तेरे बिन मैं/बसंत चौधरी

 तेरे बिन मैं/बसंत चौधरी

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तेरे बिन मैं/बसंत चौधरी

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आशा और प्रकाश के कवि

बसंत चौधरी नेपाली वाङ्मयों के प्रवर्धन के लिए प्रयासरत अभियंता ही नहीं, एक सिद्धहस्त स्रष्टा तथा प्रेमी कवि भी हैं। नेपाली भाषा के साथ हिंदी भाषा में भी वे अपनी सशक्त रचनाएँ विमोचत  कर चुके हैं। इसी वर्ष नेपाली भाषा में रचित उनकी 85 (पचासी) कविताओं का संग्रह 'तिमी बिना को म' शीर्षक के साथ प्रकाशित हो चुका है।

बसंत चौधरीकृत इस कविता संग्रह की सभी कविताएँ जीवन के शाश्वत मूल्यों की खोज के प्रति प्रेरित हैं। मानव मन के भीतर की संवेदनाओंके गहन सरोवर में संवेगजड़ित बिंब तथा कल्पनानिश्चित परिवेश का सुरक्षा कवच पहनकर विचरण करने से प्राप्त सार में ही कवि चौधरी जीवन को परिभाषित करने की कोशिश करते हुए लिखते हैं और ज्यादातर कविताओं में इसी आनंद में वे तल्लीन पाए जाते हैं। कवि की दृष्टि में प्रेम और सद्भावना से निर्मित प्रेममय संसार ही जीवन का अजस्र स्रोत है। प्रेम के इन्हीं स्रोतों की तलाश में ही प्रेम की सार्थकता प्रमाणित होती है। इसी प्रेम के स्रोतरूप प्रेमिका की खोज में ही कवि की अधिकांश कविताएँ विचरित हैं। प्रकृति, प्रेम, सद्भाव, विश्वासजड़ित जीवन के आशा उन्मुख प्रकाश, तीव्र अनुभूति और सार्थक बिंबों के आकार में प्रांजल भाषा के माध्यम से संप्रेषित होकर कवि की संवेदनाएँ और अनुभूतियाँ इस संग्रह की कविताओं के रूप में नि:सृत हुई हैं।

प्रकृति पर मानव का अविवेकी हस्तक्षेप और अतिक्रमण से निर्मित विश्व के भयानक परिणाम का आकलन कवि चौधरी की कविताओं में अच्छी तरह पाया जाता है। परंतु इस भयानकता के समाधान के बारे में कवि चौधरी का निष्कर्ष है कि मानव मनरूपी ज्ञान सरोवर के मंथन से नि:सृत प्रेमिल भावनाओं में ही इसका निदान है। प्रेमपूर्ण परिवेश से प्राप्त सद्भावनाओं से ही हम दीर्घजीवी हो सकते हैं। आशा एवं प्रकाश के कवि चौधरी द्वारा रचित इस संग्रह की सभी कविताएँ महत्वपूर्ण हैं। इतनी सशक्त कविताओं की रचना करने वाले कवि की  सृजन यात्रा आगामी दिनों में और भी उर्वर एवं सशक्त बने, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ मैं अपना यह मंतव्य समाप्त करता हूँ। 


गंगा प्रसाद उप्रेती 

कुलपति 

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान

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तुम्हारे अनमोल स्पंदन 

और स्नेह ने 

कूँद कूँद कर बनाया है मुझे 

मैं 

तुम्हारी कल्पनाओं का साकार फूल हूँ 

तुम्हारी कैनवस में चित्रित 

रंगीन चित्र

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तेरे बिन मैं

TERE BIN MAIN

बसंत चौधरी

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प्रकाशित कृतियाँ:

निबंध संग्रह 

-- राष्ट्रियता नदुखोस

-- संवाद 

कविता संग्रह:

-- मेघा (नेपाली एवं हिंदी)

-- मेरा कविताहरु 

-- आँसुओं की सियाही से (हिंदी)

-- चाहतों के साए में (हिंदी एवं अंग्रेजी)

-- वसंत (9 भाषाओं में) 

-- अनेक पल और मैं( हिंदी एवं रोमन)

-- वक्त रुकता नहीं (हिंदी एवं रोमन)

उक्ति संग्रहः

-- जीवन सार 

एल्बमः

-- माया बल्झेछ

-- तिम्रो नाममा

-- रिफ्लेक्शन ऑफ लव 

-- ओन्ली लव

-- लव फॉरएवर 

-- वसंत बेला

हिंदी भाषा के गीत एल्बमः

-- कुछ ख्वाहिशें कुछ बंदिशें 

-- मोमेंट्स ऑफ लव

विश्व काव्ययात्रा:

-- सन 2012 से आरंभ (विश्व के 10 देश और 20 शहरों में संपन्न)

पत्रिका:

