संवाद लेखन
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प्रश्न 1: मीनू डॉक्टर बनना चाहती है और रीना अध्यापिका। दोनों के बीच हुई बातचीत का संवाद रूप लिखिए:
उत्तर:
मीनू: हाय रीना। कैसी हो?
रीना: मैं ठीक हूँ। तू सुना। सुना है दिन-रात किताबों के पीछे हाथ धोकर पड़ी रहती है।
मीनू: कहाँ पढ़ रही हूँ? मेरे पिताजी कहते हैं, ऐसे घूमती रही तो डॉक्टर तो क्या मास्टरनी भी नहीं बन पाएगी।
रीना: अच्छा! क्या मास्टरनी ऐसे ही बन जाती हैं?
मीनू: भाई, डॉक्टरी के लिए तो अधिक मेहनत करनी ही पड़ती है।
रीना: तो क्या मैं मेहनत करना छोड़ दूँ? मैं तो अध्यापिका बनना चाहती हूँ।
मीनू: भाई, तू ठहरी समाजसेविका। तूझे तो लोगों का चरित्र सुधारना है। इसलिए तू बनेगी तो आदर्श अध्यापिका बनेगी। तू कैसे मेहनत करना छोड़ेगी?
रीना: सच कहूँ! यह दोनों ही काम सेवा के हैं। डॉक्टर तन की देखभाल करता है तो अध्यापक मन और बुद्धि की।
मीनू: क्यों? क्या डॉक्टर बिगड़ी हुई बुद्धि वाले मरीजों का इलाज नहीं करते?
रीना: डॉक्टर तो बिगड़ने पर इलाज करते हैं, परंतु अध्यापक तो उन्हें बिगड़ने ही नहीं देते। वह उन्हें संस्कार देते हैं।
मीनू: सच, अध्यापक का दर्जा ईश्वर के बराबर होता है।
रीना: और डॉक्टर! वह तो संकट में ईश्वर का अवतार ही प्रतीत होता है।
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प्रश्न 2: आपका मित्र पूरे बोर्ड में प्रथम आया है। उसे बधाई देते हुए एक संवाद प्रस्तुत कीजिए:
उत्तर:
आदित्यः हेलो राकेश! बधाई हो।
राकेशः धन्यवाद! आदित्य।
आदित्य: पूरे बोर्ड में प्रथम आकर तूने तो कमाल ही कर दिया यार। बहुत बहुत बधाई तुम्हें।
राकेशः धन्यवाद आदित्य। मुझे तो सचमुच विश्वास नहीं हो रहा खुद पर यार।
आदित्यः परंतु मुझे खुशी है कि तुम पर मेरा विश्वास आज सच हो गया। मैं कहा करता था न कि एक न एक दिन तू कोई कमाल जरूर करेगा।
राकेश: बस यह तेरे जैसे दोस्तों की दुआएँ हैं। वरना मैं किस योग्य हूँ।
आदित्य: यही बात तो मुझे तेरा दीवाना बना देती है। तुझमें जो विनम्रता है, मैं तो इसका कायल हूँ।
राकेश: भाई आदित्य! मैं जानता हूँ, मुझसे भी योग्य कितने ही लड़के लड़कियाँ और भी हैं। यह तो मेरा भाग्य है कि मैं प्रथम आ गया।
आदित्य: भगवान करे! तू यशस्वी बने। माता-पिता को मेरी ओर से बधाई देना।
राकेशः जरूर! जरूर!!
आदित्यः अरे! यह तो बता। मिठाई कब खिलाएगा?
राकेशः जब तेरे पास वक्त हो। अभी क्यों नहीं चलते?
आदित्य: चल! चल! खाने के लिए तो मैं हमेशा तैयार ही रहता हूँ।
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प्रश्न 3: दो मित्रों के बीच की बातचीत को संवाद रूप में दिखाइए जिसमें एक मित्र दूसरे से उत्तर पुस्तिका माँग रहा हो:
सुमित: भाई अमित! कैसे हो?
अमित: अच्छा हूँ। तुम कैसे हो सुमित?
सुमित: बिल्कुल ठीक हूँ। अमित! मुझे एक दिन के लिए तुम्हारी एक गणित की उत्तर पुस्तिका चाहिए।
अमितः जरूर लो! पर काम मुझे भी करना है। क्या, तुम शाम को मेरे घर से ले सकते हो?
सुमितः क्यों नहीं। मैं कितने बजे आ जाऊँ?
अमितः शाम पाँच बजे तक मैं गणित का काम निपटा लूँगा। इसके बाद तुम ले सकते हो।
सुमितः धन्यवाद अमित! मैं पाँच बजे के बाद घर आकर ले लूँगा।
अमितः लेकिन सुमित, तुम्हें आने का कष्ट करना होगा।
सुमितः अरे भाई! तुम्हारे घर आना तो मुझे हमेशा अच्छा लगता है। फिर तुम तो पुस्तक देकर मुझ पर कृपा भी कर रहे हो।
अमितः भाई सुमित! इस छोटी-सी बात के लिए इतने बड़े शब्द! न भाई! ऐसा तो न कहो।
सुमितः धन्यवाद अमित!
अमितः स्वागत है। मैं इंतजार करूँगा।
।।
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