कामचोर (प्रश्नोत्तर)

 


कामचोर/इस्मत चुगताई 

प्रश्न 1: कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के हैं?' किन के बारे में और क्यों कहा गया? 

उत्तरः कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के हैं?' घर के बच्चों के बारे में कहा गया है। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह इतने निठल्ले और कामचोर थे कि हिलकर पानी तक नहीं पीते थे।

प्रश्न 2: बच्चों के उधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई? 

उत्तर: बच्चों के उधम मचाने के कारण घर में तूफान-सा आ गया। घर के बर्तन इधर-उधर बिखर गए। मुर्गियाँ और भेड़ें खुलकर सारे घर में इधर-उधर घूमने लगीं। सारा घर धूल से भर गया और धूल पर पानी छिड़कने से कीचड़ हो गई। भैंस ने तो घर का सारा हुलिया ही बिगाड़ दिया। पूरे घर का वातावरण अस्त-व्यस्त होकर रह गया।

प्रश्न 3: "या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।" अम्मा ने कब कहा? इसका क्या परिणाम हुआ? 

उत्तरः अम्मा ने उपर्युक्त पंक्ति को तब कहा था जब बच्चों की हरकतों के कारण घर में तूफान उठ खड़ा हुआ था। इसका परिणाम यह हुआ कि पिताजी ने बच्चों को घर की किसी भी चीज को हाथ न लगाने की हिदायत दे डाली। अतः बच्चे काम करने से बच गए।

प्रश्न 4: 'कामचोर' कहानी क्या संदेश देती है?

उत्तर: 'कामचोर' कहानी हमें यह संदेश देती है कि बच्चों को उनके स्वभाव, रुचि एवं उम्र के अनुसार काम करवाना चाहिए ताकि बचपन से ही उन्हें सही ढंग से काम करने का अनुभव हो। नहीं तो बच्चे जीवन भर कामचोर बने रहेंगे और उन्हें काम करने का सही तरीका कभी नहीं आएगा।

प्रश्न 5: क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए हिलकर पानी भी नहीं पियेंगे? 

उत्तरः बच्चों का निर्णय बिल्कुल भी उचित नहीं था। ऐसे निर्णय उन्हें और कामचोर बना देंगे। उन्हें काम-धंधों को आपस में बाँटकर बड़ों से उन कामों को करने का उचित तरीका समझते हुए घर के कार्यों में हाथ बँटाना चाहिए।

प्रश्न 6: घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्यों है?

उत्तरः अपनी क्षमता के अनुसार हम अपने काम नहीं करेंगे तो हम कामचोर, परनिर्भर एवं निकम्मे बन जाएँगे। अतः हमें घर के सामान्य काम हों या निजी काम, उन्हें दूसरों से न करवा कर स्वयं करना चाहिए ताकि हम आत्मनिर्भर बन सकें।

प्रश्न 7: भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? 'कामचोर' कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।  

उत्तरः अगर घर के सभी सदस्य अपनी-अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार घर के कार्यों को बाँट लें और एक दूसरे की मदद करें तो एक भरा-पूरा परिवार भी सुखद बन सकता है। इसके विपरीत अगर कार्यों को बाँटा नहीं गया और सभी के द्वारा काम से जी चुराया गया तो घर में बहुत सारे सदस्यों के होने के बावजूद दुखद स्थिति बन सकती है।

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