अभ्यास प्रश्नोत्तर/कक्षा 10

 


कक्षा 10 के लिए 

अभ्यास प्रश्नोत्तर 


प्रश्न 1: 'नेताजी का चश्मा' कहानी के आधार पर हालदार साहब का चरित्र चित्रण कीजिए। 

उत्तर: हालदार साहब देशभक्त है। वह भावुक स्वभाव का है। उसे सुभाष चंद्र बोस के प्रति अगाध श्रद्धा है। इसलिए रास्ते से गुजरते समय वह मूर्ति के सामने अवश्य रुकता है। वह मूर्ति के सामने नतमस्तक होता है। उसे निहारता है। मूर्ति में होने वाले बदलावों को ध्यानपूर्वक देखता है। वह सकारात्मक सोच का व्यक्ति है। इस बात पर उसे पीड़ा होती है कि कैप्टन जैसे देशभक्त का कोई मजाक उड़ाए। वह इतना भावुक और देशभक्त है कि नेताजी की मूर्ति पर बच्चों के द्वारा लगाए गए सरकंडे के चश्मे को देखकर उसकी मन श्रद्धा से भर उठता है। उसे तसल्ली होती है कि चलो कहीं तो देशभक्ति बची हुई है।

प्रश्न 2: 'नेताजी का चश्मा' पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तरः 'नेताजी का चश्मा' पाठ के माध्यम से लेखक ने देशभक्ति की भावना का संदेश दिया है। देश के निर्माण व विकास की प्रक्रिया में प्रत्येक नागरिक अपने-अपने तरीके से सहयोग कर सकता है। इस प्रक्रिया में बड़ों के साथ-साथ बच्चे तक शामिल हो सकते हैं। देश के प्रत्येक नागरिक और इसकी सभी चीजों से प्यार करने वाला, देश की समृद्धि के लिए प्रयास करने वाला हर नागरिक,  हर व्यक्ति देशभक्त है।

प्रश्न 3: बालगोबिन की मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई -- कैसे? 

उत्तरः बालगोबिन की मृत्यु ठीक वैसी ही हुई जैसा वे चाहते थे। उन्होंने जीवनभर भक्तिभाव में अपना जीवन जिया। जीवन भर अनवरत संगीत और भजन-कीर्तन से उनका संबंध जुड़ा रहा। मरते समय तक ईश्वर के प्रति उनकी भक्ति भावना और संगीत साधना बनी रही। वह अपनी अंतिम साँस तक गाते रहे। व्रत-उपवास, स्नान-ध्यान के नियमों को भी वे जीवन के अंत तक निभाते रहे। इस प्रकार उनकी मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई।

प्रश्न 4: लेखक ने बालगोबिन भगत के संगीत को 'संगीत है या जादू' क्यों कहा है? 

उत्तरः लेखक ने भगत के संगीत को 'संगीत है या जादू' इसलिए कहा है क्योंकि उनके मधुर कंठ को सुनकर बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं। मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ हिलने लगते हैं। वह भी इस मधुर स्वर को सुनकर गुनगुनाने लगती हैं। हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं। रोपनी करने वालों की उंगलियाँ एक सुनिश्चित कम से चलने लगती हैं। 

प्रश्न 5: लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वह उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं है?

उत्तर: लेखक को अचानक डिब्बे में आया हुआ देखकर नवाब साहब की आँखों में असंतोष छा गया। ऐसा लगा मानो लेखक के आने से उनके एकांत में बाधा पड़ गई हो। उन्होंने लेखक से कोई बातचीत नहीं की। उनकी तरफ देखा भी नहीं। वे खिड़की के बाहर देखने का नाटक करने लगे। साथ ही स्थिति पर गौर भी करने लगे। इससे लेखक को पता चल गया कि नवाब साहब उनसे बातचीत करने को उत्सुक नहीं है।

प्रश्न 6: 'लखनवी अंदाज' के पात्र नवाब साहब के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए। 

उत्तरः 'लखनवी अंदाज' के पात्र नवाब साहब का व्यवहार पतनशील सामंती अथवा अभिजात वर्ग और उनकी बनावटी जीवन शैली पर व्यंग करता है। नवाब बनावटी जीवन शैली अपनाने में विश्वास करते हैं और इसी में अपना पूरा जीवन बिता देते हैं। उन्हें जीवन के यथार्थ और कड़वी सच्चाइयों से कोई मतलब नहीं होता। नवाब साहब वास्तविकता से बेखबर कृत्रिम जीवन जीने में विश्वास करते हैं तथा सामान्य जीवन से कोसों दूर रहते हुए स्वयं को विशिष्ट श्रेणी का सदस्य मानते हैं।

प्रश्न 7: 'सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी' -- पंक्ति में गोपियों की कौन-सी मनोदशा प्रकट हुई है?

