शब्द निर्माण/ समास

 


शब्द निर्माण/ समास

प्रश्नोत्तर:

प्रश्न 1: समास किसे कहते हैं? समझाइए:

उत्तर: दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से नए शब्द बनाने की क्रिया को समास कहते हैं। इस विधि से बने शब्दों को समस्तपद कहते हैं। जब समस्तपदों को पृथक किया जाता है, उसे समास विग्रह कहते हैं। जैसे:

रसोईघर ---- रसोई के लिए घर

नवग्रह ----- नौ ग्रहों का समूह, आदि।


प्रश्न 2: समास के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए:

उत्तर: समास के ६ (छह) भेद हैं। उनके नाम हैं:

(क) अव्ययीभाव समास,

(ख) तत्पुरुष समास,

(ग) कर्मधारय समास,

(घ) द्विगु समास,

(ङ) द्वंद्व समास और 

(च) बहुव्रीहि समास


प्रश्न 3: अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए:

उत्तर: जिस समास में समस्तपद का पहला पद अव्यय हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसका पहला पद प्रधान होता है। इस प्रक्रिया से बना समस्तपद भी अव्यय की भाँति कार्य करता है। जैसे:

(i)    प्रतिदिन ---- प्रत्येक दिन 

(ii)   आजन्म ---- जन्म से लेकर 

(iii)  आजीवन --- जीवन पर्यंत, जीवन भर 

(iv)  आमरण ---- मरण तक 

(v)   आसमुद्र ---- समुद्र तक 

(vi)  गली-गली -- प्रत्येक गली 

(vii) गाँव-गाँव --- प्रत्येक गाँव 

(viii) दिनोंदिन --- दिन ही दिन में

(ix)   निडर ------- डर रहित

(x)   प्रतिवर्ष ------ प्रत्येक वर्ष 

(xi)  भरपेट ------- पेट भर के 

(xii) यथानियम -- नियम के अनुसार 

(xiii) यथाविधि -- विधि के अनुसार 

(xiv) यथाशक्ति -- शक्ति के अनुसार

(xv) रातोंरात ----- रात ही रात में 

(xvi) साफ-साफ -- बिल्कुल साफ 

(xvii) हरघड़ी ----- घड़ी घड़ी 

(xviii) हाथोंहाथ -- हाथ ही हाथ में

(xix) यथोचित ---- जो उचित हो

(xx) यथाशीघ्र ---- जितना शीघ्र हो सके


प्रश्न 4: तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? सविस्तार समझाइए:

उत्तर: जिस समस्तपद में सम्मिलित दो शब्दों में अर्थ की दृष्टि से पूर्वपद गौण और उत्तरपद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। तत्पुरुष समास में समस्तपद बनाने की प्रक्रिया में शब्द समूह के बीच में आए कारक/विभक्ति चिन्ह या एकाधिक शब्द लोप हो जाते हैं। जैसे: 

(i) सर्वप्रिय ----- सब को प्रिय 

(ii) यशप्राप्त ---- यश को प्राप्त 

(iii) तुलसीकृत -- तुलसी द्वारा कृत

(iv) भुखमरा ---- भूख से मरा

(v) युद्धाभ्यास --- युद्ध के लिए अभ्यास 

(vi) गुरुदक्षिणा --- गुरु के लिए दक्षिणा

(vii) धर्मभ्रष्ट ------ धर्म से भ्रष्ट 

(viii) ऋणमुक्त --- ऋण से मुक्त 

(ix) समयानुसार -- समय के अनुसार 

(x) विद्यारंभ ------- विद्या का आरंभ 

(xi) राजसभा ----- राजा की सभा

(xii) जलमग्न  ---- जल में मग्न 

(xiii) पदारूढ़ ----- पद पर आरूढ़

(xiv) सिरदर्द  ----- सिर में दर्द 

(xv) प्राणहानि ----- प्राण की हानि

(xvi) वायुयान ----- वायु में चलने वाला यान

(xvii) रेलगाड़ी ---- रेल (पटरी) पर चलने वाली गाड़ी

(xviii) पर्णकुटी --- पर्ण (पत्ते) से बनी कुटी

(xix) शस्त्रविद्या --- शस्त्र चलाने की विद्या

(xx) धर्मविमुख ---- धर्म  से विमुख 


प्रश्न 5: कर्मधारय समास किसे कहते हैं? सविस्तार लिखिए। 

उत्तर: जिस समास में पूर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। 

कर्मधारय समास में कई बार पूर्वपद और उत्तरपद में उपमेय-उपमान संबंध भी होता है। जैसे:

(i) प्रधानाध्यापक --- प्रधान है जो अध्यापक

(ii) नीलगाय --------- नीली है जो गाय

(iii) अंधकूप --------- अंध (अँधेरा) है जो कुछ कूप (कुँआ)

(iv) कापुरुष --------- कायर है जो पुरुष

(v) कुबुद्धि ----------- कु (बुरी) है जो बुद्धि

(vi) पीतांबर --------- पीत है जो अंबर

(vii) नीलकमल ----- नीला है जो कमल

(viii) महात्मा -------- महान है जो आत्मा

(ix) महाराजा -------- महान है जो राजा

(x) वनमानुष --------- वन में रहने वाला मनुष्य

(xi) कमलनयन ------ कमल के समान नयन

(xii) घनश्याम ------- घन के समान श्याम

(xiii) प्राणप्रिय ------- प्राणों के समान प्रिय

(xiv) विद्याधन ------- विद्या रूपी धन

(xv) चरणकमल ----- कमल के समान चरण

(xvi) क्रोधाग्नि ------- क्रोध रूपी अग्नि

(xvii) करकमल ------ कमल के समान कर

(xviii) कनकलता ---- कनक के समान लता 

(xix) कुसुमकोमल --- कुसुम के समान कोमल 

(xx) मीनाक्षी ---------- मीन (मछली) के समान आँखों वाली


प्रश्न 6: द्विगु समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए:

