साँवले सपनों की याद/-- जाबिर हुसैन
साँवले सपनों की याद
--- जाबिर हुसैन
प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 1: किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर: बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कंठ की एक सुंदर गौरैया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वह गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में इस तरह जुट गए कि उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई और वे पक्षी-प्रेमी बन गए।
प्रश्न 2: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित गंभीर खतरों का वर्णन किया होगा। वृक्षों की कटाई से लेकर इससे प्रकृति पर पहुँच रहे नुकसान तक के बारे में बताया होगा। साइलेंट वैली में रेगिस्तानी गर्म हवाओं के गंभीर असर के बारे में वर्णन किया होगा। वातावरण के बदलने से पशु-पक्षियों पर पहुँच रहे नुकसान और दुख-कष्टों का हृदयविदारक वर्णन किया होगा, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई होंगी।
प्रश्न 3: लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?
उत्तर: 'मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।'-- यह कहकर फ्रीडा स्पष्ट करना चाहती हैं कि लॉरेंस को अपने घर-परिवार से भी ज्यादा पक्षी, पेड़-पौधे, प्रकृति-जगत से लगाव था। अपनी पत्नी फ्रीडा से भी ज्यादा समय तो वे पक्षी गौरैयों के बीच बिताते थे, जैसे गौरैये उनके अंतरंग साथी हों। लॉरेंस के इसी प्रकृति और पक्षीप्रेम को उद्घाटित करने के लिए फ्रीडा ने ऐसा कहा होगा।
प्रश्न 4: आशय स्पष्ट कीजिए--
(क) वो लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
आशय: अंग्रेजी के बहुत बड़े उपन्यासकार और कवि डी. एच. लॉरेंस प्रकृति के बहुत बड़े प्रेमी थे। उनका जीवन भी प्रकृतिमय हो चुका था। उन्हीं की भाँति सालिम अली भी स्वयं को प्रकृति के प्रति समर्पित कर चुके थे। यहाँ तक कि वे स्वयं भी प्रकृति के समान सहज-सरल, भोले-भाले और निश्छल हो चुके थे।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा।
आशय: लेखक का कहना है कि सालिम अली की मृत्यु के बाद ऐसा पक्षी-प्रेमी और कोई नहीं होगा। सालिम अली रूपी पक्षी मृत्यु की गोद में सो चुका है। कोई अपने दिल की धड़कन देकर एवं अपने शरीर की हलचल उसके शरीर में डालकर भी उन्हें दोबारा जीवित नहीं कर सकता। उनका जैसा पक्षीप्रेमी प्रयासपूर्वक दोबारा पाया नहीं जा सकता।
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
आशयः सालिम अली प्रकृति के खुले संसार में खोज करने के लिए निकले। उन्होंने खुद को किसी सीमा के भीतर नहीं रखा। वह एक टापू की तरह किसी छोटे से स्थान विशेष में सीमित नहीं रहे। उन्होंने तो अथाह सागर की तरह प्रकृति जगत से अनेकों अनुभव बटोरे। उनका कार्यक्षेत्र किसी टापू की तरह सीमित नहीं बल्कि सागर की तरह विशाल था।
प्रश्न 5: इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तरः 'साँवले सपनों की याद' पाठ में लेखक की भाषा-शैली संबंधी निम्न विशेषताएँ देखी जा सकती हैं--
(i) पाठ में उर्दू, तद्भव और संस्कृत तत्सम शब्द-- तीनों भाषाओं का अच्छा सम्मिश्रण है।
(ii) पाठ में आलंकारिक भाषा का प्रयोग है।
(iii) कहीं छोटे और सरल वाक्यों का प्रयोग है तो कहीं लंबे और जटिल वाक्यों का।
प्रश्न 6: इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: सालिम अली अनन्य प्रकृति प्रेमी थे। पक्षियों से उन्हें विशेष लगाव था। वे गले में हमेशा दूरबीन लटकाए रहते थे। उनके मन में पक्षियों की खोज करने का और उनकी सुरक्षा के उपाय खोजने का असीम चाव था। वह घुमक्कड़ स्वभाव के थे। लंबी यात्राओं ने उन्हें कमजोर कर दिया था। अपने दैनिक आचरण-व्यवहार में भी अत्यंत सीधे, सरल स्वभाव के इंसान थे।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 7: प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर: (i) पर्यावरण को बचाने के लिए हम अपने आसपास के क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगा सकते हैं।
(ii) प्लास्टिक के बदले कागज या कपड़े से बने थैले और सामानों का प्रयोग कर सकते हैं।
(iii) कूड़े-कचरों को सिर्फ उपयुक्त और निश्चित जगह में जमा करके वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाए रख सकते हैं।
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