कैदी और कोकिला, कवि: माखनलाल चतुर्वेदी, क्षितिज, कक्षा:9, हिंदी 'अ'

 


कैदी और कोकिला                                               ----माखनलाल चतुर्वेदी

क्या गाती हो?
क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो?
संदेशा किसका है?
कोकिल बोलो तो!

ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली ?

क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लुटा?
मृदुल वैभव की

रखवाली-सी;

कोकिल बोलो तो!

क्या हुई बावली?
अर्द्ध रात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो!

क्या?-देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ? -जीवन की तान,
मिट्टी पर अँगुलियों ने लिक्खे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में कस्र्णा क्यों जगे, स्र्लानेवाली,
इसलिए रात में गजब ढा रही आली?

इस शांत समय में,
अन्धकार को बेध, रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!

काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!

इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो!

तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!

इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!


प्रश्नोत्तर:

प्रश्न 1: कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर: कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगा जैसे कोयल उसके लिए किसी का कोई संदेशा लेकर आई है। कवि को ऐसा लगता है कि वह संदेशा शायद बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए कोयल सुबह होने की प्रतीक्षा भी न कर सकी और अर्धरात्रि को ही संदेशा देने कवि के पास पहुँची।

प्रश्न 2: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?

उत्तर: कवि ने कोकिल के बोलने के कई कारणों की संभावना व्यक्त की है। उनके अनुसार--

(i) कोयल शायद कोई बहुत जरूरी संदेशा लेकर आई हो।

(ii) उसने कहीं किसी क्रांति के दावानल की ज्वाला देख ली हो और उसकी खबर देने आई हो।

(iii) देशवासियों में मधुर विद्रोह बीज बोने के लिए बोल उठी हो ।

(iv) अंग्रेज शासन से मुक्ति की रणभेरी बजा रही हो।

(v) कैदियों के मन में देशभक्ति की भावना जगाने आई हो।

प्रश्न 3: किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?

उत्तर: कविता में अंग्रेज शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है, क्योंकि अंग्रेज शासन के दौरान निर्दोष भारतीयों पर घोर अत्याचार हुए। स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे लोगों को कारागृह में डाल कर उन पर अंग्रेजों ने तरह तरह के अत्याचार किए। कोल्हू के बैल की तरह उन्हें जोता गया। तम अर्थात् अंधकार- यहाँ अंग्रेजों के अत्याचारपूर्ण शासन का प्रतीक है।

 प्रश्न 4: कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर:  पराधीन भारत की जेलों में कैदियों को अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं। राजनैतक बंदियों को खतरनाक डाकू, चोर, बटमारों के साथ रखा जाता था। उन्हें हथकड़ी, जंजीर अथवा बेड़ियों में बाँधकर रखा जाता था।  भोजन भी बहुत कम दिया जाता था, जिससे उनका पेट नहीं भरता था। उनसे हल जुतवाया जाता था, कोल्हू चलवाया जाता था, पत्थरों की गिट्टियाँ तुड़वाई जाती थी। उनके हँसने-रोने पर भी रोक थी।

प्रश्न 5: भाव स्पष्ट कीजिए---

(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो।

उत्तर: 'मृदुल वैभव की रखवाली-सी' से कवि का तात्पर्य कोयल की मीठी तथा कोमल आवाज से है। भले ही उसकी आवाज में मिठास है परंतु आज उसकी आवाज में वेदना की चीख सुनाई पड़ती है। इसलिए कवि उससे उसकी पीड़ा का कारण पूछता है। 

(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।

उत्तर: इन पंक्तियों में कवि कहता है कि अंग्रेज सरकार कैदी स्वतंत्रता सेनानियों से पशुओं के समान सख्त परिश्रम करवाते हैं। उनके पेट पर जुआ बाँधकर कुँए से पानी निकाला जाता है। परंतु देशप्रेमी कैदियों को इन यातनाओं का कोई दुख नहीं है। वे इसी तरह अंग्रेज सरकार के अत्याचारपूर्ण शासन को विफल कर उनकी अकड़ खत्म कर देना चाहते हैं। 

 प्रश्न 6: अर्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?

