संस्कृति(प्रश्नोत्तर)


 

      संस्कृति/ भदंत आनंद कौसल्यायन

प्रश्न 1: लेखक की दृष्टि में 'सभ्यता' और 'संस्कृति' की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?

उत्तर: लेखक की दृष्टि में 'सभ्यता' और 'संस्कृति' शब्दों की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई है, क्योंकि हम इन दोनों बातों को एक ही समझते हैं या एक दूसरे में मिला लेते हैं। अक्सर इन दोनों शब्दों के साथ हम अनेक विशेषण भी लगा देते हैं। तब तो इनका अर्थ और भी अस्पष्ट हो जाता है। यह जानना जरूरी है कि क्या यह एक ही चीज है अथवा दो अलग चीजें हैं। और यदि दो हैं तो दोनों में अंतर क्या है? तभी सही बात समझ में आएगी।

प्रश्न 2: आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?

उत्तरः आग की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता की पूर्ति करती है और इसने मानव सभ्यता को नई दिशा दी है।  

आग की खोज के पीछे पेट की ज्वाला अथवा भूख मिटाने की प्रवणता प्रेरणा रही होगी। प्रकाश तथा गर्मी पाने की प्रेरणा भी मिली होगी। जब मांस को अथवा अपने आहार को भूनकर खाने से स्वाद और स्वास्थ्य दोनों मिला होगा, तब मनुष्य ने आग के माध्यम से भोजन पकाना सीख लिया होगा। हिंस्र जानवरों से बचने के लिए अथवा रात में भी प्रकाश की व्यवस्था करने के लिए भी आग की खोज की गई होगी।

प्रश्न 3: वास्तविक अर्थों में 'संस्कृत व्यक्ति' किसे कहा जा सकता है?

उत्तर: लेखक के अनुसार वास्तविक अर्थ में संस्कृत व्यक्ति वह है, जिसकी बुद्धि और विवेक ने किसी भी नए तथ्य का अनुसंधान और दर्शन सबसे पहली बार किया होगा, जैसे -- न्यूटन ने सबसे पहले  गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोजा। वह वास्तविक रूप से संस्कृत व्यक्ति था।

प्रश्न 4: न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?

उत्तर: लेखक के अनुसार जो व्यक्ति अपनी बुद्धि और विवेक से किसी नए तथ्य का अनुसंधान और दर्शन करता है, वही संस्कृत व्यक्ति है। न्यूटन ने भी यही किया। उसने अपनी योग्यता, प्रेरणा और प्रवृत्ति से विज्ञान के विभिन्न नियमों को जाना और उन्हें जनता के सामने रखा। इस कारण वह एक संस्कृत व्यक्ति है।

न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण और अन्य कई सिद्धांतों का आविष्कार किया था, जो उनसे पहले किसी ने नहीं किया था। न्यूटन के सिद्धांतों की कोई कितनी ही बारीकियाँ क्यों न जान ले, परंतु संस्कृत मानव कहलाने का अधिकारी उस सिद्धांत को सबसे पहली बार समझने वाला और प्रतिपादित करने वाला ही होगा। इसलिए अन्य व्यक्ति न्यूटन से ज्यादा सभ्य तो हो सकते हैं, लेकिन उनसे ज्यादा संस्कृत नहीं।

प्रश्न 5: किन महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा? 

उत्तरः अपने शरीर की नग्नता को ढँकने के लिए, स्वयं को गर्मी-सर्दी से बचाने के लिए, शरीर की रक्षा के लिए, शारीरिक सुंदरता को बढ़ाने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। जब मानव ने सुई-धागे की खोज कर ली तो उसके हाथ बहुत बड़ी तकनीक लग गई जो बहुत ही कारगर सिद्ध हुई। आज भी इसका भरपूर उपयोग होता है। सुई धागे की आविष्कार की वजह से भी मानव सभ्यता को एक नई दिशा प्राप्त हुई।

प्रश्न 6: "मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।" किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए, जब --

(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।

उत्तर: मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है। परंतु इसे कई बार धर्म, संप्रदाय, भाषा, जाति, रंग-रूप आदि के आधार पर बाँटने की चेष्टाएँ की गईं, जैसे -- 

(i) भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगों को फैलाकर हिंदू और सिख धर्म को बाँटने की कोशिश की गई।

(ii) इसी प्रकार कुछ वर्ष पहले गुजरात के गोधरा में हुए हिंदू-मुस्लिम दंगों में भी मानव संस्कृति के अविभाज्य स्वरूप को हानि पहुँचाने की कोशिश की गई थी।

(ख) मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।

उत्तर: मानव संस्कृति अविभाज्य है। उसने हमेशा अपने एक होने का प्रमाण दिया है। जब जापान पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराया तो विश्व के सभी देशों ने इस क्रूरतापूर्ण बर्बर कार्य का तीव्र विरोध किया।ज्ञान और प्रकाश का पर्व दीपावली आज संसार भर सभी देश, धर्म,भाषा, जाति, संप्रदाय के लोगों के द्वारा एक समान उत्साह से मनाया जाता है। उसी तरह क्रिसमस का अवसर अब किसी धर्म विशेष का न होकर समूचे विश्ववासियों का त्यौहार बन चुका है।

प्रश्न 7: आशय स्पष्ट कीजिए:

मानव की जो योग्यता उससे आत्माविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या और असंस्कृति?

उत्तर: लेखक के अनुसार संस्कृति का संबंध मानव, प्राणी और विश्वभर की कल्याण की भावना से होता है। मनुष्य अपने जिस प्रतिभा के आधार पर मानव अस्तित्व अथवा विश्व के समूल नाश हेतु विनाशकारी आविष्कार करता है, उसे संस्कृति नहीं कहा जा सकता। यह तो असंस्कृति ही कही जा सकती है, जो मानवता विरोधी कार्यों को संपन्न कराती है।








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