शब्द भंडार
विलोम शब्द
1. यश ---- अपयश
2. रंक ---- राजा
3. लौकिक ---- अलौकिक
4. विधवा ---- सधवा
5. विजय ---- पराजय
6. शोक ---- अशोक
7. श्वेत ---- श्याम
8. संधि ---- विग्रह
9. पदस्थ ---- अपदस्थ
10. प्राचीन ---- अर्वाचीन
11. भोगी ---- योगी
12. मानव ---- दानव
13. मार्ग ---- कुमार्ग
14. मूक ---- वाचाल
15. युद्ध ---- शांति
16. लंबा ---- चौड़ा, बौना
17. वर्णनीय ---- अवर्णनीय
18. वरदान ---- अभिशाप
19. व्यक्त ---- अव्यक्त
20. शिष्ट ----- अशिष्ट
21. संक्षेप ---- विस्तार
22. समीप ---- दूर
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पर्यायवाची शब्द
1. बादल -- वारिद, नीरद, मेघ, पयोद, जलधर, घन, अंबूद
2. बहन -- भगिनी, सहोदरा, बांधवी
3. भाई -- भ्राता, सहोदर, बंधु
4. भय -- डर, भीति, हडकंप, विकंप, कदर्य, प्रकंप
5. मित्र -- मीत, सहचर, साथी, सखा, दोस्त, सुहृद
6. मछली-- मीन, मकर, मत्स्य, सफरी, जलजीवा, झष
7. मृत्यु -- मौत, मरण, देहांत, शरीरांत, निधन, ब्रह्मलीन, स्वर्गवास, प्राणांत
8. माता -- मातृ, जननी, अंबा, माँ
9. मोर -- मयूर, शिखी, कलगीधर, नागाहारी, अहिभक्ष, चंद्रपाखी
10. यश -- कीर्ति, मान, सम्मान, सुनाम, प्रसिद्धि, ख्याति
11. लक्ष्मी -- रमा, कमला, इंदिरा, धनदा, श्री, विष्णुप्रिया, पद्मा
12. लहू -- रक्त, खून, शोणित, रुधिर
13. सुगंध -- सुरभि, सौरभ, पराग, पुष्परज, महक, खुशबू, सुवास
14. सूर्य -- दिनकर, दिवाकर, प्रभाकर, दिनमणि, आदित्य, हंस, अर्क, दिनेश, रवि, सूरज, सविता
15. शत्रु -- अरि, रिपु, दुश्मन, वैरी, अराति
16. साधु -- मुनि, यति, अवधूत, वैरागी, संत, संन्यासी
17. हाथ -- कर, पाणि, हस्त
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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
1. जो सब कुछ जानता हो -- सर्वज्ञ
2. जो हर स्थान पर विद्यमान हो -- सर्वव्यापक
3. जो सबके साथ समान व्यवहार करे -- समदर्शी
4. पाप करने के बाद स्वयं दंड पाना -- प्रायश्चित्त
5. मांस खाने वाला -- मांसाहारी
6. जिसकी मरने की अवस्था हो -- मुमूर्षु
7. पच्चीस वर्ष पूरे होने पर होने वाला उत्सव -- रजत जयंती
8. साठ वर्ष पूरे होने पर होने वाला उत्सव -- हीरक जयंती
9. पचास वर्ष पूरे होने पर होने वाला उत्सव-- स्वर्ण जयंती
10. जिसके होने में संदेह हो -- संदिग्ध
11. युगों से चला आने वाला -- सनातन
12. जो बहुत बोलता हो -- वाचाल
13. मत देने का अधिकार -- मताधिकार
14. दोपहर से पहले का समय -- पूर्वाह्न
15. जिसके नीचे रेखा अंकित हो -- रेखांकित
16. आदि से अंत तक -- आद्योपांत
17. शत्रु को मारने में समर्थ -- शत्रुघ्न
18. विष्णु का उपासक -- वैष्णव
19. शिव का उपासक -- शैव
20. शक्ति का उपासक -- शाक्त
21. पृथ्वी से संबंध रखने वाला -- पार्थिव
22. मुक्ति का इच्छुक -- मुमुक्षु
23. जो कम बोलता हो -- मितभाषी
24. इस लोक से संबंधित -- लौकिक
25. जो शरण चाहता हो -- शरणागत
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श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द
1. नीर -- पानी
नीड़ -- घोंसला
2. कोष -- खजाना
कोश -- शब्द भंडार
3. शोक -- दुख
शौक -- चाव
4. सुत -- बेटा
सूत -- धागा, सारथि
5. सर -- तालाब
शर -- वाण
6. वसन -- कपड़ा
व्यसन -- बुरी आदत
7. सुर -- देवता
शूर -- वीर
8. शुक्ल -- श्वेत
शुल्क -- फीस, कर
9. सूचि -- सूई
सूची -- तालिका
10. हरि -- विष्णु
हरी -- हरे रंग की
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अनेकार्थक शब्द
1. जड़ -- मूर्ख, मूल, अचेतन
2. हित -- स्नेह, भलाई, लोभ, प्रेम
3. घट -- घड़ा, शरीर, कम
4. वर -- श्रेष्ठ, दूल्हा, वरदान, वरण करने योग्य
5. सारंग -- हिरण, मोर, साँप, पुरुष
6. विधि -- तरीका, उपाय, ब्रह्मा
7.दल -- पत्ता, सेना, समूह, हिस्सा
8. उत्तर -- दिशा, पीछे, जवाब
9. बल -- रस्सी के बल, शक्ति
10. हेतु -- लक्ष्य, कारण, अभिप्राय
11. कला -- ढंग, उपाय, गुण, विषय
12. क्षेत्र -- स्थान, भूमि, खेत
13. श्री -- शोभा, लक्ष्मी, धन-वैभव
