पुनरावृत्ति(क्षितिज/कृतिका)



पुनरावृत्ति(क्षितिज/कृतिका)
             

प्रश्नोत्तर:

प्रश्न 1: कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी?
उत्तर: कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि सभी पशु मवेशीखाने में हैं या नहीं। हाजिरी लेकर यह पता अथवा अनुमान लगाया जाता होगा कि कहीं कोई पशु भाग तो नहीं गया या उसकी चोरी तो नहीं हुई। 

प्रश्न 2: गधे में ऐसे कौन से गुण होते हैं जो ऋषि-मुनियों में देखने को मिलते हैं?
उत्तर: सुख-दुख, हानि लाभ, जय पराजय -- हर परिस्थिति में ऋषि-मुनि समान भाव रखते हैं। इसी प्रकार गधों पर भी सुख-दुख, हानि लाभ आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। गधे में भी ऋषि-मुनियों की तरह सहिष्णुता का भाव कूट-कूट कर भरा रहता है। इस तरह दोनों में कई सारे गुणों की समानताएँ दिखती है।

प्रश्न 3: छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?  
उत्तर: छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। उसकी सौतेली माँ उस पर बहुत अत्याचार करती थी। बैलों पर हुए अत्याचारों की तुलना भी वह अपने ऊपर हुए अत्याचारों से करती थी। उनके दुखों को वह भली-भाँति समझती थी। बैलों के प्रति इन्हीं आत्मीयता भरी भावनाओं के कारण छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया।

प्रश्न 4: कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं?
उत्तर: कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं; जैसे--
(i) स्वतंत्रता के लिए हमें सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए, 
(ii) अत्याचार का यथासंभव विरोध करना चाहिए, 
(iii) असहाय अवस्था में पड़े हुए शत्रु पर भी कभी वार नहीं करना चाहिए,
(iv) स्त्रियों का हमेशा सम्मान करना चाहिए और उन पर अत्याचार नहीं करना चाहिए,
(v) अपने अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करना चाहिए, आदि।

प्रश्न 5: किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
उत्तर: कहानी में अनेक ऐसी घटनाएँ हैं जिनसे पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी; जैसे--
(i) दोनों का एक दूसरे के प्रति विभिन्न ढंग से प्रेम प्रकट करना,
(ii) हल या गाड़ी में जोते जाने पर हर एक की यह चेष्टा होना  कि ज्यादा से ज्यादा बोझ उसी के कंधे पर पड़े,
(iii) हीरा के नाक पर गया के द्वारा डंडे बरसाए जाने पर मोती का गुस्से से बेकाबू हो जाना,
(iv) कांजीहौस से भागने का मौका मिलने पर भी मोती का न भागना और बँधे हुए मित्र हीरा के साथ ही उसका रह जाना,
(v) एक दूसरे को बचाने के लिए दोनों का एक साथ साँड़ पर आक्रमण करना और उस पर विजय पाना, आदि।

प्रश्न 6: किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
उत्तर: किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य का संबंध बहुत मधुर होता है। वे एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। वे परस्पर भावनात्मक संबंधों में बँधे होते हैं। पशु अपने मालिक या किसान को छोड़कर कहीं और जाना नहीं चाहता और किसान भी अपने पशुओं से बहुत प्यार करता है।

प्रश्न 7: आशय स्पष्ट कीजिए: 
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।

आशय: हीरा और मोती मौखिक संवाद किए बिना ही आपस की मन की बात समझ सकते थे। परस्पर प्रेम जताया करते थे। आपस के दुख-दर्द को बाँँटा करते थे। भले ही मनुष्य स्वयं को सभी प्राणियों में श्रेष्ठ और बुद्धिमान मानता है, किंतु उसमें भी यह शक्ति अथवा क्षमता नहीं होती कि वह एक दूसरे की मन की बात समझ सके।

