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फसल/नागार्जुन

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  फसल         -- नागार्जुन प्रश्न 1: कवि के अनुसार फसल क्या है? उत्तर :  कवि के अनुसार फसल-- (i) नदियों के पानी का जादू है। (ii) लाखों-करोड़ों किसान और मेहनती लोगों के द्वारा किए गए परिश्रम की गरिमा है। (iii) भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है। (iv) सूरज की किरणों का रूपांतर है।  (v) हवा की थिरकन का सहयोग है। प्रश्न 2: कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?  उत्तरः कविता में फसल उपजाने के लिए प्रकृति और मनुष्य दोनों के पारस्परिक सहयोग की बात कही गई है, जो निम्नलिखित हैं-- (i) केवल एक-दो नदियों का नहीं, अपितु अनेक नदियों का पानी। (ii) लाखों करोड़ों किसान, मजदूर एवं मेहनती लोगों का परिश्रम। (iii) केवल एक-दो खेतों का नहीं, अपितु हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म। (iv) सूरज की किरणें। (v) हवा की थिरकन। प्रश्न 3: फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? उत्तर : कवि कहना चाहता है कि फसल केवल बीज, खाद, पानी, सूरज की किरणें और हवा के सहयोग से ही पैदा नहीं होती, अपितु इसमें किसान

यह दंतुरित मुसकान/नागार्जुन

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    यह दंतुरित मुस्कान/ नागार्जुन  प्रश्न 1: बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर : बच्चे की दंतुरित मुसकान से कवि का मन मोहित हो जाता है। उसे लगता है यह मुसकान एक मृत व्यक्ति में भी प्राण डाल देगी। उस मुसकान को देखकर कठोर से कठोर व्यक्ति का दिल भी पिघल जाएगा। उसकी मुसकान को देखकर कवि को ऐसा लगता है मानो कमल का सुंदर फूल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया हो। प्रश्न 2: बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? उत्तर : बच्चे की मुसकान में मासूमियत होती है। उसकी मुसकान में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होती। उसकी मुस्कुराहट में प्रसन्नता, खुशी और मस्ती की भावना भरी होती है। जबकि बड़े व्यक्ति की मुसकान चालाकी भरी हो सकती है। उसकी मुसकान में कोई उद्देश्य, स्वार्थ अथवा किसी के प्रति दुर्भावना भी हो सकती है। बच्चों की मुसकान के साथ बड़ों की मुसकान की तुलना नहीं हो सकती। प्रश्न 3: कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तरः कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम स

प्रयास लीग से हटकर देखने का पुरुषोत्तम पोखर अध्यक्ष हिंदी विभाग

  प्रयासः लीक से हटकर देखने का                                          -- पुरुषोत्तम पोख्रेल