कन्यादान/ऋतुराज (प्रश्नोत्तर)



कन्यादान

     --ऋतुराज 


प्रश्न 1: आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?

उत्तर: कोमलता, धीरता, दया, करुणा आदि स्त्रियों के गुण माने जाते हैं जिनके आधार पर पारिवारिक जीवन की बुनियाद टिकी होती है। अतः माँ चाहती है कि उसकी बेटी आंतरिक रूप से ये गुण अवश्य अपनाए। इसलिए उसने बेटी से कहा तुम लड़की होना। परंतु इन्हें बाहरी रूप से प्रकट करने से वह मना भी करती है क्योंकि इन गुणों को उसकी कमजोरी मानकर ससुराल वाले उस पर अत्याचार कर सकते हैं। वह अपनी बेटी को संसार की वास्तविकता से परिचित करा कर उसे साहसी भी बनाना चाहती है।

प्रश्न 2: 'आग रोटियाँ सेंकने के लिए है 

           जलने के लिए नहीं'

(क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?

उत्तर: इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की उस दयनीय स्थिति की ओर संकेत किया गया है जब लड़की को दहेज के नाम पर जलाकर मार दिया जाता है। आग रोटियाँ सेंकने के लिए होती है जलने के लिए नहीं। लेकिन कई बार ससुराल में लड़कियाँ इतनी पीड़ित और दुखी हो जाती हैं कि वे स्वयं को आग लगाकर आत्महत्या कर लेती हैं। 

(ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा? 

उत्तरः आजकल बहुत सारी घटनाएँ देखने-सुनने में आती हैं। ससुराल वालों के उत्पीड़न से कभी लड़कियाँ आत्महत्या कर लेती हैं। कभी उन्हें जलाकर मार दिया जाता है। इसलिए माँ ने बेटी को सचेत करना जरूरी समझा ताकि वह ऐसी स्थिति आने पर उसका साहसपूर्वक मुकाबला कर सके और कभी भी जीवन से पलायन का रास्ता न अपनाए।

प्रश्न 3: "पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की 

            कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की"

-- इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभर कर आ रही है उसे शब्दबद्ध कीजिए: 

उत्तर: उपर्युक्त काव्य पंक्तियों को पढ़कर हमारे मन में लड़की की निम्नलिखित छवि उभर कर सामने आती है--

-- लड़की अभी सयानी नहीं है,

-- उसे जीवन के सुख भरे पक्ष की जानकारी तो है परंतु छल-कपट, शोषण, अत्याचार आदि की जानकारी नहीं है,

-- वह विवाह की सुखद कल्पनाओं में खोई हुई है,

-- उसे ससुराल की प्रतिकूल परिस्थितियों का ज्ञान नहीं है।

प्रश्न 4: माँ को अपनी बेटी 'अंतिम पूँजी' क्यों लग रही थी? 

उत्तर: माँ को अपनी बेटी 'अंतिम पूँजी' लग रही थी क्योंकि--

-- वह माँ के सबसे निकट थी और उसके सुख-दुख की एकमात्र साथी थी,

-- अपने जीवन से जुड़ी हर समस्या के बारे में वह अपनी बेटी से ही बातचीत करती थी,

-- माँ को अपनी बेटी 'अंतिम पूँजी' इसलिए भी लग रही थी क्योंकि कन्यादान के बाद वह एकदम अकेली रह जाने वाली थी और वह उसे आज किसी दूसरे के हाथों सौंपने जा रही थी।

प्रश्न 5: माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी? 

उत्तर: माँ ने बेटी को निम्नलिखित सीख दी--

-- वह अपने रूप-सौंदर्य पर कभी घमंड न करे,

-- आग का उपयोग आत्मदाह के लिए कभी न करे,

-- सुंदर वस्त्र और आभूषण के भुलावे में कभी न आए और उन्हें अपने जीवन का बंधन कभी न बनाए,

-- वह लड़कियों के सारे गुण तो अपनाए लेकिन कायर और कमजोर न बने, बल्कि लड़कों की तरह साहसी बने।

प्रश्न 6: आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? 

उत्तर: कन्या के साथ दान की बात करना बिल्कुल अनुचित है। कन्या कोई वस्तु नहीं जिसकी दान दी जाए। आज के आधुनिक युग में बेटे और बेटियों में कोई भेदभाव नहीं करता और उन्हें एक समान समझा जाता है। माता-पिता उन्हें उच्च शिक्षा प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाएँ, परनिर्भर और दान देने की वस्तु नहीं।










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