(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
आशय: हीरा और मोती गया के घर बँधे हुए थे। वहाँ उन्हें हमेशा अपमानपूर्ण व्यवहार मिलता था। खाने के लिए उन्हें सिर्फ सूखा भूसा दिया जाता था। इसलिए वे बहुत नाराज थे। परंतु उस घर की एक नन्हीं-सी बालिका रात को उन्हें एक-एक रोटी खिला जाती थी। उन रोटियों से उनका पेट तो नहीं भरता था, परंतु हमेशा अपमान और घृणा का व्यवहार पा रहे उस घर में उन्हें उस बालिका का प्रेम मिल जाता था, जिससे वह प्रसन्न हो उठते थे। उन दो रोटियों से उनकी भूख तो नहीं मिटती थी, लेकिन हृदय जरूर तृप्त हो जाते थे।

प्रश्न 8: उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर: उस समय के तिब्बत में हथियार संबंधी कोई कानून न रहने के कारण लोग लाठी की तरह खुलेआम पिस्तौल, बंदूक आदि लिए फिरते थे। इसके अलावा डाकू यहाँ पहले यात्रियों को मार डालते थे, फिर देखते थे कि उनके पास पैसे हैं या नहीं। अतः यात्रियों को हर वक्त लूटे या मारे जाने का भय बना रहता था।

प्रश्न 9: लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर: लेखक का घोड़ा अत्यंत सुस्त स्वभाव का था। इसके अलावा वे रास्ता भटक कर एक-डेढ़ मील गलत रास्ते पर भी चले गए थे। इसलिए लङ्कोर के मार्ग में लेखक अपने साथियों से पिछड़ गए।

प्रश्न 10: लेखक ने शेकर विहार में सुमति को अपने यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर: दूसरी बार लेखक को मंदिर में रखी अनेक हस्तलिखित पुस्तकें मिल गई थीं। वह एकांत में उन पुस्तकों का अध्ययन करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस बार सुमति को यजमानों के पास जाने से नहीं रोका।

प्रश्न 11: अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा? 
उत्तर: अपनी यात्रा के दौरान लेखक को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। डाँड़े अथवा पहाड़ियों पर चढ़ने के लिए घोड़े लेने पड़े। निर्जन स्थानों में हथियारधारी चोर-डाकुओं का डर बना रहा। यात्रा से लौटते समय भद्र वेश में रहते हुए भी उन्हें रहने के लिए अच्छी जगह नहीं मिली। भरिया न मिलने के कारण भारी सामानों को खुद ढोकर चलना पड़ा। भिखमंगे के वेश में यात्रा करनी पड़ी, आदि।

प्रश्न 12: प्रस्तुत यात्रा-वृतांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर: उस समय के तिब्बती समाज में छुआछूत की प्रथा नहीं थी। स्त्रियों में पर्दा-प्रथा भी नहीं थी। वहाँ के निवासी अपरिचित मुसाफिरों तक पर विश्वास करते थे। हथियार संबंधी कोई कानून नहीं था। निर्जन स्थानों में लूटे या मारे जाने का भय बना रहता था। वहाँ के निवासी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। धर्मगुरुओं पर वे अत्यंत आस्था प्रकट करते थे।

प्रश्न 13: सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर: लगभग हर गाँव में सुमति के यजमान और परिचित लोगों के मिलने के आधार पर हम उनके बारे में यह अनुमान लगा सकते हैं कि वे अत्यंत लोकप्रिय व्यक्ति होंगे। उनके व्यवहार में लोगों के प्रति शायद काफी आत्मीयता होगी और एक आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में वे हर कहीं काफी प्रतिष्ठित होंगे।

प्रश्न 14: हमारे आचार-व्यवहार के तरीके कई बार हमारी वेश-भूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित? विचार व्यक्त करें।
उत्तर: किसी व्यक्ति के प्रति हमारे व्यवहार का आधार उस व्यक्ति के व्यक्तित्व, गुण-अवगुण और अन्य चारित्रिक एवं व्यवहारगत विशेषताएँ होनी चाहिए, उनकी वेश-भूषा नहीं। सम्मान हमेशा गुणों का होता है। वेश-भूषा, आभूषण, प्रसाधन आदि तो बाहरी आवरण हैं जो किसी के वास्तविक व्यक्तित्व को स्पष्ट नहीं करते।

