संवाद लेखन
संवाद लेखन
1. स्कूल जाते हुए बच्चों को देखकर काम पर जा रहे कुछ श्रमिक बच्चों के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर:
पहला बच्चा: (दूसरे बच्चे से) अरे! ये बच्चे एक से कपड़े पहने हाथ में पानी की बोतलें और खाने का डिब्बा लिए कहाँ जा रहे हैं?
दूसरा बच्चा: अरे! तुम्हें नहीं पता? ये सब स्कूल जा रहे हैं।
पहला बच्चा: स्कूल क्या होता है? वहाँ ये सब क्या काम करते हैं?
दूसरा बच्चा: स्कूल काम करने की नहीं, पढ़ने की जगह होती है। वहीं पर ये सब पढ़ने जाते हैं।
पहला बच्चा: हम स्कूल क्यों नहीं जाते?
दूसरा बच्चा: हम गरीब हैं न? हमें पैसे कमाने के लिए काम पर जाना पड़ता है।
पहला बच्चा: मेरा भी मन स्कूल जाने को करने लगा है। क्या मैं स्कूल जा सकता हूँ?
दूसरा बच्चा: हाँ, क्यों नहीं जा सकते? पर दूसरे स्कूल में। सरकार ने हमारे जैसे बच्चों की पढ़ाई का मुफ्त में इंतजाम कर रखा है।
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प्रश्न 2: दो मित्रों के बीच ग्रीष्म अवकाश एक साथ बिताने के संबंध में हुई बातचीत को संवाद के रूप में प्रस्तुत कीजिए:
उत्तर:
अमितः मित्र सुमित! इस बार की गर्मियों की छुट्टियों में तुम्हारा क्या कार्यक्रम है? क्या कहीं बाहर जाने की सोच रहे हो?
सुमित: मैं घूमने के लिए जाना तो चाहता हूँ। किंतु समस्या यह है कि पैसे की कमी है। मेरे पास मुश्किल से पाँच सौ रुपए हैं और माताजी मुझे और पाँच सौ से अधिक नहीं देंगी।
अमित: और यदि कम पैसों में ही किसी पर्वतीय स्थान पर घूम लिया जाए तो? यह समझ लो कि दो हजार में हम दस-पंद्रह दिनों तक आराम से घूम सकते हैं।
सुमित: इससे बढ़िया बात तो कुछ और हो ही नहीं सकती। लेकिन हम जाएँगे कहाँ?
अमितः हम मसूरी जाएँगे। वहाँ मेरे मामा जी एक धर्मशाला में मैनेजर हैं। मैंने मामा जी से बात कर रखी है। ठहरने का और खाने-पीने का सारा खर्च बच जाएगा।
सुमितः फिर तो मजा आ जाएगा।
अमितः अब तो कोई समस्या नहीं है। ऐसा करते हैं कि छुट्टी शुरू होते ही शनिवार की रात वाली बस से चलेंगे और सुबह मसूरी पहुँच जाएंगे।
सुमितः वाह! क्या बात कही। तुम्हें बहुत बहुत धन्यवाद मित्र।
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प्रश्न 3: परीक्षा के एक दिन पूर्व दो मित्रों में हुई बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तरः
अक्षर – नमस्ते विमल, कुछ परेशान से दिखते हो?
विमल – नमस्ते अक्षर, कल हमारी गणित की परीक्षा है न?
अक्षर – मैंने तो पूरा पाठ्यक्रम दोहरा लिया है, और तुमने?
विमल – पाठ्यक्रम तो मैंने भी दोहरा लिया है, पर कई सवाल ऐसे हैं, जो मुझे नहीं आ रहे हैं।
अक्षर – ऐसा क्यों?
विमल – जब वे सवाल समझाए गए थे, तब बीमारी के कारण मैं स्कूल नहीं जा सका था।
अक्षर – कोई बात नहीं चलो, मैं तुम्हें समझा देता हूँ। शायद तुम्हारी समस्या हल हो जाए।
विमल – पर इससे तो तुम्हारा समय बेकार जाएगा।
अक्षर – कैसी बातें करते हो यार, अरे! तुम्हें पढ़ाते हुए मेरा दोहराने का काम स्वतः हो जाएगा। फिर, इतने दिनों की मित्रता कब काम आएगी।
विमल – पर, मैं उस अध्याय के सूत्र रट नहीं पा रहा हूँ।
अक्षर – सूत्र रटने की चीज़ नहीं, समझने की बात है। एक बार यह तो समझो कि सूत्र बना कैसे। फिर सवाल कितना भी घुमा-फिराकर पूछा जाए, तुम ज़रूर हल कर लोगे।
विमल – तुमने तो मेरी समस्या ही सुलझा दी। चलो अब कुछ समझा भी दो।
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