आकाश अपने पिता के  हमेशा टोकते रहने वाले स्वभाव की वजह से उनसे काफी परेशान था।

रूम का पंखा चालू करके कहाँ गए थे? सुबह हो गई फिर भी लाइट क्यों चालू रखा है? जब देख नहीं रहे होते हो तो टीवी क्यों चालू करके रखते हो? बाइक ठीक से पार्क क्यों नहीं करते? कभी तो अपने जूते पॉलिश कर लिया करो। सुबह जल्दी उठा करो। कितने आलसी हो गए हो कभी जॉगिंग नहीं करते! दिन भर आकाश को न जाने पापा सेक्या-क्या सुनना पड़ता था।

अभी बच्चा थोड़ी हूं मैं। इतना बड़ा हो गया हूं, 2 दिन बाद मेरा नौकरी के लिए इंटरव्यू होना है और पापा का बर्ताव किसी छोटे बच्चे जैसा है मेरे साथ। एक बार मुझे नौकरी लगने दो छोड़ कर चला जाऊंगा पापा को, शहर में ही रहूंगा, फिर पता चलेगा उन्हें। अभी कमाता नहीं हूं ना इसलिए फालतू की चीजें सुनाते रहते हैं। पापा से नाराज आकाश के दिमाग में कुछ ऐसे विचार चल रहे थे।

2 दिन भी बीत गए और आज वही दिन था जिसका आकाश को बेसब्री से इंतजार था। आज उसके इंटरव्यू का दिन था। सुबह सुबह जल्दी उठकर भगवान का आशीर्वाद लेकर आकाश उस जगह पहुंच गया जहां पर इंटरव्यू होना था।

जिस बिल्डिंग में इंटरव्यू था उसके गेट पर कोई भी गेटकीपर नहीं था। आकाश ने देखा कि गेट एक साइड से टूटा हुआ है, लेकिन कुछ स्क्रू फिट करने से वह सही हो सकता है। आकाश ने रुक कर स्क्रूस को टाइट कर दिया और गेट को सही करने के बाद वह बिल्डिंग में घुस गया।

बिल्डिंग में दूसरे फ्लोर पर एक ऑफिस था जहां पर इंटरव्यू के लिए व्यवस्था की गई थी। जैसे ही आकाश उस फ्लोर पर पहुंचा तो उसने देखा की ऑफिस के बाहर लोगों ने इधर-उधर जूते और चप्पल निकाल रखे थे, जबकि वहां पर जूते चप्पल रखने के लिए स्टैंड रखा हुआ था। यह देखकर आकाश को अचानक अपने पापा की याद आ गई जो उसे भी अक्सर अपने जूते चप्पल रखने को लेकर हमेशा टोंकते रहते थे। 

आकाश से रहा नहीं गया और उसने बेमन से ही लेकिन उन सभी जूते और चप्पलों  को स्टैंड पर अच्छे से रख दिया।

अंदर प्रवेश करने से पहले आकाश की नजर ऑफिस के बाहर जल रही कई सारी लाइटों पर गई जिनकी बिल्कुल जरूरत नहीं थी। सूरज की रोशनी इतनी थी कि लाइट्स बंद रहे तो भी कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला था। उसने बाहर जल रही सारी लाइटों को बंद किया फिर ऑफिस के अंदर प्रवेश कर गया।

आकाश ने देखा कि ऑफिस में 20-25 कुर्सियां रखी है लेकिन आगे की 10 कुर्सियां को छोड़कर बाकी की कुर्सियां खाली है और उन कुर्तियों के ऊपर लगे दो पंखे बेवजह ही चालू है। उसने फिर अपनी आदत के अनुसार दोनों पंखे बंद किए और बाकी फालतू पड़ी कुर्सियों को एक के अंदर एक रखकर साइड पर रख दिया और वहीं पर बैठकर अपना नंबर आने का इंतजार करने लगा।

एक के बाद एक सभी कैंडिडेटस का इंटरव्यू होने के बाद जब आकाश का नंबर आया तो वह थोड़ा सा नर्वस लेकिन निडर होकर इंटरव्यू लेने वाले के पास पहुंचा। इंटरव्यू लेने वाले ने उसे अपने पास रखी कुर्सी पर बैठने के लिए कहा और थोड़ी देर तक दोनों में कुछ भी बातचीत नहीं हुई। फिर इंटरव्यूअर ने आकाश से पूछा तुम कल से नौकरी ज्वाइन कर सकते हो क्या!

आकाश की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह उसके नौकरी पक्के होने की कंफर्मेशन है या फिर कोई ट्रिकी सवाल?

बाद में इंटरव्यू लेने वाले जब सैलरी और क्या काम करना है, ये बताया तब आकाश को यकीन हुआ की उसकी जॉब पक्की हो गई हैं। 

आकाश बहुत खुश था लेकिन समझ नहीं पा रहा था कि न कोई सवाल न एक्सपीरियंस के बारे में पूछा। फिर कैसे उसे जॉब के लिए फाइनल कर लिया गया? 

उसके चेहरे का सवालिया एक्सप्रेशन देख इंटरव्यू लेनेवाले ने खुद ही कहा - कुछ सवाल और पेपर्स कभी आदमी की काबिलियत नहीं बता पाते। हमने इस बिल्डिंग में प्रवेश करने से लेकर प्रतीक्षा कक्ष तक कुछ अव्यवस्ताए सेट कर के रख्खी थी। वही आप सभी के लिए परीक्षा थी। हमने सीसी टीवी पर देखा की आनेवाले सभी कैंडिडेट्स में आप ही एक अकेले ऐसे थे जिन्होंने गेट के स्क्रू ठीक करने से लेकर बेवजह चल रहे बल्ब और पंखे बंद किए। ऐसा कर आपने अपना चीजों को यूटलाइज करना और बचत तथा रिजेक्शन कम करने जैसे गुण दिखाए।

आगे बढ़कर आपने बूट और चप्पल और कुर्सियां ठीक कर के दिखा दिया की आप अपने काम के लिए कितने वफादार हो सकते है और किस हद तक जा सकते है। बस हमे इतने गुण काफी थे आपको नोकरी पर रखने के लिए।

पूरी बात समझ में आने पर आकाश को फिर से अपने पापा याद आए और याद आई उनकी कही हर बात, लेकिन इस बार उसके मन में कड़वाहट नहीं थी क्योंकि उसे आज समझ में आया था की पापा ने उसके लिए उसी मूर्तिकार का किरदार निभाया था जो अपनी मूर्ति को सुंदर और कीमती बना ने के लिए उस पर कितनी बार छिन्नी और हथौड़ी चलाता है।

आकाश जो नोकरी मिलते ही अपने बाप से दूर भागने की सोच रहा था वो नोकरी का कंफर्मेशन लेटर और साथ में मिली 1 महीने की एडवांस सैलरी को घर पहोचते ही अपने बाप के कदमों में रख देता हैं।  उनसे माफी मांगते हुए कहता हैं की पापा मुझे माफ कर दीजिए मैं आपको समझ नही पाया।अपने बेटे के लिए आंखो में खुशी और गर्व के आंसुओं के साथ पापा आकाश को गले से लगा लेते है और उसके सिर पर प्यार से हात फेरते हुए उसे आशीर्वाद देते है!

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