प्रश्न 15 : किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर: बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कंठ की एक सुंदर गौरैया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वह गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में इस तरह जुट गए कि उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई और वे पक्षी-प्रेमी बन गए।

प्रश्न 16: लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?
उत्तर: 'मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।'-- यह कहकर फ्रीडा स्पष्ट करना चाहती हैं कि लॉरेंस को अपने घर-परिवार से भी ज्यादा पक्षी, पेड़-पौधे, प्रकृति-जगत से लगाव था। अपनी पत्नी फ्रीडा से भी ज्यादा समय तो वे पक्षी गौरैयों के बीच बिताते थे, जैसे गौरैये उनके अंतरंग साथी हों। लॉरेंस के इसी प्रकृति और पक्षीप्रेम को उद्घाटित करने के लिए फ्रीडा ने ऐसा कहा होगा।

प्रश्न 17: आशय स्पष्ट कीजिए--
(क) वो लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।

आशय: अंग्रेजी के बहुत बड़े उपन्यासकार और कवि डी. एच. लॉरेंस प्रकृति के बहुत बड़े प्रेमी थे। उनका जीवन भी प्रकृतिमय हो चुका था। उन्हीं की भाँति सालिम अली भी स्वयं को प्रकृति के प्रति समर्पित कर चुके थे। यहाँ तक कि वे स्वयं भी प्रकृति के समान सहज-सरल, भोले-भाले और निश्छल हो चुके थे।

(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा।
आशय: लेखक का कहना है कि सालिम अली की मृत्यु के बाद ऐसा पक्षी-प्रेमी और कोई नहीं होगा। सालिम अली रूपी पक्षी मृत्यु की गोद में सो चुका है। कोई अपने दिल की धड़कन देकर एवं अपने शरीर की हलचल उसके शरीर में डालकर भी उन्हें दोबारा जीवित नहीं कर सकता। उनका जैसा पक्षीप्रेमी प्रयासपूर्वक दोबारा पाया नहीं जा सकता। 

(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
आशयः सालिम अली प्रकृति के खुले संसार में खोज करने के लिए निकले। उन्होंने खुद को किसी सीमा के भीतर नहीं रखा। वह एक टापू की तरह किसी छोटे से स्थान विशेष में सीमित नहीं रहे। उन्होंने तो अथाह सागर की तरह प्रकृति जगत से अनेकों अनुभव बटोरे। उनका कार्यक्षेत्र किसी टापू की तरह सीमित नहीं बल्कि सागर की तरह विशाल था।

प्रश्न 18: 'साँवले सपनों की याद' पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: सालिम अली अनन्य प्रकृति प्रेमी थे। पक्षियों से उन्हें विशेष लगाव था। वे गले में हमेशा दूरबीन लटकाए रहते थे। उनके मन में पक्षियों की खोज करने का और उनकी सुरक्षा के उपाय खोजने का असीम चाव था। वह घुमक्कड़ स्वभाव के थे। लंबी यात्राओं ने उन्हें कमजोर कर दिया था। अपने दैनिक आचरण-व्यवहार में भी अत्यंत सीधे, सरल स्वभाव के इंसान थे।

प्रश्न 19: प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं? 
उत्तर: (i) पर्यावरण को बचाने के लिए हम अपने आसपास के क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगा सकते हैं। 
(ii) प्लास्टिक के बदले कागज या कपड़े से बने थैले और सामानों का प्रयोग कर सकते हैं।
(iii) कूड़े-कचरों को उपयुक्त और निश्चित जगह में जमा करके वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाए रख सकते हैं।

प्रश्न 20: कबीर के अनुसार इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
उत्तर: संत कबीर के अनुसार इस संसार में सच्चा संत वही कहलाता है जो आपसी भेद-भाव, तर्क-वितर्क, वैर-विरोध के झमेलों में न पड़कर निष्पक्ष और निश्छल भाव से एक ईश्वर की आराधना करता है।

