मुहावरे/ कक्षा: आठ

 


मुहावरे 

प्रश्न 01: मुहावरा किसे कहते हैं?

उत्तर: जब कोई वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ को व्यक्त करे तो उसे मुहावरा कहते हैं।

जैसे: 'आग में घी डालना'-- इसका शाब्दिक अर्थ है: अग्नि में घी नाम का पदार्थ डालना। लेकिन इसका विशेष अर्थ है: क्रोध को भड़काना। एक और उदाहरण: 'घाव पर नमक छिड़कना'-- इसका शाब्दिक अर्थ है: किसी घाव पर नमक डाल देना। परंतु इसका विशेष अर्थ है: दुखी को और दुखी करना।

प्रश्न 2: मुहावरों की कुछ विशेषताएँ लिखिए: 

उत्तरः मुहावरों की कुछ विशेषताएँ निम्नानुसार हैं:

(i) मुहावरा पूरा वाक्य नहीं बल्कि वाक्यांश होता है।

(ii) मुहावरा अपने शाब्दिक अर्थ की जगह किसी विशेष अर्थ के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

(iii) मुहावरे का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं किया जाता बल्कि इसका प्रयोग वाक्य के एक हिस्से के रूप में किया जाता है।

(iv) मुहावरों का अर्थ प्रसंगों के अनुसार होता है।

(v) मुहावरों के मूल रूप में कभी परिवर्तन नहीं होता, जैसे 'अक्ल का दुश्मन' एक मुहावरा है। यदि इसके स्थान पर 'अक्ल का शत्रु' प्रयोग किया जाए तो यह अशुद्ध होगा।


कुछ मुहावरे, उनके अर्थ एवं वाक्य में उनका प्रयोगः

01: अंग अंग ढीला होना (बहुत थक जाना)-- पाँच सौ किलोमीटर यात्रा करने के कारण मेरा अंग अंग ढीला हो रहा है।

02: अंग अंग मुस्कुराना (अति प्रसन्न होना)-- पोते के प्रथम आने की खबर सुनकर दिनेश के दादाजी का अंग अंग मुस्कुराने लगा।

03: अंगूठा दिखाना (साफ़ इनकार करना)-- अपने मित्र से आज पहली बार मैंने सहायता माँगी, परंतु उसने मुझे अंगूठा दिखा दिया।

04: अक्ल का दुश्मन (मूर्ख)-- श्री कृष्ण के समझाने पर भी दुर्योधन सीधी राह पर नहीं आया, क्योंकि वह अक्ल का दुश्मन था।

05: अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा)-- श्रवण कुमार अपने माता पिता के लिए अंधे की लकड़ी की तरह था।

06: अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि नष्ट होना)-- सभी जानते हैं कि बुरे दिन आने पर व्यक्ति की अक्ल पर पत्थर पड़ जाते हैं।

07: अगर-मगर करना (बहाना बनाना)-- कल तो मेरे मित्र ने मुझे सहायता देने का वचन दिया था, मगर आज न जाने क्यों अगर-मगर कर रहा है।

08: अपना उल्लू सीधा करना (अपना स्वार्थ सिद्ध करना)-- आजकल लोग प्रायः अपना उल्लू सीधा करने के लिए मित्रता का नाटक रचते हैं। 

09: अपना सा मुँह लेकर रह जाना (लज्जित होकर चुप हो रहना)--  चोरी करते पकड़े जाने पर वह अपना सा मुँह लेकर रह गया। 

10: अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सब से अलग होकर काम करना)-- दिनेश न तो किसी के साथ खेलता है और न ही किसी से बात करता है, वह तो हर समय अपनी खिचड़ी अलग ही पकाता है।

11. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (अपनी बड़ाई खुद करना)-- कायर व्यक्ति करते-धरते तो कुछ नहीं हैं, बस अपने मुँह मियाँ मिट्ठू जरूर बने रहते हैं।

12: अपने पाँव पर खुद कुल्हाड़ी मारना (अपनी हानि स्वयं करना)-- रमेश! तुमने मालिक के घर चोरी करके अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारी है। 

13: आकाश से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)-- आजकल बड़े-बड़े नगरों की इमारतें आकाश से बातें करने लगी हैं।

14: आसमान सिर पर उठा रखना (बहुत शोर मचाना)--  कक्षा  अध्यापक के अवकाश पर होने के कारण छात्रों ने आसमान सिर पर उठा लिया। 

