रस निष्पत्ति/भाग 1
रस निष्पत्ति/भाग 1
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: रस किसे कहते हैं?
उत्तर: काव्य अथवा साहित्य को पढ़ने, सुनने अथवा देखने से जिस आनंद की प्राप्ति होती है, उसे रस कहते हैं।
प्रश्न 2: आचार्य भरत मुनि ने रस के विषय में क्या कहा है?
उत्तर: आचार्य भरत मुनि ने रस के विषय में कहा है--
'विभावानुभावव्यभिचारीसंयोगाद्रसनिष्पत्ति:'
अर्थात्
विभाव, अनुभव और व्यभिचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।
प्रश्न 3: रस के चार मुख्य अवयवों/अंगों के नाम लिखिए:
उत्तर: रस के चार प्रमुख अवयव हैं --
(i) स्थायी भाव, (ii) विभाव, (ii) अनुभाव और (iv) संचारी अथवा व्यभिचारी भाव
प्रश्न 4: भाव किसे कहते हैं? ये मुख्यत: कितने प्रकार के होते हैं? उनके नाम लिखिए:
उत्तर: मन के विकार अथवा आवेग को भाव कहते हैं। यह मुख्यत: २ (दो) प्रकार के होते हैं। वे हैं--
(i) स्थायी भाव और (ii) व्यभिचारी या संचारी भाव
प्रश्न 5: स्थायी भाव किसे कहते हैं? इनकी संख्या कितनी है?
इनके नाम लिखिए:
उत्तर: मानव मन में सुषुप्त अवस्था में स्थायी रूप से रहने वाले मनोविकार अथवा भावों को स्थायी भाव कहते हैं। अनुकूल परिस्थितियाँ पाते ही हमारे मन के स्थायी भाव रस रूप में परिणत हो जाते हैं।
स्थायी भाव ९ (नौ) माने गए हैं। वे हैं:
(i) रति अथवा प्रेम, (ii) हास (परिहास), (iii) उत्साह, (iv) शोक, (v) क्रोध, (vi) भय, (vii) जुगुप्सा अथवा घृणा, (viii) विस्मय अथवा आश्चर्य और ( ix) वैराग्य, निर्वेद, शांति, शम अथवा उदासीनता।
कुछ व्याकरणविद अथवा रसविज्ञ संतान अथवा बच्चों के प्रति प्रेम और भगवान के प्रति प्रेम को भी स्थायी भाव मानते हैं।
प्रश्न 6: रस कितने प्रकार के होते हैं? उनके नाम लिखिए:
उत्तर: रस मूलतः ९ (नौ) प्रकार के होते हैं। वात्सल्य और भक्ति रस के साथ रसों की कुल संख्या ११(ग्यारह) है, जिनके नाम निम्नानुसार हैं:
(i) शृंगार, (ii) हास्य, (iii) वीर, (iv) करुण, (v)रौद्र, (vi) भयानक, (vii) वीभत्स, (viii) अद्भुत, (ix) शांत, (x) वात्सल्य और (xi) भक्ति रस।
प्रश्न 7: सभी रसों के नामों के विपरीत उनके स्थायी भावों के नाम लिखिए:
उत्तर:
रस ---------------- स्थायी भाव
(i) शृंगार --------------- रति
(ii) हास्य --------------- हास
(iii) वीर ---------------- उत्साह
(iv) करुण ------------- शोक
(v) रौद्र ------------------ क्रोध
(vi) भयानक ---------- भय
(vii) वीभत्स ----------- जुगुप्सा/घृणा
(viii) अद्भुत ------------ विस्मय/आश्चर्य
(ix) शांत ---------------- वैराग्य
(x) वात्सल्य ------------ बच्चों के प्रति प्रेम
(xi) भक्ति ---------- भगवान के प्रति प्रेम
प्रश्न 8: संचारी भाव की परिभाषा लिखिए:
उत्तर: आश्रय के मन में उत्पन्न होने वाले अस्थिर (चंचल) मनोविकारों को संचारी अथवा व्यभिचारी भाव कहा जाता है। एक ही संचारी भाव का संबंध कई रसों के साथ हो सकता है। ये पानी के बुलबुलों के समान क्षणस्थायी होते हैं और स्थायी भाव को रस की परिपक्वता तक पहुँचा कर शांत हो जाते हैं। व्याकरण में आचार्यों ने संचारी भावों की संख्या 33(तैंतीस) मानी है।
प्रश्न 9: विभाव किसे कहते हैं? इसके कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए:
उत्तर: जो व्यक्ति, वस्तु, प्रसंग अथवा परिस्थितियाँ स्थायी भाव को जागृत या उद्दीप्त करती हैं, उन्हें विभाव कहते हैं। विभाव के दो भेद हैं -- (i) आलंबन और (ii) उद्दीपन।
प्रश्न 10: आलंबन किसे कहते हैं? इसके कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए:
उत्तर: मानव हृदय के स्थायी भाव को जगाने वाले तत्व अथवा कारणों को आलंबन कहते हैं। इसके दो भेद हैं-- (i) आश्रय तथा (ii) विषय।
प्रश्न 11: आश्रय और विषय किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए:
उत्तर: जिस पात्र के हृदय में भावों की उत्पत्ति होती है, उसे आश्रय कहते हैं और जिसे देखकर भावों का प्रवर्तन होता है, उसे विषय कहते हैं।
उदाहरण स्वरूप, राम को देखकर सीता के मन में प्रेम की भावना जगी। यहाँ 'सीता' आश्रय है और 'राम' विषय है।
प्रश्न 12: उद्दीपन किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए:
उत्तर: आश्रय के मन के स्थायी भाव को उद्दीप्त करने वाले अथवा और अधिक तीव्र करने वाले विषय के बाहरी रंग-रूप, चेष्टाएँ और बाहरी वातावरण को उद्दीपन कहते हैं। जैसे: रामायण में सीता स्वयंवर के समय टूटे धनुष को देखकर अथवा लक्ष्मण के कटु वचनों को सुनकर परशुराम का क्रोधित होना।
प्रश्न 13: अनुभाव किसे कहते हैं? समझाइए:
उत्तर: स्थायी भाव जगने के बाद आश्रय में स्वतः आए शारीरिक अथवा मानसिक विकार/परिवर्तनों को अनुभाव कहते हैं। इनसे सूचना मिलती है कि आश्रय के ह्रदय में विशेष अनुभूतियाँ क्रियाशील हो चुकी हैं। जैसे-- कृष्ण को देखकर राधा का लजाना, आँखें झपकाना, कृष्ण की ओर लपकना आदि।
प्रश्न 14: अनुभाव के मुख्यतः कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए:
उत्तर: अनुभाव के मुख्यत: चार भेद हैं। वे हैं-- (i) सात्विक अनुभाव, (ii) कायिक अनुभाव, (iii) मानसिक अनुभाव और (iv) आहार्य अनुभाव।
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