उत्तर: इस काव्य पंक्ति में श्री कृष्ण के प्रति गोपियों की प्रेम और निष्ठा प्रकट हुई है। वह स्वभाव से भोली हैं। वह कृष्णप्रेम में हानि-लाभ अथवा खोने-पाने की परवाह नहीं करतीं। वे तो सच्चे मन से श्रीकृष्ण के प्रेम में खो गई हैं अथवा लिप्त हो गई हैं। अपनी इस स्थिति पर, कृष्ण के प्रति अपनी इस लीनता पर उन्हें कोई अफसोस नहीं है, बल्कि गर्व है।

प्रश्न 8: गोपियाँ योग की व्याख्या किस प्रकार करती हैं?

उत्तर: श्री कृष्ण ने उद्धव के माध्यम से गोपियों को जो जोग अर्थात योग का संदेश भिजवाया था, उस योग के संदेश को गोपियाँ पसंद नहीं करतीं। उन्होंने योग को ऐसी बीमारी बताया है, जिसका नाम सुनते ही उन्हें ऐसा लगा, जैसे कड़वी ककड़ी उनके मुँह में चली गई हो। इसीलिए उन्होंने कहा कि हे उद्धव! तुम यह योग उन्हीं को ले जाकर सौंप देना, जिनके मन चकरी के समान चंचल हों।

प्रश्न 9: परशुराम लक्ष्मण को वध के योग्य बताने के लिए क्या-क्या तर्क देते हैं? 

उत्तरः परशुराम लक्ष्मण के बारे में कहते हैं कि यह मंदबुद्धि अर्थात मूर्ख है। यह अपने कुल का कलंक है। इसे किसी का डर नहीं। इस पर किसी का नियंत्रण भी नहीं। यह अज्ञानी है। क्षत्रिय राजकुमार होने के कारण यह स्वाभाविक रूप से उनका (परशुराम का) शत्रु है, क्योंकि परशुराम क्षत्रिय द्रोही हैं। इन सब कारणों से वह लक्ष्मण को वध के योग्य कहते हैं।

प्रश्न 10: परशुराम के क्रोध करने का मूल कारण क्या था? -- स्पष्ट कीजिए। 

उत्तरः सीता स्वयंवर के दौरान राम ने राजा जनक के दरबार में रखे धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की। इसी क्रम में वह धनुष उनसे टूट गया। उस धनुष का टूटना ही परशुराम के क्रोध का मूल कारण था, क्योंकि वास्तव में वह धनुष भगवान शिव का था और परशुराम शिव जी के अनन्य भक्त थे।

प्रश्न 11: कवि जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है? 

उत्तरः कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहता है क्योंकि वह सोचता है उसके जीवन में ऐसा कुछ विशेष घटित नहीं हुआ है, जिसे वह आत्मकथा के रूप में प्रस्तुत कर सके, जिसे पढ़कर पाठक को प्रेरणा और आनंद मिले। कवि अपने जीवन की दुर्बलता एवं असफलता और दूसरों की प्रवांचना/धोखों को सबके सामने उजागर करना भी नहीं चाहता।

प्रश्न 12: 'आत्मकथ्य' कविता के आधार पर कवि जयशंकर प्रसाद के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए। 

उत्तरः 'आत्मकथ्य' कविता में कवि जयशंकर प्रसाद के भावुक, निष्कपट, सीधे-सादे एवं सरल गुणों से धनी व्यक्तित्व का पता चलता है। वह न तो अपने जीवन के निजी बातों को, निजी पलों को उजागर करके हँसी का पात्र बनना चाहता है और न ही दूसरों के छल-कपट से पूर्ण आचरण को उजागर कर उन्हें निंदा का पात्र बनना चाहता है।

प्रश्न 13: सिक्किम में बौद्ध धर्म के लोगों के द्वारा कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?

