा है। उसे ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कमल का फूल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में आ गया है। उसे यह धूल-धुसरित बालक कमल के समान ही सुंदर लग रहा है।
प्रश्न 8: 'पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण' -- आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 'पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण' पंक्ति का आशय यह है कि बालक की मधुर मुस्कान सबको अपनी और आकर्षित करती है। पत्थर के समान कठोर हृदयवाले भी ऐसे बालक की मुस्कान को देखकर और उनका स्पर्श पाकर पिघल जाते हैं, भावुक हो जाते हैं अथवा वे भी सहृदय व्यक्ति बन जाते हैं।
प्रश्न 9: बच्चे की किस अदा पर कवि कहता है -- 'तुम मुझे पाए नहीं पहचान?'
उत्तरः शिशु अनजान कवि को पहली बार सामने पाकर उसे एकटक निहारता रह जाता है। उसकी आँखों में परिचयहीनता और उत्सुकता का भाव था। शिशु की इसी मोहक अदा पर कवि यह शब्द कहता है।
प्रश्न 10: उंगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क -- 'मधुपर्क' किसे कहते हैं? पंक्ति में 'मधुपर्क' का क्या सांकेतिक अर्थ है?
उत्तरः 'मधुपर्क' दूध, दही, घी, शहद और जल के मिश्रण से बने एक रसीले खाद्य पदार्थ को कहते हैं। यहॉं 'मधुपर्क' का तात्पर्य है -- माँ का वात्सल्य अथवा माँ की आत्मीयता से भरी परवरिश।
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