उत्तर: जहाँ समस्तपद का पहला पद संख्यावाचक अथवा परिमाणवाचक विशेषण होता है, वहाँ द्विगु समास होता है। इस समास में दूसरा पद अथवा उत्तरपद प्रधान रहता है। जैसे:

(i) त्रिलोक ------ तीन लोकों का समूह

(ii) नवरात्र ------ नव (नौ) रात्रियों का समूह 

(iii) चवन्नी ------ चार आनों का समाहार 

(iv) नवरत्न ----- नौ रत्नों का समाहार

(v) तिरंगा ------- तीन रंगों का समाहार

(vi) चतुष्कोण -- चार कोनों का समूह

(vii) त्रिफला ---- तीन फलों का समाहार 

(viii) द्विगु ------- दो गौओं का समाहार

(ix) चौराहा ----- चार राहों का समाहार

(x) त्रिवेणी ------ तीन वेणियों का समाहार 

(xi) सप्ताह ----- सात दिनों का समाहार

(xii) शताब्दी --- शत (सौ) अब्दों (वर्ष) का समूह 

(xiii) सतसई --- सात सौ दोहों का समूह

(xiv) पंजाब ---- पाँच आबों (नदियों) का समूह 

(xv) त्रिभुवन --- तीन भुवनों का समूह 

(xvi) नवग्रह ---- नौ ग्रहों का समूह 

(xvii) अष्टसिद्धि ---- आठ सिद्धियों का समाहार 

(xviii) अष्टाध्यायी -- आठ अध्यायों का समाहार 

(xix) षटरस ---- षट् (छह) रसों का समूह 

(xx) चतुर्वेद ---- चार वेदों का समाहार 


प्रश्न 6: द्वंद्व समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए:

उत्तर: जिस समस्तपद में पूर्वपद और उत्तरपद-- दोनों समान हों, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। समास विग्रह करते समय द्वंद्व समास के मध्य में स्थित योजक चिह्न लुप्त हो जाता है। जैसे:

(i) गंगा-यमुना ----- गंगा और यमुना

(ii) हानि-लाभ ----- हानि और लाभ

(iii) भाई-बहन ---- भाई और बहन

(iv) राजा-रानी ---- राजा और रानी

(v) नर-नारी ------- नर और नारी

(vi) अमीर-गरीब -- अमीर और गरीब

(vii) खट्टा-मीठा --- खट्टा और मीठा

(viii) जन्म-मरण -- जन्म और मरण

(ix) आशा-निराशा -- आशा और निराशा

(x) माता-पिता ------ माता और पिता

(xi) धर्माधर्म ------- धर्म और अधर्म 

(xii) कर्तव्याकर्तव्य -- कर्तव्य और अकर्तव्य 

(xiii) उन्नतावनत --- उन्नत और अवनत 

(xiv) देश-विदेश --- देश और विदेश 

(xv) भूख-प्यास --- भूख और प्यास 

(xvi) राम-लक्ष्मण -- राम और लक्ष्मण 

(xvii) दिन-रात ----- दिन और रात 

(xviii) दाल-रोटी --- दाल और रोटी

(xix) आकाश-पाताल --- आकाश और पाताल 

(xx) गुरु-शिष्य ------ गुरु और शिष्य 


प्रश्न 7: बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं? सविस्तार लिखिए:

उत्तर: जब समास में आए पूर्वपद और उत्तरपदों को छोड़कर किसी तीसरे पद की प्रधानता हो, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। इस समास के समासगत पदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि पूरा समस्तपद ही किसी अन्य पद का विशेषण होता है। जैसे:

(i) लंबोदर ------- लंबा है उदर जिसका अर्थात गणेश

(ii) चक्रपाणि --- चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात श्रीकृष्ण  

(iii) नीलकंठ ---- नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव

(iv) षड़ानन -- षट् (छह) हैं आनन जिसके अर्थात कार्तिकेय

(v) चतुर्मुख ------ चार हैं मुख जिसके अर्थात ब्रह्मा 

(vi) दशानन ----- दस हैं आनन जिसके अर्थात रावण

(vii) अष्टभुजा --- आठ हैं भुजाएँ जिसकी अर्थात दुर्गा

(viii) पीतांबर ---- पीत है अंबर जिसका अर्थात श्रीकृष्ण

(ix) घनश्याम ---- घन के समान है जो श्याम अर्थात श्रीकृष्ण

(x) त्रिलोचन ----- तीन हैं लोचन जिसके अर्थात शिव

(xi) त्रिवेणी ---- तीन नदियों का संगमस्थल अर्थात प्रयागराज

(xii) वीणापाणि -- वीणा है पाणि में जिसके अर्थात सरस्वती

(xiii) एकदंत ----- एक ही दंत है जिसका अर्थात गणेश

(xiv) चतुर्भुज ---- चार हैं भुजाएँ जिसकी अर्थात विष्णु 

(xv) दीर्घबाहु --- दीर्घ (लंबी) हैं भुजाएँ जिसकी अर्थात विष्णु 

(xvi) निशाचर -- निशा(रात्रि) में विचरण करने वाला अर्थात राक्षस

(xvii) गिरिधर -- गिरि को धारण करने वाला अर्थात श्रीकृष्ण

(xviii) मुरलीधर -- मुरली धारण करता है जो अर्थात श्रीकृष्ण

(xix) पंचानन ---- पाँच हैं आनन जिसके अर्थात शिव

(xx) कमलनयन -- कमल जैसे नयन हैं जिसके अर्थात राम













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