कबीर की साखियाँ/शब्दार्थ
कबीर की साखियाँ
शब्दार्थ:
मानसरोवर ---- हिमालय पर स्थित पवित्र सरोवर, पवित्र मन
सुभर ---------- अच्छी तरह से भरा हुआ, शुभ्र, निर्मल
हंसा ------------ हंस, साधक अथवा भक्त
केलि ----------- क्रीड़ा, खेल
मुकताफल ---- मोती
मुकता --------- मुक्त होकर, आजाद होकर
अनत --------- अन्यत्र, और कहीं
हस्ती ---------- हाथी
दुलीचा -------- कालीन, छोटा आसन
डारी ----------- डालकर
स्वान ---------- कुत्ता
झख मारि ----- वक्त बर्बाद करते हुए
पखापखी ----- पक्ष-विपक्ष
कारनै ---------- कारण से
जग ------------ संसार, दुनिया
भुलान --------- भूला हुआ
निरपख -------- निष्पक्ष
सोई ------------ वही
सुजान --------- ज्ञानी व्यक्ति
मूआ ----------- मर गया
जीवता -------- जीवित रहता है
दुहुँ ------------- दोनों
काबा ---------- मुसलमानों का पवित्र तीर्थ
कासी --------- काशी, वाराणसी, हिंदुओं का पवित्र तीर्थस्थल
भया ----------- हो गया
मोट चून ------ मोटा दाना
जीम ---------- भोजन करना
जनमिया ----- जन्म लेने वाला
करनी --------- कर्म, कार्य, क्रिया-कलाप
सुबरन कलस -- सोने का कलश अथवा घड़ा
सुरा ------------ शराब
सबद(1):
मोकों ---------- मुझे
बंदे ------------- मनुष्य, भक्त
देवल ----------- देवालय, मंदिर
क्रिया-कर्म ----- पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन आदि
तुरतै ------------ तुरंत, शीघ्र ही
तालास --------- खोज, तलाश
।।
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