-- द रियल्म

-- उर्वशी 

-- सत्ता

-- द इंडिपेंडेंस

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तेरे बिन मैं

TERE BIN MAIN

बसंत चौधरी


संपादकः रमण घिमिरे

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पृष्ठ viii

तेरे बिन मैं

('तिमी बिना को म' नेपाली कविता संग्रह का हिंदी अनुवाद) 

बसंत चौधरी 

  ©. बसंत चौधरी 


संपादक: रमण घिमिरे 

उपसंपादकः रंजना निरौला 

प्रकाशकः मेघा चौधरी

थापाथली, काठमांडू, नेपाल 

ISBN 978 9937 0 9176 3 

रेखांकन, आवरण कथा पुस्तकसज्जा: रचना भगत 

रोमन अनुवाद: सूर्यांशु प्रताप सिंह एवं रंजना निरौला 

संस्करणः प्रथम, विक्रम संवत 2075 

मूल्य: 499/-

इस पुस्तक के किसी भी अंश का अथवा संपूर्ण पुस्तक का किसी भी माध्यम के द्वारा पुनः उत्पादन अथवा फोटोकॉपी करना प्रतिबंधित है।

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पृष्ठ ix


मेरे जीवन के तीन विश्रामस्थल 

-- मीना 

-- मेघा 

-- आहना 

जिनके कारण मैं 'मैं' हूँ 

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पृष्ठ x

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पृष्ठ xi

इस निर्मल वातावरण में 

आओ तुम 

प्रिये 

बना लो मुझे अपना 

तुम्हारे बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं है 

यूँ तो मेरे बिना भी दुनिया नहीं होगी रिक्त 

परंतु 

तुम्हारे बिना 

मैं शून्य हो जाता हूँ...

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पृष्ठ xii

अनुक्रम

-- प्रकाशकीय

-- शुभकामना

-- भूमिका

-- मेरे शब्द 

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पृष्ठ xiii

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पृष्ठ xiv

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प्रकाशकीय 

पिता आकाश हैं, जहाँ हमारे सपने विस्तारित होते हैं और हम ऊँची उड़ान भरते हैं। पिता ऐसे छायादार वृक्ष हैं, जिसकी छाया में हम अपनी संपूर्ण चिंताओं को विश्राम देकर शांति की गहरी नींद सो पाते हैं। 'पिता' शब्द में हम होते हैं, उनकी भावनाओं में भी हम होते हैं। मैं जब-जब बाबूजी के शब्द हृदयंगम करने की कोशिश करती हूँ, उनमें मुझे संपूर्ण परिवार प्राप्त होता है। उनका पूरा अस्तित्व हम सभी में समाहित है और हम सभी के लिए है उनका अस्तित्व। उन्होंने जीवन के 65(पैंसठ) वसंत सफलतापूर्वक बिताए हैं। यह अलग बात है कि उन्होंने अपने सुख हमारे साथ अवश्य बाँटे, परंतु दुख अकेले निभाया।

'तेरे बिन मैं' ('तिमी बिना को म'--मूल नेपाली) उनकी भावनाओं का सशक्त दस्तावेज है। जिसके किनारों के हम सभी साक्षी हैं। उनकी हर कविता ने हमारे हृदय का स्नेहपूर्ण स्पर्श किया है। अगर बसंत चौधरी की कविताएँ भवन की नींव हैं तो हम उनकी कविताओं को चुपके से देखने का प्रयास करने वाले, कविताओं के माध्यम से संसार देखने वाले झरोखे हैं। अर्थात हम उनके ऐसे विचार और दृष्टिकोण हैं जहाँ से उनकी कविताएँ विस्तारित होती हैं और मार्ग प्रशस्त होता है। निकट से सूर्योदय देखने वाली हम उनकी आँखें भी हैं और कविताओं के भावचित्र समाहित होने वाली अभिधा, लक्षणा और व्यंजना (तीन शब्दशक्ति) भी हैं। कवि वसंत चौधरी की कविताओं की तरह हम भी चिरकाल तक उनकी कविताओं में जीवित रहना और आबद्ध होना चाहती हैं। वाह्य अर्थ में यह हमारी लालसा भी हो सकती है, परंतु गुढ़ अर्थ में यह हमारा अभिप्राय भी है। समग्र रूप में हम पहली बार कवि बसंत चौधरी की काव्य यात्रा के साथ इस तरह प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ रहे हैं।

मेरी माँ उनकी जीवन संगिनी है, आहना उनका जीवन और मैं उनका सुंदर सपना। ...और हमारे लिए वे हैं-- संपूर्ण आकाश, संपूर्ण संसार। भविष्य में भी उनकी सृजनशीलता आसमान की नई नई बुलंदियों को छूती रहे और हम उन पर गर्व कर सकें। परमपिता परमेश्वर उन्हें सुस्वास्थ्य, दीर्घायु व सुरक्षा प्रदान करें। हम सभी की ओर से हार्दिक ता के साथ उन्हें यही शुभकामना है।

-- मेघा चौधरी

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