रीढ़ की हड्डी/जगदीश चंद्र माथुर
रीढ़ की हड्डी
--- जगदीश चंद्र माथुर
प्रश्न 1: रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर "एक हमारा जमाना था..." कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर: बुजुर्ग लोगों द्वारा अपने समय को वर्तमान समय से बेहतर सिद्ध करने का प्रयास और दोनों समय की तुलना करना बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। वर्तमान और भविष्य से निराश व्यक्ति ही इस प्रकार की तुलना करते हैं। उन्हें लगता है कि जितना जो कुछ अच्छा था वह सारा उनके जमाने में ही था। बात-बात पर भूतकाल की तारीफ और वर्तमान की निंदा वे लोग करते हैं जो वर्तमान और भविष्य के साथ अपनी जीवनशैली का तालमेल नहीं बिठा पाते।
प्रश्न 2: रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर: रामस्वरूप ने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा इसलिए दिलाई कि जीवन के हर क्षेत्र में उसकी योग्यता बढ़े, अपने जीवन की जटिलताओं को आसानी से वह सुलझा सके और अपने पैरों पर वह खुद खड़ी हो सके। लेकिन लड़के वालों के द्वारा कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहने पर अपनी बेटी की यही योग्यता छिपाने के लिए रामस्वरूप को विवश होना पड़ा। यह विरोधाभास वास्तव में समाज की परंपरावादी सोच के सामने उनकी विवशता को उजागर करता है।
प्रश्न 3: अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर: रिश्ता तय करने के लिए अपनी पढ़ी-लिखी बेटी उमा से रामस्वरूप जिस व्यवहार की अपेक्षा करते हैं, वह बिल्कुल भी उचित नहीं है। उच्चशिक्षा कोई दुर्गुण नहीं है। लड़का हो या लड़की-- उच्चशिक्षा तो हर किसी की योग्यता को और बढ़ाता है। लड़की होने के ही कारण उसे किसी बेजान वस्तु अथवा मुक पशु की तरह समझा जाना अथवा पेश किया जाना उमा के स्वाभिमान को आहत करता है। इसीलिए विशिष्ट व्यक्तित्व की धनी, उच्चशिक्षा से संपन्न स्वाभिमानी उमा को लड़के वालों के बुरे बर्ताव पर बहुत गुस्सा आता है और उन्हें खरी-खोटी सुनाने को वह मजबूर हो जाती है।
प्रश्न 4: गोपाल प्रसाद विवाह को 'बिजनेस' मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छुपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर: गोपाल प्रसाद वैवाहिक संस्कार की पवित्रता को नहीं समझते।उनके लिए यह किसी व्यापार अथवा सौदेबाजी की तरह है। इसीलिए विवाह को वह 'बिजनेस' मानते हैं और अपने नालायक और आवारा बेटे के विवाह में अच्छी खासी रकम और दहेज लेने के इच्छुक दिखते हैं।
दूसरी ओर रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्चशिक्षा को नजरअंदाज करते हैं और छिपाते हैं। यह तो शिक्षा का और अपनी बेटी की योग्यता का अपमान हो गया जो एक उच्चशिक्षित व्यक्ति के आत्मसम्मान को चोट पहुँचाता है।
अतः गोपाल प्रसाद और और रामस्वरूप को अपराध के एक ही कठघरे में रखा जा सकता है। दोनों समान रूप से अपराधी हैं।
प्रश्न 5: "...आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं..." उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर: एकांकी का युवा पात्र शंकर कायर, चरित्रहीन और अपने पिता की ही तरह दकियानूसी विचार वाला एक व्यक्ति है। अपने निर्णय तक वह स्वयं नहीं ले सकता। एकांकी में आए कुछ प्रसंग, जैसे-- शंकर के द्वारा लड़कियों के हॉस्टल में चक्कर लगाना, नौकरानी से उसका माफी माँगकर भागना, उनसे दंडित होना आदि उसकी चरित्रहीनता, स्वाभिमानहीनता आदि का परिचय देता है। उमा शंकर की उन सारी कमियों के बारे में जानती है। इसलिए वह व्यंग करते हुए शंकर की कमियों की ओर संकेत करते हुए कहती है-- "...आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं...।"
प्रश्न 6: शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-- समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए:
उत्तर: समाज को उमा जैसे जागरूक, विवेकशील, बुद्धिमान, पढ़े-लिखे, दहेजविरोधी अनुशासित व्यक्तियों की, इसी तरह की सोच रखने वाले व्यक्तित्वों की आवश्यकता है, जो अपनी प्रतिभा के बल पर समाज में परिवर्तन लाने में सक्षम होते हैं।
