मेरे संग की औरतें

  



        मेरे संग की औरतें                                                     --- मृदुला गर्ग

प्रश्न 1: लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं, फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?

उत्तर: लेखिका की नानी भारतीय रहन-सहन और भारतीय संस्कृति में ढली हुई महिला थीं। विलायती रीति-रिवाजों में रह रहे उनके पति अर्थात नाना जी का भी उन पर कोई असर अथवा प्रभाव नहीं पड़ा। देश की आजादी से जुड़े देशप्रेमी सिपाहियों के प्रति  नानी के मन में विशेष लगाव था। नानी स्वतंत्र विचार रखने वाली, दृढ़ स्वभाव की, देशभक्ति की भावना से प्रेरित एक महिला थीं। उनके चरित्र और व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं के कारण लेखिका अपनी नानी से प्रभावित थीं।

प्रश्न 2: लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?

उत्तर: लेखिका की नानी घरेलू काम-काजों में व्यस्त, पारंपरिक रीति-रिवाजों को मानने वाली, पर्दानशीं एवं शर्मीली स्वभाव की नारी थीं। इसके बावजूद नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से बात कर अपनी बेटी के लिए दामाद के रूप में आजादी का सिपाही ढूँढ़ा और उसके हाथ पीले कराए। इस तरह उसने अपने कर्तव्य का ही निर्वाह नहीं किया, बल्कि अपनी देशभक्ति का भी परिचय दिया। उनकी अंतिम इच्छानुसार ही लेखिका की माँ की शादी एक होनहार, पढ़े-लिखे, गांधीवादी देशप्रेमी से हुई। नानी का यह कार्य आजादी के आंदोलन में भाग लेने से कम नहीं माना जा सकता।

प्रश्न 3: लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सब के दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में--

(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर: लेखिका की माँ शारीरिक रूप से कमजोर थी। अतः घरेलू काम-काज, बच्चों की परवरिश आदि में वह संलग्न नहीं होती थी। इन कार्यों में वह अपनी रुचि भी नहीं दिखाती थी। वह परंपरावादी स्वभाव की नहीं थी। किताबें पढ़ना और संगीत सुनना उन्हें बहुत पसंद था। बुद्धिमानी, खूबसूरती, ईमानदारी, निष्पक्षता जैसे कई सारे गुणों से वह संपन्न थी। घर-परिवार के हर ठोस और हवाई कार्यों में उसकी सलाह ली जाती थी। वह कभी भी झूठ नहीं बोलती थी और किसी की गोपनीयता भंग नहीं करती थी।

(ख) लेखिका के दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए

उत्तर: लेखिका की दादी विनम्र स्वभाव की थीं। लेखिका की माँ के प्रति उसके मन में विशेष लगाव था। घर में बहू की बातें और उसके निर्णय भी सुने जाते थे। सबके बीच आदर और प्यार भरा संबंध था। लेखिका की दादी ने घर के सभी सदस्यों के बीच प्यार और विश्वास का वातावरण बनाए रखा था। लड़के और लड़कियों को समान रूप से शिक्षा-दीक्षा और स्वतंत्रता दी जाती थी। सभी को स्वाभिमान के साथ जीने की आज़ादी थी। कुल मिलाकर घर का माहौल शांत, सुखद और सौहार्दपूर्ण था।

प्रश्न 4: आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?

उत्तर: परदादी परंपरा के विपरीत स्वभाव अथवा विचारों वाली और लीक से हटकर चलने वाली एक महिला थीं। उन्होंने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए माँगी होगी क्योंकि लड़कियों के प्रति उनके मन में पुत्र संतानों के समान ही अत्यधिक स्नेह था। वह लड़के और लड़कियों में कोई भेद-भाव नहीं रखती थी। वह परंपरावादी बिल्कुल भी नहीं थी। परदादी के इन स्वभावों से उनके सचेतन और समझदार नारी होने का परिचय मिलता है।

