एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द/ कक्षा: आठ



एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द

 एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्दों के कुछ उदाहरणः

01: उम्र/अवस्था: जन्म से वर्तमान काल तक का समय
      आयु: पूरा जीवनकाल

02: अलौकिकः जो इस लोक से संबंधित न हो 
      अस्वाभाविकः जो मानव प्रकृति के विपरीत हो 

03: अहंकार: शक्ति या योग्यता से अधिक समझना
       दर्पः नियम के विपरीत कार्य करने पर भी घमंड करना 

04: अपराध: कानून के विरुद्ध कोई काम करना(जैसे-तस्करी, हत्या)
       पाप: सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से किया गया अनुचित कार्य (जीव-हत्या, मांसाहार)

05: ईर्ष्या: दूसरे की उन्नति को देखकर जलना 
      द्वेषः दूसरे के प्रति घृणा या शत्रुता का भाव

06: अधिक: आवश्यकता से ज्यादा होना 
       काफी: जितना आवश्यक हो उतना होना
       पर्याप्त: जितना आवश्यक हो उससे ज्यादा होना 

07: अस्त्र: जो हथियार फेंककर चलाए जाएँ (जैसे-- बाण)
       शस्त्रः जो हथियार हाथ में पकड़ कर चलाए जाएँ (जैसे-- गदा)

08: आरंभ: किसी साधारण कार्य की शुरुआत
      श्रीगणेश: किसी शुभ कार्य या परियोजना का शुभारंभ 

09: अर्पण: उम्र में छोटों द्वारा बड़ों को देना
       प्रदानः बड़ों के द्वारा छोटों को दिया जाना 

10: आवेदनः नौकरी, छुट्टी आदि के लिए प्रार्थना करते हुए लिखा गया पत्र
       निवेदनः दूसरों के सामने किसी विषय पर अपने विचार प्रकट करना

11: आज्ञा: बड़ों के द्वारा छोटों को दी जाती है
       आदेशः किसी अधिकारी के द्वारा अपने कर्मचारियों को दिया जाता है

12: गौरव: अपनी शक्ति या योग्यता का उचित ज्ञान 
      घमंडः अपने को बड़ा और दूसरों को कुछ नहीं समझना 

13: उपहार: बराबर वालों को दिया जाता है
      भेंटः यह अपने से बड़ों को दी जाती है 

14: कष्ट: शारीरिक या मानसिक कष्ट
      पीड़ा: रोग या चोट के कारण शरीर में दर्द

15: अनुज: केवल छोटे भाई को कहा जाता है 
       भाई: उम्र में छोटे अथवा बड़े दोनों को कहा जाता है

16: छाया: किसी वस्तु की होती है
      परछाई: किसी प्राणी की होती है 

17: व्याख्यान: मौखिक या लिखित दोनों प्रकार का होता है
      अभिभाषणः केवल लिखित होता है

18: प्राचीन: बहुत पुराने समय का 
       पुराना: जो नया न हो 

19: निर्णय: फैसला
       न्याय: इंसाफ

20: मौसम
: आज कल का
      ऋतु: दीर्घ समय का

21: बड़ा: आकार में 
      बहुत: मात्रा में 

22: स्नेह: छोटों से
       प्रेमः सबसे

23: संदेह: शक
       भ्रांति: गलत धारणा

24: श्रद्धा: महापुरुषों के प्रति 
      भक्ति: भगवान के प्रति 

25: खेद: मन खिन्न होना
      शोक: किसी की मृत्यु आदि पर अफसोस

26: निधन
: किसी बड़े आदमी की मौत 
       मृत्यु: आम आदमी की मौत 

27: कलंक: भारी दोष लगाना 
      अपयशः सदा के लिए दोष का पात्र बनना 

28: इच्छा: किसी वस्तु की साधारण चाह
      अभिलाषा: किसी विशेष वस्तु की हार्दिक चाह

29: अभिवादन: बड़ों का (हाथ जोड़कर किया जाता है)
       नमस्कार: समान अवस्था वालों को किया जाता है
       नमस्ते: बड़े, छोटे और सामान अवस्था वाले सभी को
       प्रणामः अपने से बड़ों को किया जाता है

30: शंका: संदेह का भाव 
      आशंका: अमंगल होने का भय 

31: करुणा: दूसरे का दुख देखकर हॅदय भर आना
      दया: दूसरे का दुख दूर करने की स्वाभाविक इच्छा

32: राजा: किसी देश विशेष का राजा
      सम्राट: राजाओं का भी राजा 

33: मौनः बोलने की इच्छा न रखना, चुप रहना
      मूकः जो बोल न सके 

34: ग्लानि: किसी पाप या अपराध का अफसोस
      लज्जा: शर्मबोध (अनुचित काम करने पर मुंह छिपाना)

35: प्रसिद्धि: सामान्य भाव से मशहूर होना
      ख्याति: विशेष रूप से मशहूर होना

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