प्रश्न 21: किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए। 
उत्तर: किसी भी व्यक्ति की पहचान हमेशा उसके कर्मों से होती है, कुल से नहीं। उच्च कुल में जन्म लेने मात्र से कोई कुकर्मी व्यक्ति महान या श्रेष्ठ नहीं बन जाता। ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बावजूद लोग रावण को उसके कुकर्मों के कारण राक्षस के रूप में याद करते हैं। वहीं दैत्य कुल में जन्म लेने के बावजूद अच्छे कर्म और आचरण के कारण प्रह्लाद भगवान के भक्त कहलाते हैं। 

प्रश्न 22: कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
उत्तर: कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए तीर्थ यात्रा, पूजा-पाठ, योग-साधना आदि सभी पारंपरिक अथवा प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। कबीर के अनुसार इन में मन लगाना व्यर्थ है।

प्रश्न 23: कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस में' क्यों कहा है?
उत्तर: कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस में' कहा है। पंक्ति के माध्यम से वास्तव में वे यह बताना चाहते हैं कि ईश्वर हर जीवित प्राणी में निवास करता है। अतः कबीर के अनुसार प्राणियों की सेवा ही भगवान की सेवा है। 

प्रश्न 24: कवयित्री ललद्यद द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं? 
उत्तर: कवयित्री इस संसारिकता तथा मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है। ऐसे में वह प्रभु की भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रही है। उसे लगता है कि कच्चे, नाशवान और कमजोर शरीर के माध्यम से की जा रही उसकी सारी साधनाएँ व्यर्थ होती जा रही हैं। इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले सारे प्रयास विफल होते जा रहे हैं।

प्रश्न 25: भाव स्पष्ट कीजिए:
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
 
उत्तर: ईश्वर की खोज में कवयित्री जीवन भर कठोर साधना करती रही। ईश्वर प्राप्ति के लिए कठोर से कठोर तरीके अपनाती रही। परंतु उसे सफलता न मिली। इसलिए वह कहती है कि उसकी जेब खाली ही रही अर्थात उसके सारे प्रयास व्यर्थ हुए।

(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, 
       न खाकर बनेगा अहंकारी।

उत्तर: आजीवन केवल सांसारिक सुख-सुविधाओं का उपभोग करने में व्यस्त व्यक्ति को कभी भगवान की प्राप्ति नहीं होती। वहीं निराहार रहकर कठोर उपवास, तपस्या अथवा साधना करने वाले भी अक्सर घमंडी बन जाते हैं और ऐसे अहंकारी व्यक्तियों से भी ईश्वर मिलना नहीं चाहते। इसलिए ईश्वर की साधना करने वालों को कवयित्री मध्य मार्ग अपनाने का सुझाव देती हैं। 

प्रश्न 26: 'ज्ञानी' से कवयित्री ललद्यद का क्या अभिप्राय है? 
उत्तर: 'ज्ञानी' से कवयित्री का अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो हर स्थान में ईश्वर का अस्तित्व अनुभव करता है, जो जाति, धर्म आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता, जो अपने हृदय में बसे परमात्मा के स्वरूप को समझता है और जिसने आत्मज्ञान की चेतना से अथवा अंतर्ज्ञान के माध्यम से ईश्वर को जान लिया है।

प्रश्न 27: ब्रजभूमि के प्रति कवि रसखान का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर: कवि रसखान को ब्रजभूमि से गहरा प्रेम है। वे इस जन्म में ही नहीं, अगले जन्म में भी ब्रजभूमि का निवासी बने रहना चाहते हैं। वे ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वह उन्हें ब्रज का ग्वाला, नंद की गाय, गोवर्धन पर्वत का पत्थर अथवा कदम्ब के पेड़ का पक्षी बनाए ताकि उन्हें हमेशा श्रीकृष्ण का साथ मिलता रहे। 

