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ध्वनिबोधक शब्द/ कक्षा: आठ

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  ध्वनिबोधक शब्दों के कुछ उदाहरण: (i) कुछ जड़ पदार्थों की ध्वनियाँ: 01: धनुषः टंकार  02: आँधी : साँय-साँय करना  03: बादलः गरजना 04: घड़ी : टिकटिक करना 05: घंटी : टनटन करना  06: हवा :  सरसर करना  07: पैरः पटकना  08: हृदयः धड़कना  09: दाँत : किटकिटाना  10: जूते : चरमराना  11: भोंपू : पौं-पौं करना 12: आँसू : छलछलाना 13: चूड़ियाँ : खनकना 14: बंदूक : धाँय-धाँय चलना 15: जीभ : लपलपाना  16: वर्षा : छमछम करना (ii) पशुओं की ध्वनियाँ 01: चीता : गुर्राना  02: गधा : रेंकना  03: गाय : रंभाना  04: भैंस : डकराना  05: घोड़ा : हिनहिनाना  06: बकरी : मिमियाना 07: बिल्ली : म्याऊँ-म्याऊँ करना  08: सूअर : हुरड़-हुरड़ करना 09: ऊँटः बलबलाना 10: कुत्ता: भौं-भौं करना  11: हाथी : चिंघाड़ना  12: शेर : दहाड़ना 13: गीदड़ : हुआँ-हुआँ करना  14: बंदर : किलकिलाना  15: भेड़ः मिमियाना 16: भालू : खों-खों करना  (iii)पक्षियों की ध्वनियाँ: 01: चिड़िया : चहचहाना 02: कबूतर : गुटरगूँ करना 03: तोता : टैं-टैं करना 04: कोयल : कू-कू करना, कूकना  05: मोर : कुहकना  06: पपीहा : पीउ-पीउ करना 07: मुर्गा : कुकड़ू-कूँ करना 08: कौवा

एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द/ कक्षा: आठ

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एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द  एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्दों के कुछ उदाहरणः 01: उम्र / अवस्था : जन्म से वर्तमान काल तक का समय       आयु : पूरा जीवनकाल 02: अलौकिकः जो इस लोक से संबंधित न हो        अस्वाभाविकः जो मानव प्रकृति के विपरीत हो  03: अहंकार : शक्ति या योग्यता से अधिक समझना         दर्पः नियम के विपरीत कार्य करने पर भी घमंड करना  04: अपराध : कानून के विरुद्ध कोई काम करना(जैसे-तस्करी, हत्या)         पाप : सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से किया गया अनुचित कार्य (जीव-हत्या, मांसाहार) 05: ईर्ष्या : दूसरे की उन्नति को देखकर जलना        द्वेषः दूसरे के प्रति घृणा या शत्रुता का भाव 06: अधिक : आवश्यकता से ज्यादा होना          काफी : जितना आवश्यक हो उतना होना         पर्याप्त : जितना आवश्यक हो उससे ज्यादा होना  07: अस्त्र : जो हथियार फेंककर चलाए जाएँ (जैसे-- बाण)         शस्त्रः जो हथियार हाथ में पकड़ कर चलाए जाएँ (जैसे-- गदा) 08: आरंभ : किसी साधारण कार्य की शुरुआत       श्रीगणेश : किसी शुभ कार्य या परियोजना का शुभारंभ  09: अर्पण : उम्र में छोटों द्वारा बड़ों को देना         प्रदानः ब

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द के कुछ उदाहरण 01: जिसे जाना ना जा सके --- अज्ञेय 02: जिसका जन्म अभी-अभी हुआ हो --- नवजात  03: जिसका अंत न हो --- अनंत  04: जिसके पास कुछ न हो --- अकिंचन  05: जिसकी कोई उपमा न हो ---  अनुपम 06: जिसके आने की तिथि न हो  ---  अतिथि 07: जिसके समान कोई दूसरा न हो ---  अद्वितीय 08: जो विधि या कानून के विरुद्ध हो  ---  अवैध  09: जिसकी तुलना न की जा सके  ---   अतुलनीय  10: जिसका आदि न हो ---  अनादि  11: जो कुछ न जानता हो  ---  अज्ञ 12: जिसका मूल्य न आँका जा सके ---  अमूल्य  13: जिसकी गहराई का पता न मिल सके ---  अथाह  14: बिना विचारे किया गया विश्वास  --- अंधविश्वास  15: जिसका कोई शत्रु न हो  ---  अजातशत्रु 16: जिसका इलाज न हो सके -- लाइलाज  17: जो होकर ही रहे ---  अवश्यंभावी 18: जो कम व्यय करता हो  ---  अल्पव्ययी  19: कम जानने वाला   ---   अल्पज्ञ 20: जो बिना वेतन के काम करे   ---    अवैतनिक 21: जो कुछ न करता हो  --   अकर्मण्य 22: जो दिखाई न दे   ---   अदृश्य  23:  जिसके होने में संदेह हो  ---   संदिग्ध  24: जो इस संसार के बाहर की वस्तु हो  ---  अलौकिक  25: दोपहर के ब

