निबंध/अनुच्छेद लेखन (कक्षा 9)
विज्ञापन: कितने सच्चे कितने झूठे
मनुष्य अपने जीवन को सुख-सुविधामय बनाने के लिए विभिन्न वस्तुओं का उपयोग और उपभोग करता है। उसे लगने लगा है कि उपभोग ही सुख है। उस पर पाश्चात्य उपभोक्तावाद का असर हो रहा है, इसी का फायदा उठाकर उत्पादक अपनी वस्तुओं को बढ़ा-चढ़ाकर उसके सामने प्रस्तुत करते हैं। इसे ही विज्ञापन कहा जाता है। आजकल इसका प्रचार-प्रसार इतना अधिक हो गया है कि वर्तमान को विज्ञापन का युग कहा जाने लगा है।
विज्ञापन ने हमारे जीवन को अत्यंत गहराई से प्रभावित किया है। यह हमारा स्वभाव बनता जा रहा है कि दुकानों पर वस्तुओं के उन्हीं ब्रांडों की माँग करते हैं जिन्हें हम समाचार पत्र, दूरदर्शन या पत्र-पत्रिकाओं में दिए गए विज्ञापनों में देखते हैं। हमने विज्ञापन में किसी साबुन या टूथपेस्ट के गुणों की लुभावनी भाषा सुनी और हम उसे खरीदने के लिए उत्सुक हो उठते हैं।
विज्ञापनों की भ्रामक और लुभावनी भाषा बच्चों पर सर्वाधिक प्रभाव डालती है। बच्चे चाहते हैं कि वे उन्हीं वस्तुओं का प्रयोग करें जो शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन या प्रियंका चोपड़ा द्वारा विज्ञापित करते हुए बेची जा रही हैं। वास्तव में बच्चों का कोमल मन और मस्तिष्क यह नहीं जान पाता है कि इन वस्तुओं के सच्चे-झूठे बखान के लिए ही उन्होंने लाखों रुपये एडवांस में ले रखे हैं।
यह विज्ञापनों का असर है कि हम कम गुणवत्ता वाली पर बहुविज्ञापित वस्तुओं को धड़ल्ले से खरीद रहे हैं। दुकानदार भी अपने उत्पाद-लागत का बड़ा हिस्सा विज्ञापनों पर खर्च कर रहे हैं और घटिया गुणवत्ता वाली वस्तुएँ भी उच्च लाभ अर्जित करते हुए बेच रहे हैं। उत्पादनकर्ता मालामाल हो रहे हैं और उपभोक्ताओं की जाने-अनजाने जेब कट रही है।
विज्ञापन का लाभ यह है कि इससे हमारे सामने चुनाव का विकल्प उपस्थित हो जाता है। किसी उत्पादक विशेष का बाज़ार से एकाधिकार खत्म हो जाता है। उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य और गुणवत्ता का तुलनात्मक अध्ययन कर आवश्यक वस्तुएँ खरीदते हैं, परंतु इसके लिए इनकी लुभावनी भाषा से बचने की आवश्यकता रहती है।
विज्ञापन भारतीय संस्कृति के लिए हितकारी नहीं। आज कोई भी विज्ञापन हो या किसी आयुवर्ग के विज्ञापन हों, पुरुषोपयोगी वस्तुओं का विज्ञापन हो, बच्चों या महिलाओं के प्रयोग की वस्तुओं का विज्ञापन हो, इन्हें अशोभनीय तरीकों से प्रस्तुत और प्रदर्शन किया जाता है। अनेक विज्ञापन परिवार के सदस्यों के साथ नहीं देखे जा सकते हैं।
एक ओर विज्ञापनों से वस्तुओं का मूल्य बढ़ रहा हैं, तो दूसरी ओर बच्चों का कोमल मन विकृत हो रहा है और वे जिद्दी होते जा रहे हैं। गरीब और मध्यम वर्ग का वजट विज्ञापनों के कारण बिगड़ रहा है। हमें बहुत सोच-समझकर ही विज्ञापनों पर विश्वास करना चाहिए।
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चरित्र निर्माण के बिना शिक्षा अधूरी
यह सत्य है कि जिस मनुष्य में ज्ञान, सुंदर शील-स्वभाव, सत्य, अहिंसा आदि गुण नहीं होते, वह इस पृथ्वी पर भार स्वरूप है। मनुष्य जीवन की सार्थकता उसके सत्पात्र होने में है। विद्यार्थी जीवन में जो नैतिक मूल्य एक विद्यार्थी में प्रविष्ट हो जाते हैं, वही मूल्य जीवन के अंतिम समय तक उसके चरित्र की गरिमा को बनाए रखते हैं। चरित्र निर्माण से आशय केवल मनुष्य में अच्छे संस्कारों का समावेश करना ही नहीं, अपितु चरित्र निर्माण तो मनुष्य के संपूर्ण व्यक्तित्व को उभारने का कठिन कार्य है। शिक्षा का उद्देश्य केवल मनुष्य को जीविका अर्जित करने योग्य बनाना नहीं है अपितु इसका सर्वांगीण विकास करना है। आज शिक्षा को नैतिकता से जोड़ने की आवश्यकता है क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति के अनुकरण के कारण नैतिक व मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जिससे मानव मानव में चरित्र निर्माण हो। अगर किसी छात्र ने अपने चरित्र का गठन कर लिया तो उसकी शिक्षा उस छात्र से बहुत अधिक है जिसने एक पूरा पुस्तकालय कंठस्थ कर लिया हो।
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चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 चाँद पर खोजबीन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भेजा गया तीसरा भारतीय चंद्र मिशन है। इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं है।
यह मिशन चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलता पूर्वक चाँद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण साॅफ्ट लैंडिंग में विफल हो गया था। सॉफ्ट लैंडिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को प्रस्तावित किया गया था।
चंद्रयान-3 का लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे हुआ था। यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास की सतह पर 23 अगस्त 2023 को भारतीय समय अनुसार सायं 06:04 बजे के आसपास सफलतापूर्वक उतर चुका है। इसी के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला और चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन गया।
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