अलंकार: भाग 2(अर्थालंकार)

 


अलंकार: भाग 2(अर्थालंकार)

प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1: अर्थालंकार किसे कहते हैं? इसके कुछ प्रमुख भेदों के नाम लिखिए:

उत्तर: जब शब्दों के अर्थ से साहित्य अथवा काव्यपंक्तियों में चमत्कार उत्पन्न हो तो उसे अर्थालंकार कहते हैं। अर्थालंकार में अर्थ के कारण काव्य पंक्तियों में आकर्षण पैदा होता है। 

अर्थात् 

काव्य अथवा साहित्य में शब्द के कारण चमत्कार उत्पन्न होने पर शब्दालंकार माना जाता है और अर्थ के कारण चमत्कार अथवा आकर्षण पैदा होने पर अर्थालंकार माना जाता है।

अर्थालंकार के अनेकों भेद हैं। उनमें से कुछ प्रमुख भेद हैं-- 

(क) उपमा अलंकार,

(ख) रूपक अलंकार,

(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार,

(घ) अतिशयोक्ति अलंकार,

(ङ) मानवीकरण अलंकार आदि।

प्रश्न 2: उपमा अलंकार की परिभाषा सविस्तार लिखिए: 

उत्तर: जहाँ एक वस्तु अथवा प्राणी के गुण अथवा धर्म की तुलना अन्य किसी प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी के समान गुण अथवा धर्मों से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। जैसे:-- 

सीता का मुख चंद्रमा के समान सुंदर है।

उपमा अलंकार में जिस वस्तु की तुलना की जाती है, उसे उपमेय कहा जाता है।

जिस प्रसिद्ध वस्तु से उपमेय की समानता की तुलना की जाती है, उसे उपमान कहा जाता है।

'सीता का मुख चंद्रमा के समान सुंदर है।' -- इस उदाहरण में 'सीता का मुख' उपमेय है और 'चंद्रमा' उपमान है।

उपमा अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण:

(क) पीपर पात सरिस मन डोला

(ख) हरिपद कोमल कमल से 

(ग) मुख बाल रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ

(घ) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा 

(ङ) यह देखिए, अरविंद-से शिशुवृंद कैसे सो रहे

(च) हाय फूल-सी कोमल बच्ची हुई राख की थी ढेरी 

(छ) कर कमल-सा कोमल है

(ज) सिंधु-सा विस्तृत है अथाह एक निर्वासित का उत्साह

(झ) नील गगन-सा शांत हृदय था हो रहा

(ञ) फूलों-सा चेहरा तेरा कलियों-सी मुस्कान है

प्रश्न 3: रूपक अलंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए: 

उत्तर: जहाँ गुणों की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है। जैसे:

(क) पायो री मैंने राम-रतनधन पायो 

(ख) मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहौं

(ग) चरण-कमल बंदौं हरिराई 

(घ) स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय-जलजात 

(ङ) मन-सागर मनसा-लहरी बूड़े बहे अनेक 

(च) जलता है यह जीवन-पतंग 

(छ) वन शारदी चंद्रिका-चादर ओढ़े

(ज) चरण-सरोज पखारन लागा 

(झ) कर जाते व्यथा भार लघु 

       बार बार कर-कंज बढ़ाकर

(ञ) प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा

प्रश्न 4: उदाहरण सहित उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा लिखिए:

उत्तर: जिस काव्य पंक्ति में अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान की संभावना या कल्पना कर ली जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। 

इस अलंकार को कुछ बोधक शब्दों के द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है। जैसे:

मनो, मनु, मानो, मनहु,  ज्यों, जानो, जनु, जनहु, जैसा, जैसे, जैसी आदि।

उत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ उदाहरण निम्नानुसार हैं---

(क) सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात

       मनहुँ नीलमनि सैल पर आतप परयो प्रभात

(ख) उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा

       मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा

(ग) पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के

      मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के

(घ) चमचमात चंचल नयन, बिच घूँघट पट झीन

      मनहु सुरसरिता विमल, जल उछल जुग मीन

(ङ) पुलक प्रकट करती धरती हरित तृणों की नोकों से   

      मानो  झूम  रहे हों तरु भी मंद  पवन के  झोंकों से

प्रश्न 5: अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए:

उत्तर: जहाँ किसी कथन, प्रसंग या स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। 

जैसे: 

देख लो साकेत नगरी है यही 

स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही

यहाँ 'साकेत नगरी' के ऊँचे भवनों को आकाश की ऊँचाई छूते हुए दिखाया गया है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

अतिशयोक्ति अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण हैं:

(क) हनुमान की पूँछ में लग न पाई आग 

       लंका सगरी जल गई गए निशाचर भाग

(ख) आगे नदिया पड़ी अपार 

        घोड़ा कैसे उतरे पार 

        राणा ने सोचा इस पाङर 

        तब तक चेतक था उस पार

(ग) भूप सहस दस एकहिं बारा

      लगे उठावन टरत न टारा 

(घ) वह शर इधर गांडीव धनुष गुण से जैसे ही हुआ

      धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ 

(ङ) कढ़त साथ ही म्यान तें असि रिपु तन ते प्रान

प्रश्न 6: मानवीकरण अलंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए:

उत्तर: जहाँ जड़ प्राकृतिक उपादानों पर मानवीय क्रियाओं और भावनाओं का आरोप होता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है। जैसे:

उषा सुनहले तीरे बरसती 

जय लक्ष्मी-सी उदित हुई 

यहाँ 'उषा' को 'सुनहले' अर्थात सुनहरे तीर बरसाती हुई नायिका के रूप में दिखाया गया है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

मानवीकरण अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण हैं:

(क) दिवसावसान का समय

       मेघमय आसमान से उतर रही

       संध्या सुंदरी परी-सी धीरे धीरे 

(ख) तनकर भाला यूँ बोल उठा

       राणा मुझको विश्राम न दे 

(ग) गरज कहती घटाएँ हैं 

      नहीं होगा उजाला फिर

(घ) सागर के उर पर नाच नाच

      करती हैं लहरें मधुर गान

(ङ) गुलाब खिल कर बोला--

      मैं आग का गोला नहीं,

      प्रीत की कविता हूँ

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