विलोम शब्द/ कक्षा: आठ

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विलोम शब्द 01: अथ    ----     इति  02: अल्प   ----    महा, अति, प्रचुर 03: अनुकूल  --    प्रतिकूल 04: अग्रज    ---   अनुज 05: अगला   ---    पिछला 06: अनिवार्य  ---   वैकल्पिक  07: आज्ञा, आदेश ---- विनती, प्रार्थना  08: आकर्षण  ----  विकर्षण  09: आदर   -----    निरादर, अनादर  10: आदान      ---  प्रदान  11: आलसी    ---   परिश्रमी  12: इहलोक  ----    परलोक  13: उत्कर्ष    ---     अपकर्ष  14: उत्थान  ------    पतन  15: ऊँच      ---       नीच  16: एक     ----      अनेक  17: औपचारिक --- अनौपचारिक  18: कटु   ---        मधुर  19: कायर ---       वीर  20: क्रिया    ---     प्रतिक्रिया  21: गृहस्थ   ---    सन्यासी  22: घातक   ---    रक्षक  23: जीवन   ---    मृत्यु 24: दिवाकर ---   निशाकर  25: दुर्लभ    ---   सुलभ  26: नवल    ---   पुरातन 27: निर्गम   ---   आगम 28: अधिक ---    न्यूज़  29: अपना   --   पराया 30: अमृत    ---   विषय  31: अपव्यय ---  मितव्ययी  32: अवनति   --- उन्नति  33: अंधकार ---   प्रकाश 34: आकाश  ---    पाताल  35: आस्तिक   ---  नास्तिक 36: आर्द्र    ---       शुष्क  37: आसान   --- 

पर्यायवाची शब्द/ कक्षा: आठ

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  पर्यायवाची शब्दों के कुछ उदाहरण  01: अंबरः नभ, व्योम, गगन, शून्य, अंतरिक्ष, आकाश  02: अमृत: सुधा, पीयूष, अमी, अमिय, सोम  03: अग्नि: आग, अनल, पावक, ज्वाला, वह्नि, वैश्वानर 04: अहंकार: घमंड, दर्प, दंभ, अभिमान 05: अंधकार: अँधेरा, तिमिर, तम 06: अजेयः अपराजित, अजीत, अपराजेय 07: आभूषणः भूषण, गहना, अलंकार, विभूषण, जेवर, आभरण  08: आँख: नेत्र, नयन, चक्षु, अक्षि, लोचन, विलोचन, दृग  09: असुर: दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, समीचर, दनुज  10: आज्ञा: आदेश, निर्देश, हुक्म 11: इच्छा: आकांक्षा, कामना, मनोरथ, चाह, लालसा, अभिलाषा, एषणा 12: उन्नति: उत्थान, अभ्युदय, उन्नयन, विकास, उत्कर्ष,  प्रगति 13: कपड़ा: वस्त्र, पट, वसन, चीर, अंबर  14: कमल: शतदल, अंबुज, जलज, नीरज, उत्पल, पुंडरीक, सरसिज, नलिन, राजीव, पंकज, अरविंद 15: कृषक: किसान, खेतिहर, कृषिजीवी, हलवाहा 16: कान: कर्ण, श्रवण, श्रुति, श्रवणेंद्रिय, श्रुतिपुट 17: कोयल: पिक, कोकिल, श्यामा, कलकंठी, कोकिला, परभृत, वसंतदूत 18: किनारा: तट, कूल, तीर 19: कुबेर: यक्षराज, धनाधिप, धनद, धनपति  20: गाय: गौ, धेनु, सुरभि, गुऊ, दुधा 21: खल: दुष्ट, धूर्त, कुटिल, दुर्जन, अ