प्रश्न 28: एक लकुटी और कामरिया पर कवि रसखान सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार हैं?
उत्तर: कवि रसखान के जीवन में भगवान श्रीकृष्ण सबसे महत्वपूर्ण हैं। श्रीकृष्ण से जुड़ी एक एक वस्तु उनके लिए विशेष है। इसलिए श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल के लिए वह अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं। यहाँ तक कि उनके पास तीनों लोकों की संपत्ति हो तो वह भी।

प्रश्न 29: आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
उत्तर: कवि रसखान श्रीकृष्ण के एक बहुत बड़े भक्त हैं। वे किसी भी तरीके से श्रीकृष्ण का साथ पाना चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने कभी जहाँ-जहाँ विचरण किया था, उन-उन स्थानों में वे भी निवास करना अथवा विचरण करना चाहते हैं। इसी तरह श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति-भावना तृप्त करना चाहते हैं। इसलिए वह पशु, पक्षी या पहाड़ का पत्थर बनकर श्रीकृष्ण का साथ पाना अथवा उनका सान्निध्य प्राप्त करना चाहते हैं।

प्रश्न 30: 'या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी' -- काव्यपंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए:
उत्तर: गोपियों के मन में कृष्ण के प्रति असीमित प्रेम है। वह कृष्ण की तरह दिखने के लिए हर तरह का स्वांग करने के लिए अथवा सब कुछ धारण करने के लिए तैयार हैं। परंतु कृष्ण की बाँसुरी को होठों पर धारण करने से वह मना कर देती हैं। क्योंकि यह बाँसुरी ही उन्हें अपने प्रेमी कृष्ण से दूर करती है। कृष्ण की मुरली को वे अपनी सौतन के समान मानती हैं।

प्रश्न 31: 'कैदी और कोकिला' कविता में किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?
उत्तर: कविता में भारतीयों पर अंग्रेज शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है, क्योंकि अंग्रेज शासन के दौरान निर्दोष भारतीयों पर घोर अत्याचार हुए। स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे लोगों को कारागृह में डाल कर उन पर अंग्रेजों ने तरह तरह के अत्याचार किए। कोल्हू के बैल की तरह उन्हें जोता गया। तम अर्थात् अंधकार- यहाँ अंग्रेजों के अत्याचारपूर्ण शासन का प्रतीक है।

 प्रश्न 32: 'कैदी और कोकिला' कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए:
उत्तर:  पराधीन भारत की जेलों में कैदियों को अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं। राजनैतक बंदियों को खतरनाक डाकू, चोर, बटमारों के साथ रखा जाता था। उन्हें हथकड़ी, जंजीर अथवा बेड़ियों में बाँधकर रखा जाता था।  भोजन भी बहुत कम दिया जाता था, जिससे उनका पेट नहीं भरता था। उनसे हल जुतवाया जाता था, कोल्हू चलवाया जाता था, बड़े बड़े पत्थरों की गिट्टियाँ तुड़वाई जाती थीं। उनके हँसने-रोने पर भी रोक थी।

प्रश्न 33: कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?
उत्तर: कोयल से कवि की ईर्ष्या का मुख्य कारण उसकी स्वच्छंदता है। वह आकाश में स्वच्छंदता से उड़ान भर रही है और कवि जेल की काल कोठरी में कैद है। मीठी आवाज़ में गीत गाकर कोयल अपने आनंद को प्रकट कर सकती है परंतु कवि अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए रो भी नहीं सकता। कवि का सस्वर रोना भी गुनाह समझा जाता है। रोने के कारण उसे दंड तक मिल सकता है।

प्रश्न 34: 'कैदी और कोकिला' कविता में कवि द्वारा हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?
उत्तर: भारतीय स्वतंत्रता के दीवानों तथा आंदोलनकारियों के लिए देश के नाम  हथकड़ियाँ पहनना भी गर्व और सम्मान की बात थी। उनसे उनका गौरव कभी कम नहीं हुआ, वरन् समाज ने उन्हें उन हथकड़ियों के लिए और अधिक प्रतिष्ठा दी। इसलिए हथकड़ियों को कवि के द्वारा गहना कहा गया है। 

