निबंध/अनुच्छेद लेखन




1: हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व

मोबाइल फ़ोन का नाम आते ही हम सोचते हैं कि एक समय वह भी था जब डाकियों और कबूतरों के माध्यम से संदेश भिजवाए जाते थे। बाद में चिट्टी-पत्री के माध्यम से संदेश भेजने का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें महीनों बाद भी संदेश नहीं पहुँच पाता था। परंतु आज मोबाइल फ़ोन से हम इस तरह बातें करने लगे हैं, मानो आमने-सामने बैठे बातें कर रहे हों।

मोबाइल फ़ोन के बढ़ते प्रयोग के कारण संचार की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव आ गया है। मोबाइल फ़ोन से बात करना जहाँ सस्ता है वहीं यह सर्वसुलभ भी होता जा रहा है। तार, टेलीग्राम, लैंडलाइन फोन से लोगों को वह सुविधाएँ नहीं मिल पाती थीं, जो मोबाइल फ़ोन से बातें करने में मिल जाती हैं। पहले लैंड लाइन फ़ोन की बुकिंग, फिर उसे लगवाने का खर्च और महीने के अंत में भारी भरकम बिल। इसका लाभ हर एक के वश की बात नहीं थी। ऐसे फ़ोन पर हमें वहीं चलकर बात करनी होती थी जहाँ फ़ोन रखा होता था। मोबाइल फ़ोन से यह बाधाएँ खत्म हो गई हैं। अब तो हर कोई इसका प्रयोग कर रहा है। सचमुच संचार जगत में क्रांतिकारी बदलाव लाने का श्रेय मोबाइल फ़ोन को जाता है।

मोबाइल फ़ोन वास्तव में ही सुविधाजनक है। इसकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ती ही जा रही है। आज मोबाइल फोन रु. 500 से लेकर कई हज़ार की कीमत तक उपलब्ध हैं। खरीदने वाले अपनी सुविधानुसार खरीद रहे हैं। मोबाइल फ़ोन खरीदने के लिए बहुत दूर-दराज तक जाने की कोई जरूरत नहीं होती। हर गली-मोहल्ले में आजकल मोबाइल फोन की कई दुकानें मिल जाती हैं।

अब तो बस ऑर्डर मात्र करने पर भी अमेजन, फ्लिपकॉर्ट, शॉप-क्लूस जैसी कंपनियाँ हमारी सुविधा के अनुसार हमारे दरवाज़े पर ही वे आने को तैयार खड़ी हैं। मोबाइल फोन जेब में हो तो हम घर, बाहर, दफ्तर, देश,  विदेश कहीं भी बातें कर सकते हैं। यात्रा करते हुए बस, ट्रेन, वायुयान में भी अपने निकट संबंधियों से जुड़े रह सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल फ़ोन पर बातें करना सस्ता और सस्ता होता जा रहा है।

तकनीकी में आते बदलाव का असर मोबाइल फ़ोन पर भी दिखाई पड़ने लगा है। कुछ समय पहले तक इनका आकार इतना बड़ा होता था कि ये जेब से बाहर दिखते रहते थे। ये फ़ोन महँगे भी इतने होते थे कि लोग इन्हें बात-बात पर दिखाने का प्रयास करते थे। आजकल मोबाइल फ़ोन के आकार में ही बदलाव नहीं आया है, बल्कि फ़ोटो खींचने, फ़िल्में बनाने और देखने, अपनी फ़ोटो स्वयं खींचने के अलावा गाने सुनने, गणितीय समाधान निकालने जैसे कार्यों में भी इससे काम लिया जाने लगा है। इसमें कंप्यूटर की इतनी सारी खूबियाँ आ गई हैं कि इसे जेब में रखा जाने वाला कंप्यूटर तक कहा जा सकता है। मोबाइल फ़ोन के कारण अब निकट संबंधियों के बीच की दूरी इतनी सिमट गई है कि जब चाहे तब हम उनसे बात कर दूरियों को पाट सकते हैं।

मोबाइल फ़ोन सुविधाजनक तो बहुत है, पर गलत हाथों में इसका दुरुपयोग भी काफी होता है। कुछ लोग दूसरों के समय का ध्यान रखे बिना समय-असमय लंबे समय तक फ़ोन कर रहे होते हैं। विद्यार्थी दिन-रात गेम खेल कर अपनी पढ़ाई के साथ-साथ स्वास्थ्य भी खराब करते हैं।

मोबाइल फ़ोन विज्ञान का वरदान है। इसका सदुपयोग या दुरुपयोग करना मनुष्य के अपने हाथ में है। हम सबको यह चाहिए कि हम इस वरदान का भूलकर भी दुरुपयोग न करें।