समरूपी भिन्नार्थक शब्द/ कक्षा: आठ

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  समरूपी भिन्नार्थक शब्द समरूपी भिन्नार्थक शब्द के कुछ उदाहरण: 01: अंगना: शरीर     अँगना: घर का आँगन 02: अंक: गोद, संख्या      अंगः शरीर का भाग  03: अंतर: ह्रदय, फर्क      अंदरः भीतर 04: अंसः कंधा     अंशः हिस्सा 05: अनल: आग     अनिल: हवा 06: अपेक्षा: इच्छा       उपेक्षा: अनादर 07: अवधी: अवधी भाषा      अवधि: निश्चित समय  08: अन्नः अनाज      अन्य: दूसरा  09: अचार: खाने की वस्तु     आचारः आचरण 10: असमान: जो बराबर न हो       आसमान: आकाश  11: अवलंब: सहारा      अविलंब: शीघ्र  12: आसन: बैठने की जगह         आसन्न: निकट  13: इंदिरा: लक्ष्मी         इंद्रा: इंद्र की पत्नी  14: कलि: कलियुग         कली: अधखिला फूल 15 कुलः सब, वंश      कूलः किनारा 16; छात्र: विद्यार्थी        क्षात्रः क्षत्रिय संबंधी  17: गज: हाथी         गज़ः एक माप 18: ग्रह: सूर्य, चंद्र आदि         गृहः घर  19: गिरि: पर्वत         गिरी: गिरना क्रिया का भूतकाल 20: चिर: बहुत समय, दीर्घ         चीरः वस्त्र का खंड 21: जवान: युवा        ज़बान: जीभ 22: तरणी: सूर्य         तरणी: नौका  23: दिन: दिवस        दीनः दरिद्र, गरीब 24: दशा: हा

अनेकार्थक शब्द/कक्षा: आठ

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  अनेकार्थक शब्द अनेकार्थी शब्दों के उदाहरण : 01: अक्षर: नष्ट न होने वाला, ईश्वर, वर्ण, सत्य, जल, शिव 02: अजः कटा हुआ, ब्रह्मा, जन्म न लेने वाला 03: अर्क: सूर्य, आम का पेड़, काढ़ा  04: अपेक्षा: आशा, की तुलना में  05: अधर: नीचे, निचला होंठ, बिना टिकाए हुए 06: अंक: संख्या, गोद, नाटक के अंक 07: अंबर: आकाश, कपड़ा 08: आराम: विश्राम, बगीचा 09: आचार्य: गुरु, पुरोहित, विद्वान 10: अमर: ईश्वर, देवता, शाश्वत 11: कनक: सोना, गेहूँ, धतूरा 12: कर: हाथ, किरण, राजस्व (टैक्स), हाथी की सूँड 13: कल: चैन, बीता हुआ दिन, आने वाला दिन, मशीन  14: काम: कार्य, कामदेव 15: काल: समय, मृत्यु, मौसम 16: कोटि: करोड़, श्रेणी, धनुष का सिरा 17: गुण: विशेषता, रस्सी, लक्षण, हुनर, 18: ग्रहण: लेना, चाँद अथवा सूर्य पर लगने वाला ग्रहण 19: गौ: गाय, इंद्रियाँ, पृथ्वी 20: जाल: जाल, माया, छल 21: ताल: तालाब, संगीत की ताल 22: द्रव्य: धन, पदार्थ, सामान 23: मुद्रा: सिक्का, मोहर, अंगूठी, छाप, चिन्ह, आकृति 24: नाक: नासिका, स्वर्ग 25: नागः साँप, हाथी 26: पर: पंख, लेकिन 27: पतंग: सूर्य, उड़ाए जाने वाली पतंग, विशेष कीड़ा  28: पत्र: चिट्ठी,

दो बैलों की कथा/ प्रेमचंद

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    दो बैलों की कथा                   ---प्रेमचंद   प्रश्नोत्तर: प्रश्न 1: कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ? उत्तर : कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि सभी पशु मवेशीखाने में हैं या नहीं। हाजिरी लेकर यह पता अथवा अनुमान भी लगाया जाता होगा कि कहीं कोई पशु भाग तो नहीं गया या उसकी चोरी तो नहीं हुई।  प्रश्न 2: छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?    उत्तर : छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। उसकी सौतेली माँ उस पर बहुत अत्याचार करती थी। बैलों पर हुए अत्याचारों की तुलना वह अपने ऊपर हुए अत्याचारों से करती थी। उनके दुखों को वह भली-भाँति समझती थी। बैलों के प्रति इन्हीं आत्मीयता भरी भावनाओं के कारण छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया। प्रश्न 3: कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं? उत्तर:  कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं; जैसे-- (i) स्वतंत्रता के लिए हमें सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए,  (ii) अत्याचार का यथासंभव विरोध करना चाहिए,  (iii) असहाय अवस्था में पड़े ह

नेताजी का चश्मा/ स्वयं प्रकाश

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     नेताजी का चश्मा    --- स्वयं प्रकाश प्रश्नोत्तर   प्रश्न 1:  सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर :  चश्मेवाले के मन में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। उसे देशभक्तों से बहुत प्रेम था। कस्बे के चौराहे में स्थित बिना चश्मेवाली नेताजी की मूर्ति देखकर अथवा मूर्ति के अधूरेपन को देखकर वह बहुत दुखी होता था। इसलिए अपनी ओर से चश्मा पहनाकर वह मूर्ति का अधूरापन दूर करता था और नेताजी के प्रति अपने मन की श्रद्धा भी प्रकट करता था। उसके मन की देशभक्ति की इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते होंगे। प्रश्न 2: हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा--- (क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे? उत्तर : हालदार साहब को लगा था कि कैप्टन चश्मेवाले की मृत्यु के बाद नेताजी की मूर्ति हमेशा बिना चश्मे के खड़ी रहेगी। इसलिए हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे। (ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? उत्तर:  मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि आज भी समाज में देशवासियों का सम्मान