प्रश्न 35: आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?
उत्तर: स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेज शासन के लिए बड़ा खतरा बन कर उभर रहे थे। इसलिए उनका मनोबल तोड़ने के उद्देश्य से  अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाता होगा।

प्रश्न 36: शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-- समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए:
उत्तर: समाज को उमा जैसे जागरूक, विवेकशील, बुद्धिमान, पढ़े-लिखे, दहेजविरोधी अनुशासित व्यक्तियों की, इसी तरह की सोच रखने वाले व्यक्तित्वों की आवश्यकता है, जो अपनी प्रतिभा के बल पर समाज में परिवर्तन लाने में सक्षम होते हैं।
इसके विपरीत समाज को शंकर जैसे युवक की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, क्योंकि उसके जैसे व्यक्ति चरित्रहीनता, दहेजलोलुपता, संस्कारहीनता, कायरता आदि की वजह से समाज को खोखला बना देते हैं और समाज का नुकसान पहुँचाते हैं।

प्रश्न 37: 'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: रीढ़ की हड्डी शरीर को सीधा रखती है और सुंदर व्यक्तित्व प्रदान करती है। इसी तरह समाज के व्यक्तित्व में निखार लाने का कार्य युवा पीढ़ी करती है। चरित्रहीन, कायर, दहेजलोलुप व्यक्ति समाज को रीढ़विहीन, लूला-लंगड़ा बना डालते हैं। वहीं उमा जैसे साहसी, शिक्षित, जागरूक, विवेकसंपन्न, अनुशासित व्यक्ति और युवा पीढ़ी ही समाज की रीढ़ की हड्डी बन कर उसे नई दिशा और पहचान प्रदान करते हैं। अतः एकांकी का यह प्रतीकात्मक शीर्षक 'रीढ़ की हड्डी' सर्वथा उचित है।

प्रश्न 38: कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर: कथावस्तु के आधार पर एकांकी का मुख्य पात्र उमा है क्योंकि उमा ही नाटक की कथावस्तु को गति प्रदान करती है। उमा का सशक्त व्यक्तित्व एकांकी के दूसरे सभी पात्रों पर भारी पड़ता है। एकांकी की कथावस्तु उसी पर आधारित है। वह कथा की केंद्रबिंदु है। उसी के इर्द-गिर्द एकांकी का समस्त कथानक घूमता है।

प्रश्न 39: एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ: रामस्वरूप एक आधुनिक विचार संपन्न व्यक्ति है। वह स्त्री शिक्षा का समर्थक है। इसलिए अपनी बेटी उमा को भी उच्च शिक्षा दिलाता है। परंतु ऊँचे खानदान में अपनी बेटी की शादी कराने के फेर में, लड़के वालों की नाजायज माँग के आगे घुटने टेकते हुए अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाने के लिए भी वह विवश दिखता है।
गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ: एकांकी के विविध प्रसंगों में गोपाल प्रसाद एक चालाक, बड़बोला, लालची, पुरुषवादी व्यक्ति के रूप में दिखाई देता है। वकील होने के बावजूद कई बार वह विवेकहीन ढंग से बातें करते हुए नजर आता है। वह विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को भी बिजनेस अथवा फायदे-घाटे का सौदा मानता है।

प्रश्न 40: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तरः हम महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं--
(क) बालिकाओं को उच्च शिक्षा प्रदान कर उनके व्यक्तित्व को ऊँचा उठा सकते हैं।
(ख) महिलाओं को भी संपत्ति का हक, अधिकार दिलाकर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
(ग) सरकारी और व्यक्तिगत क्षेत्रों में नौकरी, जिम्मेवारी देकर उनका आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं और उनके सामाजिक स्तर का सुधार कर सकते हैं।
(घ) लड़कों के समान लड़कियों को भी हर क्षेत्र में एक समान मौके देकर भेदभाव रहित सामाजिक वातावरण का विकास कर सकते हैं।








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