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2: श्रम का महत्त्व 

मनुष्य के पास श्रम के अतिरिक्त कोई वास्तविक सम्पत्ति नहीं है। यदि यह कहा जाये कि श्रम ही जीवन है तो यह गलत न होगा। जीवन में श्रम अनिवार्य है। गीता में श्रीकृष्ण ने भी कर्म करने पर बल दिया है। मानव शरीर मिला है तो कर्म करना ही पड़ेगा।

जो पुरुषार्थ करता है वह पुरुष है। यह सारा संसार बड़े-बड़े नगर, गगनचुंबी भवन, हवाई जहाज, रेलगाड़ियाँ, स्कूटर तथा अन्य कई प्रकार के वाहन, विशाल कारखाने, टी.वी. तथा सिनेमा आदि सभी वैज्ञानिक आविष्कार मानव के पुरुषार्थ की कहानी ही कहते हैं।

कर्म करना जीवन है तो कर्म का न करना मृत्यु। श्रम न करने से जीवन नर्क बनता है और कर्म करने से स्वर्ग। ईमानदारी के साथ श्रम करने से मानव फरिश्ता कहलाता है और श्रम न करने से शैतान। जैसा कि, कहा भी गया है-- खाली दिमाग शैतान का घर होता है। श्रम दो प्रकार का होता है – शारीरिक तथा मानसिक। किसी वस्तु, अर्थ (धन) अथवा उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किये गये प्रयत्न का नाम श्रम है। श्रम करके चित्त प्रसन्न होता है। शरीर तंदरूस्त रहता है। व्यक्ति उन्नति करे अथवा न करे परिवार अथवा समाज में सम्मान मिल सकता  है । किन्तु यह नहीं हो सकता कि व्यक्ति श्रम करे और वह उन्नति न करे । श्रम करने वाला व्यक्ति सदैव उन्नति करता है ।

बड़े-से-बड़े तेज और समर्थ व्यक्ति तनिक आलस्य से जीवन की दौड़ में पिछड़ जाते हैं, किन्तु श्रम करने वाले तनिक दुर्बल व्यक्ति भी दौड़ में आगे निकल जाते हैं। इस सम्बन्ध में कछुए और खरगोश की कहानी को स्मरण किया जा सकता है। खरगोश तेज गति से चलता है। वह अपने तेज चलने पर बहुत गर्व करता है। सबको मालूम है कि कछुआ बहुत धीमी गति से चलता है। दोनों की दौड़ होती है। कछुआ लगातार चलता रहता है तथा परिणामस्वरूप गंतव्य पर पहले पहुँच जाता है । किन्तु खरगोश आलस्य करता है और पिछड़ जाता है। निरंतर श्रम करने वाला व्यक्ति कभी भी हारता नहीं है। मेहनत के बूते पर अति साधारण छात्र भी की बार चकित करने वाले परिणाम दे जाते हैं । दूसरी ओर होनहार और मेधावी छात्र भी अपने आलस्य के कारण कुछ नहीं कर पाते। सेमुअल जॉनसन ने कहा है-- "जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता श्रम द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। इससे कम मूल्य पर इसको खरीदा ही नहीं जा सकता। ”

श्रम प्रत्येक मनुष्य जाति तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए अनिवार्य है । मनुष्य जितना श्रम करता है उतनी ही उन्नति कर लेता है । हमारे देश में कई उद्योग घराने हैं । बिरला और टाटा के नाम को कौन नहीं जानता । उन्होंने व्यापार जगत के बड़े बड़े साम्राज्य स्थापित कर रखे हैं ।

यह सब उनके श्रम का ही परिणाम है। पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री देश और जनता की सेवा में निरंतर अपने श्रम के कारण ही देश के प्रधानमन्त्री बन सके। आइंस्टीन ने श्रम किया और वे विश्व के सबसे महान वैज्ञानिक बन गए।