उत्तर: एक पंक्ति में लगी श्वेत बौद्ध पताकाएँ शांति व अहिंसा का प्रतीक हैं। इन पर मंत्र लिखे होते हैं। जब किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी पवित्र स्थान पर 108(एक सौ आठ) श्वेत पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। इन्हें उतरा नहीं जाता। ये स्वयं नष्ट हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त किसी शुभ कार्य को आरंभ करने के लिए रंगीन पताकाएँ लगाई जाती हैं। यह कार्य बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग ही करते हैं।

प्रश्न 14: प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?

उत्तर: उँचे-उँचे हिमशिखरों पर बर्फ के रूप में प्रकृति ने स्वयं ही जल संचय की व्यवस्था कर ली है। सर्दियों के दिनों में बर्फ के रूप में जल संचय होता है। गर्मियों में पानी के लिए चारों ओर जब त्राहि-त्राहि मचती है, मनुष्य, प्राणी, वनस्पति जगत -- सभी को पानी की सख्त जरूरत होती है तो वही बर्फ पिघल कर जल के रूप में अथवा वर्षा के रूप में प्रकृति हमारी और संपूर्ण प्राणी जगत की प्यास बुझाती है।

प्रश्न 15: 'कटाओ' पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। -- इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।

उत्तर: 'कटाओ' पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। किसी क्षेत्र में दुकान-बाजारों के होने से व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं। आवागमन बढ़ जाता है। प्राकृतिक स्वच्छता और सुंदरता नष्ट होने लगती है। इससे प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ कई बार अपसंस्कृति में भी वृद्धि होती है। किसी भी दुकान के न होने से इन सभी नकारात्मक पक्षों से 'कटाओ' अभी भी सुरक्षित है और इसकी सुंदरता प्राकृतिक रूप से ही कायम है।

प्रश्न 16: गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया?

उत्तर: गंतोक को सुंदर बनाने में यहाँ के श्रमिक वर्ग के साथ-साथ यहाँ के परिश्रमी निवासी, पुरुष-महिला आदि सभी का काफी योगदान है। उन्हीं के श्रम के बल पर सिक्किम और गंतोक को अद्भुत सुंदरता मिली है। इसलिए लेखिका ने गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' कहा है। 

प्रश्न 17: जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं? 

उत्तर: एक कुशल गाइड को संबंधित स्थानों की, वहाँ के प्राकृतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक वातावरण और वहाँ के जनजीवन की संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए। उसमें आत्मविश्वास एवं आत्मबल होना चाहिए। मुख्य और स्थानीय भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए। दर्शनीय स्थलों की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। उसे मृदुभाषी और हँसमुख स्वभाव का होना चाहिए। पाठ में वर्णित जितेन नार्गे में ये सभी गुण विद्यमान हैं।

प्रश्न 18: प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?

उत्तर: सिक्किम यात्रा के दौरान दिखे दो-चार दृश्यों ने लेखिका के अंतर्मन को झकझोर कर रख दिया। कुछ पहाड़ी औरतें अपने कोमल हाथों से रास्तों के किनारे पत्थर तोड़ रही थीं। वे अपने बच्चों को पीठ पर लादकर सड़क बनाने के कार्य में व्यस्त थीं, जिसमें उनका मातृत्व और उनकी श्रम-साधना एक साथ दिखाई देती थीं। छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ मवेशी चराने एवं लकड़ी ढोने के कठिन कार्य भी कर रहे थे। अत्यंत कम तापमान सहकर भी फौजी जवान सीमा सुरक्षा के कार्य में निरंतर जुटे हुए थे। ये ऐसे दृश्य थे, जो प्राकृतिक सौंदर्य की अलौकिक आनंद में डूबी हुई लेखिका को अचानक भावुक बना देते हैं और झकझोर जाते हैं।

प्रश्न 19: देश की सीमा पर बैठे फौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए? 

