माटी वाली, प्रश्नोत्तर, कृतिका-1, कक्षा:9, हिंदी 'अ'



माटी वाली 

प्रश्न 1: 'शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी पहचानते हैं।'-- आपकी समझ से वह कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते 'माटी वाली' को सब पहचानते थे? 

उत्तर: शहरवासी माटी वाली के कंटर तक को अच्छी तरह पहचानते थे, क्योंकि शहर भर के घरों में माटी पहुँचाने वाली वह अकेली औरत थी। माटी वाली और उसके द्वारा लाई जाने वाली मिट्टी शहर के हर घर की जरूरत थी।

 प्रश्न 2: माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

उत्तर: माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने तक का समय नहीं था। उसके भाग्य में तो सुबह से शाम तक काम ही काम लिखा हुआ था, जिससे उसे कभी फुर्सत नहीं मिलती थी। काम न मिलने पर उसे भूखा रहना पड़ता। दो व्यक्तियों की खातिर दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी उसे कठोर परिश्रम करना पड़ता था।

प्रश्न 3: 'भूख मीठी कि भोजन मीठा' से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: कई बार अत्यधिक भूख लगने के कारण हमें सामान्य भोजन भी स्वादिष्ट लगने लगता है। रोटी चाहे रूखी हो या चाय-साग आदि के साथ खाई जाए, भूख के समय वह हमेशा मीठी प्रतीत होती है। रोटी के स्वाद का वास्तविक कारण हमेशा भूख होती है। व्यक्ति के सम्मुख परोसा गया स्वादिष्ट भोजन भी व्यर्थ है, जब तक उसे खुल कर भूख न लगे।

प्रश्न 4: 'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।'-- मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर: किसी व्यक्ति अथवा परिवार को विरासत में मिली हुई वस्तुएँ हमेशा अनमोल लगती हैं। इनका महत्व अथवा मूल्य इनके बाजार भाव से नहीं आँका जा सकता। यह तो पूर्वजों की कड़ी मेहनत से  कमाई गई अविस्मरणीय निशानी होती हैं। तात्कालिक लाभ के लिए इन्हें बेचना उचित नहीं है। परिवार पर अथवा जान पर ही कोई संकट आ जाए तो पुरखों की संपत्ति को बेचने से इनकार भी नहीं करना चाहिए, परंतु सहज स्वाभाविक स्थितियों में हमें उन्हें सुरक्षित रखना चाहिए। 

प्रश्न 5: माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?

उत्तर: माटी वाली अत्यंत गरीब महिला है। उसे कभी मनचाहा स्वादिष्ट खाना अथवा भरपेट भोजन प्राप्त नहीं होता। उसे इस बात का हमेशा ध्यान रखना पड़ता है कि लोगों द्वारा खाने के लिए उसे दी गई रोटियों में से कितनी वह खा सकती है और कितनी पति के लिए बचा सकती है। रोटियों का इस तरह हिसाब लगाया जाना उसकी अत्यंत गरीबी और दयनीय स्थिति को दर्शाता है।

प्रश्न 6: आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी।-- इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: उपर्युक्त कथन के आधार पर कहा जा सकता है कि माटी वाली भले ही अत्यंत गरीब है, परंतु उसका मन कोमल मानवीय भावनाओं से संपन्न है। उसके मन में अपने बूढ़े हो चुके बीमार और विस्तर लग चुके विवश पति से गहरा प्रेम और लगाव है। जबसे उसका पति दयनीय शारीरिक हालत में पहुँचा है, उसके प्रति वह और अधिक दया की भावना दर्शाती है।

प्रश्न 7: 'गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।'- इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कथन का आशय है-- गरीब आदमी के रहने का ठिकाना छिना नहीं जाना चाहिए। किसी स्थान पर मुश्किल से एक बसेरा बनाकर रहने वाले गरीब व्यक्ति अपने उस स्थान से उजड़ कर दूसरे-तीसरे स्थानों पर बसने में समर्थ नहीं होते। मर-मिटकर किसी तरह बनाई गई एक झोपड़ी ही उनके जीवन-मरण का ठिकाना होता है, जहाँ रोज वे मर-मर कर जीते हैं। इसके उजड़ जाने पर अथवा उस स्थान से विस्थापित होने पर भला वे कहाँ जाएँगे और कहाँ रहेंगे?

प्रश्न 8: 'विस्थापन की समस्या' पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर: बिजली उत्पादन के लिए अथवा बाढ़ की समस्याओं से जूझने के लिए कई बार नदियों पर बाँध बनाए जाते हैं। बड़े-बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए, बड़े और लंबे रास्ते बनाने के लिए अथवा रेलवे लाइन बिछाने के लिए भी कई बार उनसे होकर गुजरने वाली जमीन को सरकार अपने अधिकार में ले लेती है। उस जमीन पर रहने वाले लोगों को विस्थापित किया जाता है। उन्हें मुआवजा देने का वचन देकर उनसे उनकी जमीन और रोजी-रोटी छीन ली जाती है। परंतु बाद में सरकार अपने कर्तव्यों से और वादों से मुकर जाती है। टिहरी बाँध इसका ज्वलंत उदाहरण है। लोग पुरानी टिहरी को नहीं छोड़ना चाहते थे, परंतु सरकारी दबाव के चलते उन्हें नई टिहरी में विस्थापित होना पड़ा। इसका असर यह हुआ कि लोगों को पूर्वजों की विरासत को छोड़ना पड़ा और अपनी रोजी-रोटी भी गँवानी पड़ी। बहुत सारों लोगों का जीवन तो पहले से भी बदतर होता गया। अतः सरकार को चाहिए कि इस विषय में वह गंभीरता से सोचे।  किसी गरीब, मज़दूर के जीवन में विस्थापन की स्थिति न आए अथवा उनके जीवन में अपनी विरासत की भूमि अथवा पेशा छोड़ने की स्थिति न आए, सरकार इस पर भी विचार करे। 

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