15: आकाश-पाताल एक करना (बहुत परिश्रम करना)-- परीक्षा में प्रथम आने के लिए मैं आकाश-पाताल एक कर दूँगा।

16: आकाश-पाताल का अंतर होना (बहुत अंतर होना)-- विभीषण तथा रावण के आचरण में आकाश-पाताल का अंतर था।

17: आग बबूला होना (बहुत क्रोध करना)-- जब हमारी कक्षा ने बहुत शोर मचाया तो अध्यापक महोदय आग बबूला हो गए।

18: आड़े हाथों लेना (खरी खरी सुनाना)-- दिनेश के देर से घर  पहुँचने पर उसके पिता ने उसे आड़े हाथों लिया। 

19: अक्ल चरने जाना (मूर्खता का काम)-- उसने तुम्हें पहले भी धोखा दिया था, तुमने फिर उस पर विश्वास कर लिया, कहीं तुम्हारी अक्ल चरने तो नहीं गई?

20: अक्ल के घोड़े दौड़ाना (किसी बात का हल ढूँढ़ना)-- निरक्षरता की समस्या दूर करने के लिए आज सभी अपनी अक्ल के घोड़े दौड़ा रहे हैं। 

21: आँखें खुलना (होश आना)-- रमेश की पोल खुलने पर सबकी आँखें खुल गईं।

22: आपे से बाहर होना (गुस्से से सुध-बुध खो देना)-- जब कोई विद्यार्थी काम करके नहीं लाता हमारे गुरुजी आपे से बाहर हो जाते हैं। 

23: आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)-- सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंक कर जेल से जर्मनी भाग गए थे। 

24: आँखें दिखाना (डराना)-- एक तो चोरी की, ऊपर से आँखें दिखाते हो?

25: आँखें चुराना (नजर बचाना)-- चोर आँखें चुरा कर भागना चाहता था, मगर पुलिस की सतर्कता के कारण सफल न हो पाया।

26: आँखों में खून उतर आना (अधिक क्रोध करना)-- अपराधी के जेल तोड़कर भाग जाने का समाचार सुनकर जेलर की आँखों में खून उतर आया। 

27: आँखें फेर लेना (बदल जाना)-- गरीबी में प्रायः सभी आँखें फेर लेते हैं। 

28: आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना)-- जनता ने अपने प्रिय नेता के आने पर आँखें बिछा दीं।

29: आँखों का तारा (अत्यंत प्यारा)-- राम दशरथ की आँखों का तारा था। 

30: आँखें लगना (नींद आना)--  थक जाने के कारण आज जल्दी ही मेरी आँखें लग गईं।

31: आँच न आने देना (हानि न होने देना)-- हमने प्रतिज्ञा की कि चाहे कुछ भी हो मगर हम राष्ट्र के सम्मान पर आँच न आने देंगे।

32: आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)-- मोहन से बच कर रहना। वह मित्र कहलाने के लायक नहीं। वह तो आस्तीन का साँप है।

33: आसमान पर थूकना (निर्दोष पर दोष लगाना)-- राम जैसे ईमानदार नौकर पर दोष लगाना आसमान पर थूकना है।

34: आग में घी डालना (क्रोध को और बढ़ाना)-- लक्ष्मण ने क्रोधी परशुराम को खरी-खोटी सुना कर आग में घी डाल दिया।

35: आगे पीछे फिरना (खुशामद करना)-- दीनदयाल नेताओं के आगे पीछे फिर कर अपना काम निकाल लेने में माहिर है।

36: आटे-दाल का भाव मालूम होना (कष्ट का अनुभव होना)-- अभी तो पिता की कमाई का खर्च करते हो, जब खुद कमाओगे तो आटे-दाल का भाव मालूम होगा।

37: आँसू पीकर रह जाना (मन ही मन दुखी होना)-- दुर्योधन के अनुचित व्यवहार को देखकर महात्मा विदुर आँसू पीकर रह गए। 

38: आकाश के तारे तोड़ना (बहुत कठिन काम करना)-- आईएएस की परीक्षा में प्रथम आना आकाश के तारे तोड़ना है।

39: आकाश चूमना (ऊँचा होना)-- हिमालय की चोटियाँ आकाश चूमती हैं।

40: आँधी के आम (बहुत सस्ती वस्तु)-- इन पुस्तकों को आँधी के आम समझो और तुरंत खरीद लो। 

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