उत्तर: देश की सीमा पर बैठे फौजी विषम और भीषण संकटपूर्ण परिस्थिति में रहकर भी अपने देश और देशवासियों की सुरक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करते हैं। वह सीमा की रक्षा करते हैं। विदेशी घुसपैठियों और आक्रमणकारियों से जूझते हैं। देश को खंडित करने वाली ताकतों से भी लड़ते-भिड़ते हैं। इसके लिए उन्हें कभी-कभी आत्मबलिदान भी देना पड़ता है।

उनके प्रति हमारा उत्तरदायित्व यह होना चाहिए कि हम उनको उचित सम्मान दें। देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए उन्हें सदैव प्रेरित करें। ऐसा कोई कार्य न करें जिससे उनकी एकाग्रता भंग हो एवं उनका मनोबल कम हो।

प्रश्न 20: नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

उत्तर: नवाब साहब ने तौलिया झाड़ कर बिछा लिया तथा उस पर खीरे सजा दिए। अपने सीट के नीचे से लोटा उठाया तथा दोनों खीरों को खिड़की से बाहर धोया। तौलिए से उन्हें पोंछा। जेब से चाकू निकालकर दोनों खीरों के सिर काटे तथा उनका झाग निकाला। फिर सावधानी और कोमलता से छीलकर उनकी फाँकें बनाईं। उसके बाद एक-एक करके बड़े क्रम से उन्हें तौलिए पर सजा कर रखा एवं उन पर जीरा मिला नमक और मिर्च छिड़क दी। इस क्रम में उनकी प्रत्येक भाव-भंगिमा और जबड़ों के स्फुरण से स्पष्ट हो रहा था कि उनका मुख खीरे के रसास्वादन की कल्पना से पानी से भर गया था।

प्रश्न 21:आप की दृष्टि से भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?

उत्तर: बालगोबिन भगत की प्रवृत्ति कबीर के समान ही थी। उनके विचार भी कबीर से मिलते-जुलते थे। दोनों सामाजिक रूढ़ियों को समाज से हटाने का प्रयत्न करते थे। अहितकर सामाजिक मान्यताओं का खंडन करते थे। कबीर और भगत दोनों अच्छे कर्म और शुद्ध आचरण पर ज्यादा विश्वास रखते थे। इन आधारों पर कहा जा सकता है कि दोनों एक ही सोच और स्वभाव के थे। इसीलिए कबीर पर भगत की अगाध श्रद्धा रही होगी।

प्रश्न 22: कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है। इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

उत्तर: चौराहों पर प्रसिद्ध व्यक्तितों की मूर्ति लगाने के कई उद्देश्य हो सकते हैं, जैसे--

(i) चौराहे की सुंदरता बढ़ाना,

(ii) चौराहे को पहचान प्रदान करना,

(iii) प्रसिद्ध व्यक्तियों के जीवन और व्यक्तित्व से लोगों को अवगत कराना,

(iv) लोगों को और विशेषकर बच्चों को उनकी तरह महान बनने की प्रेरणा देना,

(v) समाज और देश के प्रति उनके योगदान को स्वीकृति देना, आदि।

प्रश्न 23: स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है? 

उत्तरः कवि के निराश जीवन में आज न तो कोई सुख बचा है और न ही कोई आशा। अतीत की मधुर यादें तथा प्रियतमा के संग व्यतीत किए गए क्षणों की मधुर स्मृतियाँ ही अब उनके जीवन यात्रा का अवलंबन बन गई हैं। कवि कहते हैं कि अब उनके जीवन की दुख भरी यात्रा में वही क्षण और स्मृति सहारा और 'पाथेय' बने हुए हैं।

प्रश्न 24: साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर: साहस और शक्ति इंसान के सबसे अच्छे गुण होते हैं। यदि इन गुणों के साथ विनम्रता भी हो तो व्यक्ति महान बन जाता है। उसका व्यक्तित्व और अधिक सराहनीय बन जाता है। विनम्रता के अभाव में व्यक्ति इन श्रेष्ठ गुणों का दुरुपयोग कर सकता है अथवा व्यक्ति में घमंड भी आ सकता है। विनम्रता नैतिक अंकुश का कार्य करती है। व्यक्ति में निहित विनम्रतापूर्ण साहस और शक्ति समाज सेवा के खूब काम आती है।

प्रश्न 25: उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

उत्तर: गोपियों को पूर्ण विश्वास था कि श्रीकृष्ण एक-न-एक दिन उनसे मिलने अवश्य आएँगे। किंतु स्वयं न आकर श्रीकृष्ण ने उद्धव को योग-संदेश भेजा। उस योग-संदेश के बारे में सुनकर तो गोपियाँ और अधिक विरहाकुल हो गईं। योग-संदेश ने श्रीकृष्ण के आने की आशा को समाप्त कर उनके विरह को और बढ़ा दिया। इस तरह उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम किया।




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