मेरे बचपन के दिन(प्रश्नोत्तर)
मेरे बचपन के दिन/ महादेवी वर्मा
प्रश्न 1: "मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।" इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि --
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
उत्तर: उस समय लड़कियों की अवस्था अच्छी नहीं थी। उन्हें परिवार का बोझ समझा जाता था। उनके जन्म पर पूरे घर में मातम-सा छा जाता था। उन्हें पढ़ाई-लिखाई से दूर रखा जाता था और ज्यादा-से-ज्यादा घर के कामों में लगाया जाता था। कई परिवार तो उनके जन्म होते ही उन्हें मार तक देते थे।
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर: आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ कुछ बदली हैं। शिक्षित परिवारों में लड़कियों का भी लड़कों के समान ही स्वागत होता है। उन्हें भी अच्छी तरह से पढ़ाया-लिखाया जाता है। पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने के लिए उन्हें कहीं भी भेजा जाता है। लेकिन लड़कियों के जन्म को रोकने के लिए आज भी जितनी भ्रूण हत्याएँ हो रही हैं, वह एक चिंता का विषय है और उन्हें अवश्य ही रोकने की जरूरत है।
प्रश्न 2: लेखिका उर्दू फारसी क्यों नहीं सीख पाई?
उत्तर: लेखिका को उर्दू-फारसी पढ़ने में बिल्कुल रुचि नहीं थी। जब उन्हें उर्दू पढ़ाने के लिए मौलवी साहब घर में आते थे तो वह चारपाई के नीचे छिप जाती थी। इसलिए लेखिका उर्दू-फारसी नहीं सीख पाई।
प्रश्न 3: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर: लेखिका ने अपनी माँ के हिंदी प्रेम, लेखन और गायन के प्रति उनके शौक का उल्लेख किया है। वे हिंदी तथा संस्कृत की जानकार थीं जिसका प्रभाव महादेवी पर भी पड़ा। वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। नित्य पूजा-पाठ किया करती थीं, गीता पाठ करती थीं और मीरा के पद भी गाती थीं। वह लिखा भी करती थीं।
प्रश्न 4: जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेकर लेखिका ने आज के संदर्भ में उसे स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर: जवारा के नवाब के साथ महादेवी वर्मा का पारिवारिक संबंध सगे-संबंधियों से भी अधिक बढ़कर आत्मीयता भरा था। जवारा की बेगम ने ही लेखिका के भाई मनमोहन का नामकरण किया था। बच्चों के जन्मदिन हों या रक्षाबंधन अथवा मुहर्रम जैसे त्योहार हों -- हर अवसर को वे उनके साथ मिलजुल कर मनाते थे। ऐसे आत्मीय संबंधों की आज के समय और समाज में कल्पना तक नहीं की जा सकती। इसीलिए जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका स्वप्न जैसा कहती हैं।
प्रश्न 5: जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं/होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तरः जेबुन्निसा के स्थान पर अगर मैं महादेवी वर्मा के लिए कुछ काम करती तो मेरी उनसे कुछ अपेक्षाएँ अवश्य होतीं। सहायता के बदले मैं उनसे प्रेम और स्नेह चाहती। उनसे कभी-कभी कविता भी सुन लेती तथा पढ़ाई में सहायता भी चाहती। उनके साथ कवि सम्मेलनों में जाकर कवि, साहित्यकारों का दर्शन करती और उनके कविता-पाठ का आनंद भी उठाती।
प्रश्न 6: महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे?
उत्तर: यदि मेरे सामने देशहित का प्रश्न आता या किसी विपत्ति को दूर करने का प्रश्न आता तो मैं अपना चाँदी का कटोरा अवश्य प्रसन्नतापूर्वक दे देता/देती। ऐसा दान करते समय मैं दोगुनी प्रसन्नता अनुभव करता/करती। देश भक्ति या परोपकार की भावना को मैं हमेशा उच्च स्थान प्रदान करता/करती।
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