लाख की चूड़ियाँ/कामतानाथ

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  लाख की चूड़ियाँ/कामतानाथ कहानी से प्रश्न 1: बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को 'बदलू मामा' न कहकर 'बदलू काका' क्यों कहता था? उत्तर: ब चपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से इसलिए जाता था क्योंकि वहाँ लाख की चूड़ियाँ बनाने वाला कारीगर 'बदलू' रहता था, जो लेखक को ढेर सारी लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ दिया करता था। गाँव के सभी बच्चे बदलू को 'बदलू काका' कहकर बुलाते थे। इस कारण लेखक भी उन्हें 'बदलू मामा' न कहकर 'बदलू काका' कहा करता था। प्रश्न 2: वस्तु विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?  उत्तर : 'वस्तु विनिमय' एक पुरानी व्यापार पद्धति है, जिसमें एक वस्तु के बदले कोई दूसरी वस्तु दी जाती है। पुराने दिनों में खरीद-विक्री के लिए पैसों का लेन-देन नहीं होता था। विनिमय की प्रचलित पद्धति रुपए-पैसों का लेन-देन है। प्रश्न 3: 'मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।'-- इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है? उत्तर : मशीनों के आने से हस्तशिल्प के माध्यम से रोजी-रोटी कमाने वाले लोगों की रोज

ध्वनि/ सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

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        ध्वनि/ सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' कविता से प्रश्न 1: कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा? उत्तर :  कवि के मन में जीवन को जीने के लिए उत्साह, प्रेरणा व ऊर्जा कूट-कूट कर भरी है। उनमें ये तीनों प्रचुर मात्रा में हैं। इसलिए उन्हें विश्वास है कि अभी उनका अंत नही होगा। प्रश्न 2: फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन सा प्रयास करता है? उत्तर : फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि उनकी तंद्रा और आलस्य को भगा देना चाहते हैं, अपने कोमल स्पर्श से  उन्हें जगाने का प्रयास करते हैं और उनमें नवजीवन का अमृत सींच देना चाहते हैं। वास्तव में इस कविता के माध्यम से कवि आज की युवा पीढ़ी को सचेत करना और उन्हें नींद से जगाने का प्रयास करना चाहते हैं। प्रश्न 3: कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है? उत्तरः कवि पुष्पों की तंद्रा एवं आलस्य दूर हटाने के लिए उनमें अपने नव जीवन का अमृत संचार करना चाहते हैं, ताकि अनंत तक उनका विकास होता रहे। कविता से आगे प्रश्न 4: वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? उत्तर: वसंत ऋतु के आगमन पर मौसम सुहावना हो

2023-24

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===========================≈========  शैक्षिक सत्र 2023-24 की वार्षिक कार्ययोजना प्रस्तुति कार्यक्रम में डी. ए. वी. सुशील केडिया विश्वभारती जावलाखेल, ललितपुर के हिंदी विभाग की ओर से उपस्थित सभी का हार्दिक स्वागतम  =====================/============ विभाग परिचय विद्यालय हिंदी विभाग इस विद्यालय की सीबीएसई शाखा के समान ही पुराना है। वैकल्पिक विषय होने के बावजूद एक अच्छी खासी संख्या में उत्साह के साथ सीबीएसई के विद्यार्थी हिंदी विषय चुनना पसंद करते हैं और हिंदी की पढ़ाई करते हैं। पिछले शैक्षिक सत्र में विद्यालय में यूकेजी से लेकर दसवीं कक्षा तक लगभग 520 विद्यार्थी स्वेच्छापूर्वक  हिंदी विषय का अध्ययन कर रहे थे। ===================================== शिक्षक परिचयः  विद्यालय में यूकेजी कक्षा से लेकर कक्षा 10 तक हिंदी अध्यापन के लिए पाँच योग्य और अनुभवी शिक्षक-शिक्षिकाएँ निरंतर अध्यापनरत हैं, जो निम्नानुसार हैं:  स्मृति श्रीवास्तव  कविता सापकोटा  इंदु ठाकुर  डिल्लीराम शर्मा  पुरुषोत्तम पोख्रेल ================================== विषयगत उद्देश्य:  *हिंदी विषय पढ़ने वाले विद्यार्थियों में सुनना,