माटीवाली (प्रश्नोत्तर)


माटीवाली 

          -- विद्यासागर नौटियाल 

प्रश्न 1: 'शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं उसके कंटर को भी पहचानते हैं।' आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते माटी वाली को सब पहचानते थे? 

उत्तर: शहरवासी माटी वाली के कंटेनर तक को अच्छी तरह पहचानते थे क्योंकि शहर भर में माटी पहुँचाने वाली वह अकेली औरत थी। माटी वाली के द्वारा लाई जाने वाली मिट्टी शहर के हर घर की जरूरत थी।

प्रश्न 2: माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

उत्तर: माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं था। उसके भाग्य में तो सुबह से शाम तक काम ही काम लिखा था जिससे उसे कभी फुर्सत नहीं होती थी। काम न मिलने पर भूखे रहने की नौबत आती थी। दो व्यक्तियों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने को भी उसे कठोर परिश्रम करना पड़ता था।

प्रश्न 3: 'भूख मीठी कि भोजन मीठा' से क्या अभिप्राय है? 

उत्तर: कई बार अत्यधिक भूख लगने के समय सामान्य भोजन भी स्वादिष्ट लगता है। रोटी चाहे रूखी हो या साग, चाय आदि के साथ, वह भूख के कारण मीठी प्रतीत होती है। अतः रोटी के स्वाद का वास्तविक कारण भूख होती है। तृप्त व्यक्ति के आगे रखा स्वादिष्ट भोजन भी व्यर्थ है जब तक कि उसे खुलकर भूख न लगे।

प्रश्न 4: 'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।' -- मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए: 

उत्तर: विरासत में मिली वस्तुएँ अनमोल होती हैं। इनका महत्व अथवा मूल्य इनके बाजार भाव से नहीं आँका जा सकता। यह तो पूर्वजों की अविस्मरणीय निशानी होती हैं। तात्कालिक लाभ के लिए इन्हें बेचना उचित नहीं है। अगर परिवार पर अथवा जान पर ही कोई संकट आ जाए तो पुरखों की संपत्ति को बेचने से इनकार भी नहीं करना चाहिए। परंतु सहज स्वाभाविक स्थितियों में हमें उन्हें सुरक्षित रखना चाहिए।

प्रश्न 5: माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है? 

उत्तरः माटी वाली अत्यंत गरीब महिला है। उसे कभी मनचाहा खाना अथवा भरपेट भोजन भी प्राप्त नहीं होता। उसे इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि लोगों द्वारा उसे खाने के लिए दी गई रोटियों में से कितनी वह खा सकती है और कितने वह पति के लिए छोड़ सकती है। रोटियों का इस तरह हिसाब लगाया जाना उसकी अत्यंत गरीबी और दयनीय स्थिति को प्रकट करता है।

प्रश्न 6: आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी -- इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए:

उत्तर: उपर्युक्त कथन के आधार पर कहा जा सकता है कि माटी वाली भले ही अत्यंत गरीब है, परंतु उसका मन कोमल और मानवीय भावनाओं से संपन्न है। उसके मन में अपने बूढ़े हो चुके बीमार और विवश पति से गहरा प्रेम और लगाव है। जब से उसका पति दयनीय दशा में पहुँचा है उसके प्रति वह और भी अधिक दया की भावना दर्शाती है। 

प्रश्न 7: 'गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।' इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए: 

उत्तरः इस कथन का आशय है -- गरीब आदमी के रहने का ठिकाना नहीं छिनना चाहिए। किसी स्थान पर मुश्किल से एक बसेरा बनाकर रहने वाले गरीब व्यक्ति अपने उस स्थान से उजड़ कर दूसरे या तीसरे स्थान पर बसने में समर्थ नहीं होते। गरीबों की झोंपड़ी ही उनके जीवन-मरण का ठिकाना होता है, जहाँ रोजाना वे मर-मरकर जीते हैं।इनके उजड़ जाने पर अथवा उस स्थान से विस्थापित होने पर भला वे कहाँ जाएँगे और कहाँ रहेंगे?

प्रश्न 8: 'विस्थापन की समस्या' पर एक अनुच्छेद लिखिए:

उत्तरः बिजली उत्पादन के लिए अथवा बाढ़ की समस्याओं से जूझने के लिए नदियों पर बाँध बनाए जाते हैं। बड़े-बड़े रास्ते बनाने के लिए, रेल लाइन बिछाने के लिए भी कई बार उससे होकर गुजरने वाली जमीन को सरकार अपने अधिकार में ले लेती है और उस जमीन पर रहने वाले लोगों को विस्थापित किया जाता है। मुआवजा देने के नाम पर उनसे उनकी जमीन और रोजी-रोटी छीन ली जाती है परंतु बाद में सरकार अपने कर्तव्य को भूल जाती है। टिहरी बाँध इसका ज्वलंत उदाहरण है। लोग पुरानी टिहरी को नहीं छोड़ना चाहते थे परंतु सरकारी दबाव के चलते उन्हें नई टिहरी में विस्थापित होना पड़ा। इसका असर यह हुआ कि लोगों को पूर्वजों की विरासत को छोड़ना पड़ा, अपनी रोजी-रोटी गँवानी पड़ी और बहुत सारों का जीवन तो पहले से भी बदतर होता गया। अतः सरकार को चाहिए कि इस विषय में वह गंभीरता से सोचे और किसी के विस्थापन की स्थिति न आए, इस पर भी विचार करे।










।।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अभ्यास प्रश्नोत्तर (कक्षा: नौ)

संक्षिप्त प्रश्नोत्तरः व्याकरण (कक्षा: 9)

नेताजी का चश्मा/ स्वयं प्रकाश