अमरीका, रूस, जापान तथा इंग्लैण्ड ने श्रम के माध्यम से ही उन्नति की है और आज विश्व के सबसे समृद्ध देश बन गए हैं। श्रम से व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। श्रम से वह नेता बनता है। श्रम से वह अभिनेता बनता है। फिल्मी अभिनेताओं का जीवन बहुत सुन्दर और आकर्षक लगता है, परंतु यह सब संभव होता है श्रम के बल पर ही। हर कोई अभिनेता बनना चाहता है किन्तु सफल अभिनेता बनना इतना सरल भी नहीं है। एक सफल अभिनेता का जीवन घोर तपस्या का जीवन होता है। कठिन श्रम के द्वारा ही वे सुपरस्टार बनने में सफल होते हैं। क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर तथा कपिलदेव ने भी कम परिश्रम नहीं किया। यहाँ तक कि साधु-संन्यासी भी श्रम एवं तपस्या करके ही ईश्वर से साक्षात्कार करते हैं। महात्मा बुद्ध, ईसा मसीह, स्वामी दयानंद सरस्वती -- सबका जीवन श्रम से परिपूर्ण था। अत: यह कहना अनुचित न होगा कि श्रम के बिना कुछ भी कर पाना संभव नहीं है। किन्तु एक बात जो ध्यान देने योग्य है कि श्रम चाहे मानसिक हो या शारीरिक, श्रम है।


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3: समय का सदुपयोग 

समय संसार की सबसे कीमती चीज है जो एक बार खो जाने पर दोबारा नहीं मिलता। यदि समय का सदुपयोग नहीं कर सके तो जीवन में हम कुछ भी हासिल नहीं कर पाएँगे।

हमारे जीवन में समय की भूमिका सबसे अधिक होती है। इसलिए हमें समय के मूल्य को पहचान कर समय का सदुपयोग करना है। समय बड़ा ही बलवान होता है। जो व्यक्ति समय के महत्व को समझेगा, उसे ही जीवन में कामयाबी मिलेगी।

समय सफलता की कुंजी है। समय निरंतर अपनी गति से चलता रहता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता, चाहे कोई राजा हो या फ़क़ीर। अतः हमें समयनिष्ठ रहना चाहिए और अपने कार्यों को समय के अनुसार करना चाहिए।

जीवन की सफलता की राह में समय की बर्बादी सबसे बड़ा दुश्मन होती है। हमें अपने किसी भी काम को न टालते हुए समय के अनुसार हर कार्य  को करना चाहिए। समय सबका संचालन करता है। समय हमेशा आगे की दिशा में चलता रहता है। अतः समय का कार्य समय पर करने वाला भी हमेशा आगे ही रहता है।

कबीर दास जी ने कहा है – 

काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।

 पल में परलय होयगी, बहुरी करेगो कब।।”

जैसे, किसी भी काम को हम टालते रहेंगे, आज नहीं कल और कल नहीं परसों करते रहेंगे तो ऐसा करने से वह थोड़ा-सा काम भी अधिक हो जाएगा। काम जब अधिक हो जाएगा तो उसका बोझ भी बढ़ता जाएगा |समय का सदैव सदुपयोग करें वरना यह नष्ट हो जाता है। समय का उपयोग कीमती धन से भी अधिक महत्वपूर्ण है।

समय का सदुपयोग करने के लिए बचपन से ही अपने अंदर अच्छी आदतें डालनी चाहिए, जैसे-- हमारा दैनिक कार्यों को हम कई खंडों में विभाजित करें। समय के अनुसार उठना, नहाना, नास्ता करना, स्कूल जाना, गृहकार्य-कक्षाकार्य करना, पढ़ना, सोना, खेलना, व्यायाम करना आदि कार्यों को हमें अपने नियमित समय पर ही करना चाहिए।

युवावस्था में समय का मूल्य सबसे अधिक होता है क्योंकि समय युवा के भविष्य को निर्धारित करता है। जो लोग समय के महत्व को समझ कर इसका सदुपयोग करते हैं वह जीवन में आगे बढ़ जाते हैं और जो लोग नहीं समझ पाते हैं वो लोग जीवन में पीछे रह जाते हैं।

समय सीमित होता है। हर किसी को अपने जीवन में समय के महत्व को समझते हुए समय का सदुपयोग करना चाहिए | मानव जीवन में समय सीमित होता है। जब व्यक्ति व्यर्थ काम में अपना समय नष्ट कर देता है तो उसे बाद में समझ आता है जब वह जीवन के सफर में पीछे रह जाता है।

हर कोई जो अपने जीवन में उन्नति करने की इच्छा रखता है, उसे अवश्य ही समयानुवर्ती होना चाहिए। समय का सदुपयोग करके निर्धन व्यक्ति  धनवान, निर्बल व्यक्ति सबल और मुर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। जो व्यक्ति समय का सही उपयोग करता है वह व्यक्ति अवश्य सफलता हासिल कर लेता है और जो व्यक्ति समय का दुरूपयोग करता है, वह जीवन में सबसे पीछे रह जाता है। जो समय के महत्व को नहीं समझ पाता, वह जीवन में कभी सफल नहीं होता है।


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