इसके विपरीत समाज को शंकर जैसे युवक की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, क्योंकि उसके जैसे व्यक्ति चरित्रहीनता, दहेजलोलुपता, संस्कारहीनता, कायरता आदि की वजह से समाज को खोखला बना देते हैं और समाज का नुकसान पहुँचाते हैं।
प्रश्न 7: 'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: रीढ़ की हड्डी शरीर को सीधा रखती है और सुंदर व्यक्तित्व प्रदान करती है। इसी तरह समाज के व्यक्तित्व में निखार लाने का कार्य युवा पीढ़ी करती है। चरित्रहीन, कायर, दहेजलोलुप व्यक्ति समाज को रीढ़विहीन, लूला-लंगड़ा बना डालते हैं। वहीं उमा जैसे साहसी, शिक्षित, जागरूक, विवेकसंपन्न, अनुशासित व्यक्ति और युवा पीढ़ी ही समाज की रीढ़ की हड्डी बन कर उसे नई दिशा और पहचान प्रदान करते हैं। अतः एकांकी का यह प्रतीकात्मक शीर्षक 'रीढ़ की हड्डी' सर्वथा उचित है।
प्रश्न 8: कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर: कथावस्तु के आधार पर एकांकी का मुख्य पात्र उमा है, क्योंकि उमा ही नाटक की कथावस्तु को गति प्रदान करती है। उमा का सशक्त व्यक्तित्व एकांकी के दूसरे सभी पात्रों पर भारी पड़ता है। एकांकी की कथावस्तु उसी पर आधारित है। वह कथा की केंद्रबिंदु है। उसी के इर्द-गिर्द एकांकी का समस्त कथानक घूमता है।
प्रश्न 9: एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ:
रामस्वरूप एक आधुनिक विचार संपन्न व्यक्ति है। वह स्त्री शिक्षा का समर्थक है। इसलिए अपनी बेटी उमा को भी उच्च शिक्षा दिलाता है। परंतु ऊँचे खानदान में अपनी बेटी की शादी कराने के फेर में, लड़के वालों की नाजायज माँग के आगे घुटने टेकते हुए अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाने के लिए भी वह विवश दिखता है।
गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ:
एकांकी के विविध प्रसंगों में गोपाल प्रसाद एक चालाक, बड़बोला, लालची, पुरुषवादी व्यक्ति के रूप में दिखाई देता है। वकील होने के बावजूद कई बार वह विवेकहीन ढंग से बातें करते हुए नजर आता है। वह विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को भी बिजनेस अथवा फायदे-घाटे का सौदा मानता है।
प्रश्न 10: इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी का मुख्य उद्देश्य समाज को स्त्री-शिक्षा का महत्व बताना, विवाह की रूढ़िवादी व्यवस्था तथा व्यावसायिक मनोवृति पर चोट करना और समाज के चरित्रहीन एवं दोमुँहे व्यक्तित्व वाले लोगों का पर्दाफाश करना है। इसका उद्देश्य समाज में औरतों की दशा को सुधारना, उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना और स्त्री-पुरुषों के बीच की समानता को दर्शाना भी है। यह एकांकी उन लोगों की तरफ़ अँगुली उठाती है जो समाज में स्त्रियों को जानवरों से अथवा किसी सामान से ज़्यादा कुछ नहीं समझते। जिनके लिए नारी घर में उपयोग में लाने अथवा सजाने के सामान से ज़्यादा कुछ नहीं है। यह एकांकी औरत को उसके आत्मसम्मान की रक्षा करने का संदेश देती है और यह इस उद्देश्य में सफल भी है।
प्रश्न 11: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तरः हम महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं--
(क) बालिकाओं को उच्च शिक्षा प्रदान कर उनके व्यक्तित्व को ऊँचा उठा सकते हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
(ख) महिलाओं को भी संपत्ति का हक और अधिकार दिलाकर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
(ग) सरकारी और व्यक्तिगत क्षेत्रों में नौकरी, जिम्मेवारी देकर उनका आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं और उनके सामाजिक स्तर का सुधार कर सकते हैं।
(घ) लड़कों के समान लड़कियों को भी हर क्षेत्र में एक समान मौके देकर भेदभाव रहित सामाजिक वातावरण का विकास कर सकते हैं।
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