आत्मकथ्य/ जयशंकर प्रसाद

 




आत्मकथ्य 

          --जयशंकर  प्रसाद


प्रश्न 1: कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?

उत्तरः कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहता है क्योंकि वह सोचता है कि उसके जीवन में ऐसा कुछ विशेष घटित नहीं हुआ है, जिसे वह आत्मकथा के रूप में प्रस्तुत कर सके अथवा जिसे पढ़कर किसी को आनंद मिले। कवि अपने जीवन की दुर्बलता एवं असफलता और दूसरों की प्रवंचनाओं को सबके सामने उजागर करना नहीं चाहता।

प्रश्न 2: आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' कवि ऐसा क्यों कहता है? 

उत्तर: कवि जीवन की पीड़ा, व्यथा और दुख-कष्टों को सहन करते हुए थक चुके हैं। वे उनका वर्णन करने को अनिच्छुक एवं असमर्थ हैं। आत्मकथा लिखते वक्त उन सभी पीड़ाओं को उन्हें फिर जगाना होगा, जो उनके लिए असहनीय है। इसलिए कवि कहना चाहते हैं कि आत्मकथा सुनाने का यह उचित समय नहीं है।

प्रश्न 3: स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है? 

उत्तरः कवि के निराश जीवन में आज न तो कोई सुख बचा है और न ही कोई आशा। अतीत की मधुर यादें तथा प्रियतमा के संग व्यतीत किए गए क्षणों की मधुर स्मृतियाँ ही अब उनके जीवन यात्रा का अवलंबन बन गई हैं। कवि कहते हैं कि अब उनके जीवन की दुख भरी यात्रा में वही क्षण और स्मृति सहारा और 'पाथेय' बने हुए हैं।

प्रश्न 4: भाव स्पष्ट कीजिए:

 (क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।             आलिंगन  में  आते-आते  मुसक्या  कर  जो  भाग  गया।

उत्तर: कवि ने प्रेम और मधुर सुख से भरे अपने जीवन की जो कल्पना की थी, वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ। कवि के जीवन में उनकी प्रियतमा आते न आते मुस्कराकर ही दूर भाग गई। कहने का अभिप्राय यह है कि कवि को जीवन में दांपत्य सुख कभी नहीं मिल सका

(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।                    अनुरागिनी उषा  लेती थी निज  सुहाग मधुमाया में।

उत्तर: कवि की प्रेमिका अत्यंत सुंदर थी। उसके गाल अत्यंत लालिमा से युक्त थे। प्रेमभरी उषा भी अपनी प्रातःकालीन मधुर लालिमा उसके गालों से लिया करती थी, अर्थात उसकी प्रेमिका का चेहरा उषा की लालिमा से भी ज्यादा सुंदर था।

प्रश्न 5: 'उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की'-- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तरः उपर्युक्त कथन के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रेम के कुछ ऐसे मधुर क्षण होते हैं, जिनको किसी के सामने प्रकट नहीं किया जा सकता। मधुर चाँदनी रात में व्यतीत किए गए उनके जीवन के प्रेमभरे कुछ क्षण एक उज्ज्वल कहानी के समान थीं और जिन्हें वे अत्यंत गोपनीय ही रखना चाहते हैं। उनके बारे में कुछ लिखना या सार्वजनिक करना वे उचित नहीं समझते।अतवह अपने जीवन की मधुर स्मृतियों को अपने तक ही सीमित रखना चाहते हैं।

प्रश्न 6: 'आत्मकथ्य' कविता की काव्य भाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए। 

उत्तरः 'आत्मकथ्य' कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

(i) कविता में संस्कृत के शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है, जैसे--               इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास

(ii) इस कविता में संकेत और प्रतीकों के माध्यम से भावनाएँ व्यक्त की गई हैं, जैसे--                                                                           तुम सुनकर सुख पाओगे देखोगे यह गागर रीती

(iii) कवि ने अस्पष्टता या छायावादी शैली का प्रयोग भी किया है जैसे--                                                                                         उज्जवल गाथा कैसे गाऊँ मधुर चाँदनी रातों की

(iv) मानवेतर पदार्थों को मानव की तरह सजीव बना कर प्रस्तुत किया गया है,  जैसे-- (क) थकी सोई है मेरी मौन व्यथा,           

                            (ख) अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं 

(v) कविता में मधुप, पत्तियाँ, नीलिमा, चाँदनी रात आदि प्राकृतिक उपमानों का बड़ा ही सुंदर प्रयोग किया गया है।

(vi) कवि ने सर्वत्र तुक, लय और मात्राओं का पूरा ध्यान रखा है।












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