प्रश्न 5: डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है -- पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: डराने-धमकाने, उपदेश देने अथवा दबाव डालने की जगह बुद्धिमत्ता तथा सहजता के साथ काम लेने पर किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। इस पाठ में लेखिका की परदादी शादी की अफ़रा-तफ़री के माहौल में भी चोर के साथ शांत मुद्रा में संवाद करती है और चोर का हृदय बदलने में सक्षम होती है। चोर बाद में उनका कहा मानते हुए बेटे के समान बनकर उसी घर में खेती करना शुरू करता है। जब परदादी चोर के अनुचित इरादे से लापरवाह उससे पानी माँग बैठी तो चोर भी असमंजस में आ गया और उन्हें पानी पिला बैठा। तब परदादी ने उसे कहा-- एक लोटे से पानी पीकर हम माँ-बेटे हुए। तू अब चाहे चोरी कर या खेती। दादी के प्रभाववश वह चोर किसान बनकर खेती करने लगा। 

      अतः डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से, प्यार और समझदारी से किसी का भी मन बदला जा सकता है और किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है।

प्रश्न 6: 'शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है' -- इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: कर्नाटक के बागलकोट कस्बे में रहते समय लेखिका ने कैथोलिक बिशप से आग्रह करते हुए एक स्कूल खोलना चाहा। किंतु बात नहीं बनी। तब 'शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है' -- इस भावना से प्रेरित होकर लेखिका ने स्वयं ही संघर्ष करते हुए अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ भाषाएँ पढ़ाई जाने वाली संस्था खोली, जिससे बच्चों को शिक्षा पाने का सुअवसर मिला। इस विद्यालय में लेखिका और अन्य अफसरों के बच्चों के अलावा स्थानीय लोगों के बच्चों ने भी शिक्षा प्राप्त की। बाद में अलग-अलग शहरों के अलग-अलग प्रसिद्ध स्कूलों में वे दाखिला भी पा गए।

प्रश्न 7: पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है? 

उत्तरजीवन में उन इंसानों को श्रद्धा भाव से देखा जाता है जो अपने सिद्धांतों पर अडिग रहकर आदर्श व्यवहार और व्यक्तित्व का प्रदर्शन करते हैं। लेखिका की माँ बीमारियों के चलते घरेलू काम-काज नहीं कर पाती थी। मातृ, बहू तथा पत्नी का कर्तव्य निर्वाह करने में हमेशा ही वह असमर्थ रही। किंतु फिर भी उनके व्यक्तित्व में दो बातें ऐसी थीं जिनके कारण उनके प्रति सबके मन में श्रद्धा का भाव उत्पन्न होता था। वे बातें थीं--

--- वह कभी झूठ नहीं बोलती थी। 

--- वह किसी की गोपनीय बात अन्य किसी के सामने प्रकट नहीं करती थी। इसलिए घर के लोगों का उसे आदर प्राप्त था और बाहरी लोगों का भी उसने भरोसा जीता था।

             अतः स्पष्ट है कि अपने व्यक्तित्व में सुंदर गुणों का समावेश करके हम भी सब की श्रद्धा तथा सभी का प्यार पा सकते हैं।

प्रश्न 8: 'सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है' -- इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर: दिल्ली में असाधारण वर्षा के समय चारों ओर पानी ही पानी देखते हुए भी और सब के रोकने पर भी लेखिका की बहन रेणु का अकेले स्कूल तक जाना, स्कूल बंद होने के कारण वापस आना, इतना कष्ट सहने के बावजूद अफसोस न जताना -- जैसी बातें उसकी दृढ़ मानसिकता का परिचय देती हैं। इससे लेखिका के बहन की चुनौतियों से साहसपूर्वक मुकाबला करने की क्षमता और अकेले ही जीवन के सफर में आगे बढ़ने की तीव्र इच्छाशक्ति की झलक मिलती है। लेखिका के द्वारा अपनी बहन के कार्यों की तारीफ और समर्थन करना यह दर्शाता है कि वह भी ऐसे ही व्यक्तित्व की पक्षधर है।




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