उत्तर: अर्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को लगता है कि कोयल या तो पागल हो गई है और आधी रात को चीख रही है अथवा देशभर क्रांति की आग की लपटें उसने देख ली हैं और सभी को इसकी जानकारी देने और सजग करने के लिए वह अर्धरात्रि को चीख रही है। 

प्रश्न 7: कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?

उत्तर: कोयल से कवि की ईर्ष्या का मुख्य कारण उसकी स्वच्छंदता है। वह आकाश में स्वच्छंदता से उड़ान भर रही है और कवि जेल की काल कोठरी में कैद है। मीठी आवाज़ में गीत गाकर कोयल अपने आनंद को प्रकट कर सकती है परंतु कवि अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए रो भी नहीं सकता। कवि का सस्वर रोना भी गुनाह समझा जाता है। रोने के कारण उसे दंड तक मिल सकता है।

 प्रश्न 8: कवि के स्मृति पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?

उत्तर: कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी-भरी डालियों पर बैठकर अपने मधुर स्वर से सारे वातावरण को गुंजायमान करती थी। उसके मधुर गीतों में खुशियाँ झलकती थीं। परंतु अब वह अपनी इन विशेषताओं को नष्ट करने पर तुली है। वह बावली-सी होकर चीख रही है।

प्रश्न 9: हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?

उत्तर: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनकारियों के लिए देश के नाम  हथकड़ियाँ पहनना भी गर्व और सम्मान की बात थी। उनसे उनका गौरव कभी कम नहीं हुआ, वरन् समाज ने उन्हें उन हथकड़ियों के लिए और अधिक प्रतिष्ठा दी। इसलिए हथकड़ियों को कवि के द्वारा गहना कहा गया है। 

प्रश्न 10: 'काली तू.... ऐ आली।'-- इन पंक्तियों में 'काली' शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए। 

उत्तर: उपर्युक्त पंक्तियों में 'काली' शब्द का प्रयोग अनेक अर्थों में होने के कारण यहाँ यमक अलंकार है। पंक्तियों में 'काली' शब्द विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। जैसे--- 

(i)  काले रंग के अर्थ में--

         काली तू, रजनी भी काली,

         टोपी काली, कमली काली,

         मेरी लौह-शृंखला काली 

(ii) अन्याय के अर्थ में--

         शासन की करनी भी काली 

         मेरी काल कोठरी काली

 (iii) भयानकता के अर्थ में--

         काली लहर, कल्पना काली

प्रश्न 11: काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए--

(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?

उत्तर: (i) पंक्ति प्रश्न शैली में है, जो कथन को प्रभावात्मक बनाता है।

(ii) 'दावानल', 'ज्वाला' जैसे तत्सम शब्दों का सहज प्रयोग किया गया है।

(iii) पंक्ति में देशप्रेमियों अथवा देशवासियों पर अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को और अंग्रेजों के विरुद्ध चारों ओर छा रही क्रांति को दावानल की ज्वाला कहा गया है।

(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!

       देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!

उत्तर:  (i) पंक्तियों में कोयल की मधुर आवाज और कवि को मिली यातनाओं का तुलनात्मक और मार्मिक वर्णन है।

(ii) 'बजा रही तिस पर रणभेरी' में कोयल का बहुत सुंदर मानवीकरण हुआ है। कोयल को यहाँ रणभेरी बजाने वाली स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। 

(iii) भाषा अत्यंत सरल, प्रवाहमयी, संगीतात्मक और तुकांत है।

(iv) 'तेरी-मेरी' में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

(v) खड़ीबोली, तत्सम और उर्दू शब्दों का सुंदर प्रयोग है।

प्रश्न 12: कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?

उत्तर: किसी भी पक्षी के चहकने की आवाज मन को प्रसन्न कर देती है। लेकिन उन सभी में कोयल का कूकना किसीके भी मन को बहुत अधिक छू लेता है। उसका स्पष्ट और मधुर स्वर कवि के मन को भी स्पर्श कर गया होगा। इसलिए कवि ने कोकिला की ही बात की होगी।

प्रश्न 13: आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?

उत्तर: स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेज शासन के लिए बड़ा खतरा बन कर उभर रहे थे। इसलिए उनका मनोबल तोड़ने के लिए अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाता होगा।

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