अलंकार
प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 1: अलंकार किसे कहते हैं? इसके मुख्यतः कितने भेद हैं? उनके नाम लिखिए:
उत्तर: काव्य की शोभा या सुंदरता बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं। इसके मुख्यतः दो भेद हैंं ---
(क) शब्दालंकार और (ख) अर्थालंकार
प्रश्न 2: शब्दालंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए:
उत्तर: जिस अलंकार में शब्दों के प्रयोग के कारण वाक्य अथवा काव्य में आकर्षण अथवा चमत्कार आ जाता है, उसे शब्दालंकार कहते हैं। जैसे:
--- रघुपति राघव राजा राम
--- काली घटा का घमंड घटा
प्रश्न 3: कुछ प्रमुख शब्दालंकारों के नाम लिखिए:
उत्तर: कुछ प्रमुख शब्दालंकार हैं:
(क) अनुप्रास अलंकार,
(ख) यमक अलंकार,
(ग) श्लेष अलंकार,
(घ) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ङ) वक्रोक्ति अलंकार आदि।
प्रश्न 4: अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए:
उत्तर: जहाँ वर्ण की अथवा व्यंजनों की पुनरावृत्ति के कारण काव्य में चमत्कार अथवा आकर्षण उत्पन्न हो, उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं। जैसे:
(क) रघुपति राघव राजा राम
(ख) कानन कुंडल कुंचित केसा
(ग) कालिंदी कूल कदंब की डारन
(घ) चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल थल में
(ङ) छोरटी है गोरटी या चोरटी अहीर की
(च)विमल वाणी ने वीणा ली कमल कोमल कर में प्रतीत
(छ) कुकै लगी कोइलें कदंबन पै बैठी फेरि
(ज) नभ पर चमचम चपला चमकी
(झ) बरसत बारिद बूँद
(ञ) मधुर मधुर मुसकान मनोहर मनुज वेश का उजियाला
प्रश्न 5: उदाहरण सहित यमक अलंकार की परिभाषा लिखिए:
उत्तर: जब किसी वाक्य में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो, उसे यमक अलंकार कहते हैं। जैसे:
(क) काली घटा का घमंड घटा
(ख)कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय
(ग) कर का मनका डारि दे मन का मनका फेर
(घ) जे तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है
(ङ) कहै कवि बेनी बेनी व्याल की चुराई लीनी
(च) तू मोहन के उर बसी ह्वै उरबसी समान
(छ)या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी
(ज) जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं
(झ) पास ही रे! हीरे की खान
उसे खोजता कहाँ नादान
(ञ) केकी-रव की नूपुर-ध्वनि सुन
जगती जगती की मूक प्यास
प्रश्न 6: अर्थालंकार किसे कहते हैं? इसके कुछ प्रमुख भेदों के नाम लिखिए:
उत्तर: जब शब्दों के अर्थ से साहित्य अथवा काव्यपंक्तियों में चमत्कार उत्पन्न हो तो उसे अर्थालंकार कहते हैं। अर्थालंकार में अर्थ के कारण काव्य पंक्तियों में आकर्षण पैदा होता है।
अर्थात्
काव्य अथवा साहित्य में शब्द के कारण चमत्कार उत्पन्न होने पर शब्दालंकार माना जाता है और अर्थ के कारण चमत्कार अथवा आकर्षण पैदा होने पर अर्थालंकार माना जाता है।
अर्थालंकार के अनेकों भेद हैं। उनमें से कुछ प्रमुख भेद हैं--
(क) उपमा अलंकार,
(ख) रूपक अलंकार,
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार,
(घ) अतिशयोक्ति अलंकार,
(ङ) मानवीकरण अलंकार आदि।
प्रश्न 7: उपमा अलंकार की परिभाषा सविस्तार लिखिए:
उत्तर: जहाँ एक वस्तु अथवा प्राणी के गुण अथवा धर्म की तुलना अन्य किसी प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी के समान गुण अथवा धर्मों से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। जैसे:--
सीता का मुख चंद्रमा के समान सुंदर है।
उपमा अलंकार में जिस वस्तु की तुलना की जाती है, उसे उपमेय कहा जाता है।
जिस प्रसिद्ध वस्तु से उपमेय की समानता की तुलना की जाती है, उसे उपमान कहा जाता है।
'सीता का मुख चंद्रमा के समान सुंदर है।' -- इस उदाहरण में 'सीता का मुख' उपमेय है और 'चंद्रमा' उपमान है।
उपमा अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण:
(क) पीपर पात सरिस मन डोला
(ख) हरिपद कोमल कमल से
(ग) मुख बाल रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ
(घ) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा
(ङ) यह देखिए, अरविंद-से शिशुवृंद कैसे सो रहे
(च) हाय फूल-सी कोमल बच्ची हुई राख की थी ढेरी
(छ) कर कमल-सा कोमल है
(ज) सिंधु-सा विस्तृत है अथाह एक निर्वासित का उत्साह
(झ) नील गगन-सा शांत हृदय था हो रहा
(ञ) फूलों-सा चेहरा तेरा कलियों-सी मुस्कान है
प्रश्न 8: रूपक अलंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए:
उत्तर: जहाँ गुणों की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है। जैसे:
(क) पायो री मैंने राम-रतनधन पायो
(ख) मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहौं
(ग) चरण-कमल बंदौं हरिराई
(घ) स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय-जलजात
(ङ) मन-सागर मनसा-लहरी बूड़े बहे अनेक
(च) जलता है यह जीवन-पतंग
(छ) वन शारदी चंद्रिका-चादर ओढ़े
(ज) चरण-सरोज पखारन लागा
(झ) कर जाते व्यथा भार लघु
बार बार कर-कंज बढ़ाकर
(ञ) प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा
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