अलंकार (श्लेष, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, मानवीकरण)

 अलंकार 

प्रश्न 1: श्लेष अलंकार के कुछ उदाहरण दीजिए:

उत्तर: (i) प्रियतम बतला दे हमें लाल मेरा कहाँ है?
 (लाल--- 1. बहुमूल्य रत्न, 2. पुत्र)

(ii) मधुबन की छाती को देखो 
      सूखी कितनी इसकी कलियाँ
(कलियाँ-- 1. खिलने से पूर्व फूलों की अवस्था, 2. बचपन का समय)

(iii) रहीमन जो गति दीप की कुल कपूत गति सोय।
       बारे उजियारो करै बढ़ै अँधेरो होय।।
(बारे-- 1. जलाने पर, 2. बचपन में 
बढ़ै-- 1. बुझने पर, 2. बड़ा होने पर)

(iv) रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
       पानी गए न ऊबरै मोती, मानुष, चून।।
(पानी के तीन अर्थ हैं-- 1. चमक, 2. प्रतिष्ठा और 3. जल)

(v) चरन धरत चिंता करत चितवत चारहुँ ओर। 
      सुबरन को खोजत फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर।।
(सुबरन के तीन अर्थ हैं-- 1. सुंदर शब्द, 2. सुंदर रंग-रूप और 
3. स्वर्ण अथवा सोना)

(vi) को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर 
(वृषभानुजा-- 1. गाय, 2. राधा 
हलधर--1. बैल, 2. बलराम)

(vii) मंगन को देखि पट देत बार-बार
(पट--1. वस्त्र, 2. दरवाजा)

प्रश्न 2: उत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ उदाहरण दीजिए:

उत्तर: (i) माई मानो घन घन अंतर दामिनी

(ii) कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए
      हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।

(iii)

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