मेघ आए/ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
मेघ आए
--- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
प्रश्न 1: बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तरः बादलों के आने पर कवि ने प्रकृति की निम्नलिखित गतिशील क्रियाओं को चित्रित किया है--
(i) बादल रूपी मेहमान के आने की सूचना देने के लिए हवा का नाचते गाते चलना,
(ii) धूल का घाघरा उठा कर भागना,
(iii) पीपल के द्वारा झुककर बादल रूपी मेहमान का स्वागत करना,
(iv) लताओं का पेड़ की शाखाओं में छुप जाना,
(v) तालाबों का जल से भर जाना,
(vi) आकाश में बिजली का चमकना आदि।
प्रश्न 2: निम्नलिखित शब्द किसके प्रतीक हैं?
धूल, पेड़, नदी, लता, ताल
उत्तर:
धूलः अतिथि के आगमन से अति उत्साहित चंचल बालिकाएँ
पेड़ः ग्रामीण व्यक्ति जो शहरी दामाद के आने पर गर्दन उचका-उचका कर उसे देखता है
नदी: गाँव की युवती जो शहरी दामाद को आता देख उसे ठिठक-ठिठक कर देखती है
लता: युवा पत्नी जो बहुत दिनों बाद बादल रूपी प्रियतम के आने से रूठी हुई है और किवाड़ की ओट से उसे देखती है
ताल: मेहमान के स्वागत में उनके चरण धोने के लिए परात में लाया हुआ पानी
प्रश्न 3: लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
उत्तरः लता ने बादल रूपी मेहमान को पेड़ की ओट से छिपकर देखा।
वह अपने प्रियतम बादल के बहुत दिनों बाद आने पर उससे रूठी हुई है परंतु उसे देखे बिना रह भी नहीं पा रही।
प्रश्न 4: भाव स्पष्ट कीजिए:
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की।
उत्तर: प्रियतमा अपने प्रियतम से क्षमा माँगते हुए बोली -- मुझे क्षमा करना। मैंने सोचा था कि तुम नहीं आओगे। परंतु तुम आ गए और मेरे मन का भ्रम मिटा दिया।
पंक्ति का प्रतिकार्थ है -- गर्मी से अकुलाए हुए ग्रामवासी तड़पकर कहने लगे-- हमें क्षमा करो। हमने सोचा था कि बादल नहीं बरसेगा। परंतु हमारा यह भ्रम टूट गया।
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
उत्तर: बादलों के आकाश में छा जाने पर नदियाँ भी घूँघट सरकाते हुए तिरछी नजर से उन्हें देख कर ठिठक गई-सी लगती हैं।
प्रश्न 5: मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर: मेघ के आने से प्रकृति में चारों ओर हवा बहने लगी। पेड़ झूमने-झुकने लगे। धूल भरी आँधी चलने लगी। नदियों की गति भी तेज होने लगी। लताएँ पेड़ की ओट में छिपने लगी। तालाब जल से भरने लगे। आकाश में काले मेघों के आ जाने के बाद मूसलधार वर्षा होने लगी।
प्रश्न 6: मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तरः मेघों के लिए 'बन-ठन के' और 'सँवर के' आने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि उनके आने पर गाँववासियों के, विशेष कर किसानों के मन में ठीक वैसा ही उल्लास होता है जैसा कि किसी सजे-सँवरे दामाद के गाँव में आने से होता है। अतः मेघों के लिए सजे-सँवरे शहरी दामाद का उपमान बिल्कुल ठीक है।
प्रश्न 7: कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तरः मानवीकरण अलंकार--
(i) मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के
(ii) आगे-आगे नाचती गाती बयार चली
(iii) धूल भागी घागरा उठाए
(iv) हरसाया ताल लाया पानी परात भर के
(v) पेड़ झुक झाँकने लगे, गर्दन उचकाए आदि।
रूपक अलंकार:
-- क्षितिज अटारी गहराई
प्रश्न 8: कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर: 'मेघ आए' कविता में गाँव के रीति-रिवाजों का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया गया है, जो निम्नानुसार हैं --
(i) जब घर में मेहमान आता है तो सभी उसका स्वागत करते हैं,
(ii) बड़े बुजुर्ग उनका हाल-चाल पूछते हैं और उन्हें ऊँचे आसन पर बिठाते हैं,
(iii) घर की औरतें मेहमान के पैर धोने के लिए परात में पानी लेकर आती है, आदि।
प्रश्न 9: कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है?
उत्तरः सामान्यतया हर गाँव में कोई पुराना पीपल का पेड़ अवश्य होता है। वह अपनी ऊँचाई, विशालता और शाखाओं के विस्तार से सभी को अपना स्नेह और आश्रय प्रदान करता है। पीपल के पेड़ की आयु सामान्यतः अन्य पेड़ों से अधिक होती है। इन्हीं कारणों से उसे बड़ा बुजुर्ग कहा गया है।
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