कालिदास
पुष्पेषु जाती
नगरेषु काञ्ची
नारीषु रंभा
पुरुषेषु विष्णु:।
नदीषु गंगा
नृपतिषु राम:
काव्येषु माघः
कवि कालिदास:।।
का लि दा स

भारत के प्राचीन काल में गुप्त वंश के राजा द्वितीय चंद्रगुप्त सम्राट विक्रमादित्य के नाम से भी जाने जाते थे। कहा जाता है कि कालिदास इन्हीं सम्राट विक्रमादित्य के सभा कवि थे और उनके नवरत्नों में अन्यतम रत्न थे। ज्यादातर इतिहासविदों का यह मानना है कि कालिदास ईस्वी चौथी शताब्दी के अंतिम काल से पांचवी सदी के प्रारंभिक काल तक जीवित थे।
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