विदेश: नेपाली यात्री की दृष्टि में
विदेश: नेपाली यात्री की दृष्टि में
उद्गार
साहित्य के महत्वपूर्ण अंग को एक बड़ा योगदान
यात्रा संस्मरण के महत्व अनेक हैं। पाँचवीं और सातवीं शताब्दी के करीब नेपाल और भारत की यात्रा करने वाले चीनी यात्री फाहियान और ह्वेनसांग के यात्रा संस्मरण की याद भी इन्हीं कारणों से इतिहासकार आज तक करते हैं। आज के अन्वेषण अनुसंधान के युग में ऐसे यात्रा संस्मरण से लोगों को रोचक जानकारी देने के साथ-साथ ज्ञान की सीढ़ी चढ़ने का मात्र न होकर प्रगति पथ पर आगे बढ़ने के लिए आवश्यक प्रेरणा देने का कार्य भी होता है। यात्रा संस्मरण इसीलिए आज के संदर्भ में देश-विदेश के वर्णन में मात्र सीमित न होकर एक मानव की अनुभव अनुभूति से दूसरे मानव को सीखने समझने की विधा रूप में विस्तृत हो गया है।
श्री घनश्याम राजकर्णिकार की प्रस्तुत पुस्तक में समाहित विभिन्न देशों के भ्रमण वृत्तांत इसी अर्थ में अविस्मरणीय हो गए हैं। इसमें एक नेपाली बुद्धिजीवी के मन मस्तिष्क के द्वारा ग्रहण की गई उसकी अपने देश की तुलना में विकसित हो चुके देशों के विकास के रहस्य मात्रा अभिलिखित नहीं है, बल्कि उसमें निहित दुर्गुण, दुर्भावना और दुष्कृतियाँ भी उद्घाटित हो पाई हैं। इससे नेपाली पाठक मनोरंजन लेने के साथ ज्ञान, गुण और प्रेरणा भी ले सकते हैं। यही इसके लेखक का उद्देश्य भी है।
यदि ऐसा न होता तो वे इन भ्रमण वृत्तांतों को इतने ज्यादा विस्तार के साथ नहीं लिखते। आज के नेपाल में देश विदेशों का भ्रमण करने वाले और भी कई महानुभाव हैं। यह भी नहीं है कि इस संदर्भ में उन लोगों का अनुभव तथा ग्रहणशीलता इनसे ज्यादा नहीं है। फिर भी अपने अनुभव तथा अनुभूति व्यापक जनमानस में पहुँचाने की आकांक्षा, सार्थक चेतना अथवा या प्रयास बहुत कम में ही दिखती है। यह पुस्तक प्रमाण है कि इनकी तरह लिपिबद्ध करके अपने अनुभवों का प्रचार प्रसार कम लोग ही करते हैं। इस कारण उनके इस यात्रा संस्मरण से नेपाली साहित्य के एक महत्वपूर्ण अंग को बड़ा योगदान प्राप्त हुआ है, यह स्पष्ट है। इसके लिए उन्हें जितना भी साधुवाद दिया जाए, कम है।
आशा है, उनकी सिद्धहस्त लेखनी से देश के बाहर के स्थानों के साथ ही देश के भीतर के स्थानों का यात्रा विवरण भी यथा समय प्राप्त होता रहेगा और देशवासी अपने समाज की और देश की भलाई के प्रति अभिप्रेरित होते रहेंगे।
विक्रम संवत 2037 श्रावण 10 माधवलाल कर्माचार्य
(जुलाई 25, 1980, शुक्रवार) केलटोल, काठमांडू
=======================================
सिर्फ यात्रा संस्मरण में अपनी कलम चलाने वाले यात्राकार घनश्याम राजकर्णिकार
बिना छुपाए लिखते हैं
फूलों के साथ भँवरों के संवाद जैसा
यात्रा का विवरण लिखते हैं।"
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें