प्रश्नोत्तर अभ्यास



प्रश्नोत्तर अभ्यास


प्रश्न 1: सलीम अली की दृष्टि में प्रकृति कैसी है? 
उत्तर: सालिम अली की दृष्टि में प्रकृति रहस्यों से भरी हुई है। उनके अनुसार जितना ज्यादा प्रकृति के निकट रहा जाए, उतना ही ज्यादा उसे समझा जा सकता है। सालिम अली प्रकृति को ही अपनी दुनिया मानते थे।

प्रश्न  2: लेखक ने सालिम अली को 'नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप' क्यों कहा है? 
उत्तर: लेखक ने सालिम अली के स्वाभाविक, सरल एवं सहज जीवन चरित्र की ओर संकेत करने के लिए उन्हें 'नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप' कहा है। उनका व्यक्तित्व प्रकृति की ही भाँति सहज एवं सरल था, जिसमें कृत्रिमता या बनावटीपन के लिए कोई जगह नहीं थी। 

प्रश्न  3: फ्रीडा अपने पति के बारे में कुछ भी लिख पाने में असमर्थ क्यों महसूस कर रही थी? 
उत्तरः फ्रीडा को ऐसा लगता था कि उनके पति के बारे में उनसे ज्यादा तो उनकी छत पर बैठने वाली गौरैया जानती है, क्योंकि उनके पति डी. एच. लॉरेंस का प्रकृति से बहुत गहरा लगाव था और घनिष्ठ संबंध भी। फ्रीडा को लगता था कि उनके पति लॉरेंस का जितना समय प्रकृति एवं पक्षियों के बीच बीत जाता है, उतना समय उनके (अपनी पत्नी फ्रीडा के) साथ भी उन्होंने नहीं गुजारा है।

प्रश्न 4: सलीम अली का व्यक्तित्व जटिल प्राणियों के लिए एक पहेली क्यों था? 
उत्तरः सामान्यतः लोगों को सालिम अली के अपार प्रकृति प्रेम एवं पक्षी प्रेम की जानकारी नहीं थी। लोग नहीं जानते थे कि वे पक्षियों के संरक्षण के प्रति कितने समर्पित व्यक्तित्व हैं। अत्यंत सहज एवं सरल  स्वभाव के व्यक्ति होने के कारण भी उनका व्यक्तित्व जटिल प्राणियों के लिए एक पहेली के समान था।

प्रश्न 5: ईश्वर ने बैलों को वाणी दी होती तो झूरी से दूर जाते समय वे उनसे क्या कहते?
उत्तर: यदि ईश्वर ने बैलों को वाणी दी होती तो वे झूरी से पूछते कि उन्होंने कभी भी उसकी सेवा करने में कोई कमी नहीं की। जैसा स्वामी ने उन्हें दिया वैसा ही खाकर वे तृप्त हो गए। वे हमेशा इसी प्रकार झूरी की सेवा करने को तैयार थे तो उसने उन्हें क्यों इतनी दूर भेज दिया? क्यों गया जैसे आदमी के हाथों उन्हें बेच दिया?

प्रश्न  6: झूरी अपने बैलों के साथ कैसा व्यवहार करता था? 
उत्तर: झूरी अपने बैल हीरा और मोती के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करता था। वह उन्हें प्रेम से भूसा खिलाता था और स्नेह से उनकी पीठ सहलाता था। वह उन्हें कभी फूल की छड़ी से भी नहीं मारता था। वह हर समय अपने बैलों की हित चिंता करता था। बैल भी झूरी के इन व्यवहारों से अत्यंत प्रसन्न रहते थे।

प्रश्न  7: छोटी लड़की किसकी बेटी थी और वह बैलों को रोटियाँ क्यों खिलाती थी?
उत्तर: छोटी बच्ची भैरो की बेटी थी। उसकी माँ सौतेली थी। वह उस पर तरह तरह के अत्याचार करती थी। ठीक उसी तरह गया भी बैलों पर अत्याचार करता था। छोटी बच्ची बैलों का दर्द समझ सकती थी। इसलिए वह बैलों को रोटियाँ खिलाती थी। बैल भी छोटी लड़की के प्रति सहानुभूति दर्शाते थे। इसलिए वह भी उसे आफत में डालकर वहाँ से नहीं जाना चाहते थे। 

प्रश्न  8: कांजीहौस किसे कहते हैं? वहाँ पशुओं के साथ कैसा व्यवहार होता है? 'दो बैलों की कथा' के आधार पर लिखिए। 
उत्तर: कांजीहौस उस स्थान को कहते हैं, जहाँ आवारा पशुओं को कैद करके रखा जाता है। वहाँ पशुओं के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार होता है। वहाँ  रखे गए पशुओं के लिए किसी प्रकार के चारे की व्यवस्था तक नहीं होती। दिन भर में केवल एक बार पीने के लिए पानी की व्यवस्था कर दी जाती है। वहाँ बंद सभी जानवर मृततुल्य  हालत में होते हैं। यहाँ रखे गए जानवरों के प्रति किसी के मन में भी सहानुभूति की भावना नहीं देखी जाती।

प्रश्न 9: महादेवी वर्मा को कविता लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली? पाठ के आधार पर लिखिए:
उत्तर: महादेवी वर्मा जी को कविता लिखने की आरंभिक प्रेरणा अपने घर से ही मिली। उनकी माँ मीरा के पद गती थीं। उनको सुन सुनकर उन्होंने भी ब्रज भाषा में कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था। फिर बाद में छात्रावास में जाने के बाद सुभद्रा कुमारी चौहान के प्रभाव में आकर उन्होंने खड़ी बोली में भी कविता लिखना आरंभ कर दिया।

प्रश्न 10: लेखिका महादेवी वर्मा के जन्म के समय और बाद में इतनी खातिरदारी क्यों हुई?
उत्तरः लेखिका के परिवार में प्रायः दो सौ वर्षों तक कोई लड़की पैदा नहीं हुई थी। अतः लेखिका के बाबा ने परिवार में कन्या संतान की कामना करते हुए दुर्गा पूजा की, जो उनके परिवार की कुलदेवी थीं। इसके उपरांत लेखिका का जन्म हुआ। इसलिए घर में उसकी बड़ी खातिरदारी हुई। उन्हें समाज में अथवा घर-परिवार में वर्षों से लड़कियों के साथ हो रहे अन्याय तथा भेदभाव की स्थितियों का सामना भी नहीं करना पड़ा।

प्रश्न  11: महादेवी जी के व्यक्तित्व की कौन-सी बातें आपको सबसे अच्छी लगीं और क्यों? किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए। 
उत्तरः महादेवी जी के व्यक्तित्व की निम्न दो विशेषताएँ हमें सबसे अच्छी लगीं--
(i) स्वतंत्रता आंदोलन के समय वह छोटी बच्ची ही थी, परंतु फिर भी वह उसमें यथासंभव सहयोग करती थी। वह अपने जेब खर्च में से कुछ पैसे बचा कर बापू को देती थी। उसने पुरस्कार के रूप में मिला सुंदर-सा चाँदी का कटोरा भी देशहित में बापू को सहर्ष दे दिया था। 
(ii) महादेवी जी के मन में संप्रदाय आधारित भेद-भावना भी बिल्कुल नहीं थी। वह सभी धर्म, भाषा, संप्रदाय के व्यक्तियों के साथ घुलमिल कर रहती थी।

प्रश्न 12: श्यामाचरण दुबे के अनुसार बौद्धिक दासता क्या है? कौन इसका शिकार हो रहा है?
उत्तर: अपनी समृद्ध सभ्यता,संस्कृति को तो छोटी और दूसरों की सामान्य सोच को भी सही एवं महत्वपूर्ण मानकर उन्हें ही अपनाने की होड़ बौद्धिक दासता कहलाती है। पाश्चात्य सभ्यता के अंधे अनुयायी बन कर भारतीय बौद्धिक दासता के शिकार होते जा रहे हैं। आज वे  नई और पश्चिमी संस्कृति का अंधा अनुकरण कर रहे हैं, जो हमारी मानसिकता को बदल रही है। इसका परिणाम अत्यंत घातक हो सकता है।

प्रश्न 13: उपभोक्तावादी संस्कृति ने पुरुषों को कैसे प्रभावित किया है? 
उत्तर: उपभोक्तावादी संस्कृति के प्रभाव में आकर पुरुष भी आज सौंदर्य प्रसाधनों का खूब इस्तेमाल करने लगे हैं। महिलाओं की तरह  वे भी सौंदर्य प्रसाधन की सामग्रियों पर ज्यादा से ज्यादा खर्च करने लगे हैं। बाजार पुरुषों से संबंधित विभिन्न प्रकार की सामग्रियों से भरे पड़े हैं। ये सब उनके प्रतिष्ठासूचक चिन्ह बनने लगे हैं, जो समाज में उनकी हैसियत को जताते हैं। इस तरह उपभोक्तावादी संस्कृति से समाज का पुरुष वर्ग भी ग्रसित होने लगा है।

प्रश्न  14: उपभोक्तावादी संस्कृति के विषय में गांधी जी के क्या विचार थे? 
उत्तर: उपभोक्तावादी संस्कृति को देखकर गांधी जी ने कहा था कि यह हमारी सामाजिक नींव को हिला रही है। इसलिए हम स्वस्थ सांस्कृतिक प्रभावों को ही अपनाएँ और अपनी बुनियाद पर कायम रहें। वरना भविष्य में हमारे समाज और सभ्यता एवं संस्कृति के लिए यह एक बड़ा खतरा हो सकता है। 

प्रश्न 15: आज की संस्कृति को लेखक ने क्या नाम दिया है? उस में विज्ञापनों की क्या भूमिका है? 
उत्तरः आज की संस्कृति को लेखक ने 'उपभोक्तावाद की संस्कृति' का नाम दिया है। इस उपभोक्तावादी संस्कृति में विज्ञापन उपभोक्ताओं को भड़काने का काम करते हैं। लोगों में लालच की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं। विज्ञापन का काम ही है वस्तुओं को नए-नए तरीकों से प्रस्तुत करना। इनसे प्रभावित होकर उपभोक्ता पुरानी वस्तुओं को बेकार समझने लगता है और बाजार में आ रही विभिन्न प्रकार की नई-नई वस्तुओं के जाल में फँसता चला जाता है।

प्रश्न 16: मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ खोजता है?
उत्तर: मनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, काबा, कैलाश, योग, वैराग्य तथा विभिन्न प्रकार के क्रिया-कर्मों में ढूँढता फिरता है। लेकिन वह ईश्वर को अपने भीतर या दूसरे प्राणियों के भीतर नहीं खोजता। जबकि ईश्वर कहीं बाहर नहीं, हर मनुष्य के हृदय में या हर प्राणियों में निवास करता है।

प्रश्न  17: 'कबीर के दोहे और पद सांप्रदायिक सद्भाव उत्पन्न करते हैं।'--  इस विषय पर संक्षेप में अपने विचार लिखिए। 
उत्तरः कबीर के दोहे, पद और सबद दो टूक शब्दों में सामाजिक परस्पर भेदभाव को दूर करके समभाव, सद्भाव और मनुष्यता को अपनाने का संदेश देते हैं। वे हिंदू, मुस्लिम दोनों संप्रदायों को बराबर फटकारते हैं और दोनों को एक होकर रहने तथा सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।

प्रश्न 18: 'सुबरन कलश सुरा भरा साधु निंदा सोई' पंक्ति में 'सोने के कलश' व 'सुरा' के उदाहरण से कबीर क्या स्पष्ट करना चाहते हैं?
उत्तर: कबीर ने इस उदाहरण से यह स्पष्ट किया है कि सोने के कलश में यदि शराब भरी हो तो साधु उस पात्र में स्थित शराब की भी निंदा ही करते हैं। इसी प्रकार बुरे कर्मों का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर  पड़ता है। उच्च कर्म ही व्यक्ति को महान बनाते हैं, उच्च कुल नहीं।

प्रश्न  19: कबीर ने मानसरोवर किसे कहा है? हंस मानसरोवर छोड़कर अन्यत्र क्यों नहीं जाना चाहते? 
उत्तर: कबीर ने मन रूपी सरोवर अर्थात पवित्र एवं ज्ञान-भक्ति से पूर्ण मानव मन को मानसरोवर कहा है। जीवात्मा रूपी हंस ईश्वर भक्ति से संपन्न मन रूपी मानसरोवर छोड़कर अन्यत्र इसलिए नहीं जाना चाहते, क्योंकि जो परम आनंद यहाँ मिलता है, वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं हो सकता।

प्रश्न  20: लता बादलों के आने पर क्यों शर्माती है? 'मेघ आए" कविता के आधार पर लिखिए:
उत्तर: लता बादल रूपी मेहमान को अपना प्रियतम मानती है। उसे वह दरवाजे की ओट अर्थात पेड़ की ओट से लजाते हुए देखती है,  मानो वह बड़े-बूढ़ों के होते हुए मेघ रूपी अपने पति अथवा प्रियतम के सामने जाने में शर्म महसूस करती है। वह मेघों के वर्ष भर बाद आने के कारण शर्माती एवं शिकायत करती प्रतीत होती है।

प्रश्न  21: 'हरसाया ताल लाया पानी परात भर के'-- 'मेघ आए' कविता की इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: कवि ने गाँव के तालाब के रूप एवं आकार की तुलना परात से की है, जो मेघों के न बरसने की स्थिति में खाली पड़ा था। मेघ के आते ही अथवा बरसते ही उसमें पानी भर गया और वह बड़ा हर्षित हो उठा। ऐसा लगा मानो मेहमान के स्वागत में कोई उसके पाँव धोने के लिए परात में जल भरकर ले आया हो। गाँव में इसी तरह मेहमान के पाँव धोने का रिवाज है। 

प्रश्न 22: मेघों के लिए 'बन-ठन के सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर: मेघों के लिए 'बन-ठन के सँवर के' आने की बात इसलिए कही गई है, क्योंकि जिस प्रकार मेहमान अथवा दामाद अपनी ससुराल में सज-धज कर पूरी तैयारी से जाता है, उसी प्रकार आकाश के काले भूरे मेघ भी सज-सँवर कर आए हैं। गर्मी से पीड़ित लोग, किसान और प्रकृति की बहुत प्रतीक्षा के बाद बादल आकाश में पानी-बिजली आदि लेकर आए। उन्हें देखने के लिए सभी आतुर हैं।

प्रश्न  23: 'मेघ आए' कविता में वृक्ष क्या कर रहे हैं? उनकी स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर: 'मेघ आए' कविता में वृक्ष झूम-झूम कर मेघों का अभिवादन कर रहे हैं। हवा चलने के कारण पेड़ ऐसे झुक रहे हैं मानो वे गर्दन उचका-उचका कर मेघों की ओर झाँकने लगे हों। ऐसा लगता है जैसे वे झुक-झुक कर बादलों का अभिवादन कर रहे हों या बादलों को नमस्कार कर रहे हों।

प्रश्न  24: कवि ने गाँव को 'हरता जन मन' क्यों कहा है? 
उत्तर: वसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति में चारों ओर हरियाली दिखाई दे रही है, जिस कारण पूरा गाँव हरा-भरा दिखाई दे रहा है। हरे-भरे खेत और उसमें उगी हुई फसलें ऐसी दिखाई दे रही हैं, जैसे मरकत यानी पन्ना नामक रत्न का डिब्बा किसी ने खोल कर रख दिया हो। गाँव की हरियाली हर किसी के मन को मोह रही है और अपनी ओर आकर्षित कर रही है। प्रकृति की हरियाली एवं मनमोहक दृश्यों से परिपूर्ण गाँव हर जन मन को हर रहा होता है।

प्रश्न  25: 'ग्रामश्री' कविता में कवि पंत जी ने हरियाली को मखमल के समान क्यों बताया है? 
उत्तरः हरी हरी घास अत्यंत कोमल और मखमल के समान लगती है। इसलिए पंत जी ने हरियाली को मखमल के समान बताया है। वास्तव में जिस तरह मखमल पर दृष्टि फिसलती है और उसका एहसास अत्यंत सुखद होता है, उसी तरह हरियाली की सुंदरता भी अत्यंत  सूखकर होती है।

प्रश्न 26: 'शासन की करनी भी काली' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: ब्रिटिश शासन के कारनामे अत्यंत अन्याय और अत्याचार पूर्ण थे। स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिकारियों को भी क्रूर अपराधियों के समान कठोर यातनाएँ दी जाती थीं। उनसे कठोर श्रम करवाया जाता था। उन पर कड़ा पहरा दिया जाता था। दस फुट के कमरे में कैद करके रखा जाता था। उन्हें रोने तक की आजादी नहीं दी जाती थी। अंग्रेजों के शासन करने का तरीका अत्यंत कठोर था।

प्रश्न  27: कवि माखनलाल चतुर्वेदी कोयल के माध्यम से अपने मन की किन भावनाओं को व्यक्त करना चाहता है? 
उत्तरः कवि कोयल के माध्यम से ब्रिटिश सरकार के कुशासन, उसकी नीयत, देश की चिंताजनक स्थिति, सरकार के प्रति अपना आक्रोश, जेल में स्वतंत्रता सेनानियों की दुर्दशा, मन का दुख, असंतुष्टि तथा निराशापूर्ण भावनाओं को व्यक्त करना चाहता है।

प्रश्न 28: 'देख विषमता तेरी मेरी' पंक्ति में कवि किस विषमता की बात कर रहे हैं? 
उत्तरः 'देख विषमता तेरी मेरी' कहकर कवि अपनी और कोयल की विषम स्थिति का चित्रण करते हैं। कवि कैदी है और कोकिला स्वतंत्र है। कवि दस फुट की कोठरी में कैद है जबकि कोयल खुले आकाश में विचरण करती है। कवि रो भी नहीं सकता और कोयल किसी भी समय गा सकती है।

प्रश्न 29: 'तिनकों के हरे-हरे तन पर हिल हरित रुधिर है रहा झलक'-- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए: 
उत्तरः कवि तिनकों को हरे शरीर वाला बताते हुए कहता है कि हरे तन वाले इन तिनकों में हरियाली इस प्रकार समा गई है, जैसे नसों में हरा रक्त बह रहा हो। घास के हरे तिनकों में ऐसी ताजगी एवं उज्ज्वलता चमक रही है, मानो उनकी नसों में हरा खून दौड़ रहा हो।

प्रश्न 30: कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी कोयल को बावली क्यों कहते हैं? 
उत्तरः कोयल का असमय आधी रात को कूकना कवि को ठीक नहीं लग रहा। उचित-अनुचित, समय-असमय का ध्यान न रखे बिना चिल्लाने वाला बावला या पागल ही तो होता है। इसलिए कवि की सोच में कोयल का यह व्यवहार उसका बावलापन है। कवि का हृदय पहले से ही दुखी था। अब कोयल की कूक ने तो कवि की वेदना को और भी अधिक तीव्र कर दिया है

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