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एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द
1. इच्छा -- किसी वस्तु की साधारण चाह
अभिलाषा -- किसी विशेष वस्तु की हार्दिक चाह
2. अभिवादन -- बड़ों का हाथ जोड़कर किया जाता है
नमस्कार -- समान आयु/अवस्था वालों को किया जाता है
नमस्ते -- बड़े, छोटे और समान अवस्था वालों को की जाती है प्रणाम -- अपने से बड़ों को किया जाता है
3. शंका -- संदेह का भाव
आशंका -- अमंगल होने का भय
4. करुणा -- दूसरे का दुख देखकर हृदय भर आना
दया -- दूसरे का दुख दूर करने की स्वाभाविक इच्छा
5. राजा -- किसी देश विशेष का राजा
सम्राट -- राजाओं का राजा
6. मौन -- बोलने की इच्छा न रखना, चुप रहना
मुक -- जो बोल न सके
7. ग्लानि -- किसी पाप या अपराध का अफसोस
लज्जा -- शर्म, अनुचित काम करने पर मुँह छिपाना
8. प्रसिद्धि -- सामान्य भाव से मशहूर होना
ख्याति -- विशेष रूप से मशहूर होना
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मुहावरे
01. छाती पर मूँग दलना (सामने ही ढिठाई करना): हमारा दुश्मन हमारे दुकान के सामने ही पटरी पर कपड़ा बेचकर हमारी छाती पर मूँग दलना चाहता है।
02. छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना): भारत की चहुँमुखी उन्नति को देखकर उसके शत्रुओं की छाती पर साँप लोटने लगा है।
03. छप्पर फाड़कर देना (अचानक कुछ चीज प्राप्त हो जाना): जब उसकी एक लाख की लॉटरी निकल आई तो सब ने कहा कि भगवान ने उसे छप्पर फाड़ कर दिया।
04. जलती आग में घी डालना (क्रोध बढ़ाना): परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण के व्यंगपूर्ण वचनों ने जैसे जलती आग में घी डालने का काम किया।
05. जान हथेली पर रखना (बलिदान के लिए तैयार रहना): सच्चे देशभक्त जान हथेली पर रखकर शत्रु का सामना करते हैं।
06. जान पर खेलना (जीवन की परवाह न करना): भारत की आजादी के लिए अनेक देशभक्त अपनी जान पर खेल गए।
07. जान के लाले पड़ना (विपत्ति में फँसना): विमान का अपहरण कर लिए जाने पर यात्रियों को जान के लाले पड़ गए।
08. जी चुराना (मन न लगना): आजकल विद्यार्थी मोबाइल में गेम खेलने के इतने शौकीन हो गए हैं कि वे पढ़ाई से जी चुराने लगे हैं।
09. जीती मक्खी निगलना (जान-बूझकर अनुचित काम करना): परिस्थितियों से विवश होकर ही उसने ऐसा किया होगा, अन्यथा जीती मक्खी कौन निगलता है।
10. टस से मस न होना (तनिक भी न हिलना): भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को संधि करने के लिए बहुत समझाया, पर वह टस से मस नहीं हुआ।
11. टका-सा जवाब देना (साफ इनकार कर देना): आज जब मैंने अपने मित्र से कुछ रुपए माँगे तो उसने टका-सा जवाब दे दिया।
12. टाँग अड़ाना (विघ्न डालना): किसी के काम में टाँग अड़ाना ठीक नहीं होता।
13. टेढ़ी खीर (कठिन कार्य): आजकल सरकारी नौकरी मिलना एक टेढ़ी खीर है।
14. टालमटोल करना (बहाना बनाना) साफ-साफ कह दो कि तुम मेरी सहायता करना नहीं चाहते, इस तरह टालमटोल करने से क्या लाभ?
15. ठन ठन गोपाल (बिल्कुल कंगाल): उससे किसी प्रकार की आर्थिक सहायता की आशा रखता व्यर्थ है, क्योंकि वह तो ठन ठन गोपाल है।
16. ठोकरें खाना (धक्के खाना): भाग्य की विडंबना देखिए, आज-कल शिक्षित युवक भी नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं।
17. डूबते को तिनके का सहारा (संकट में पड़े व्यक्ति को थोड़ी सहायता भी पर्याप्त होना): मुझे अधिक नहीं तो तीस रुपए ही दे दो।डूबते को तिनके का सहारा ही बहुत होता है।
18. तलवे चाटना (खुशामद करना): दीनानाथ ने अपने अधिकारियों के तलवे चाट कर अपने भाई को नौकरी पर लगवा ही लिया।
19. तू-तू मैं-मैं होना (बातों बातों में लड़ाई होना): तुम जरा-जरा सी बात पर ही तू-तू मैं-मैं क्यों करने लगते हो?
20. तूती बोलना (प्रसिद्ध होना): आज पूरे विश्व में अमेरिका की तूती बोलती है।
21. तीन-पाँच करना (टाल-मटोल करना): अधिक तीन-पाँच करोगे तो तुम्हारी पोल खोल दूँगा।
22. तीन तेरह होना (भाग जाना): पुलिस के आते ही भीड़ तीन तेरह हो गई।
23. तिल का ताड़ बनाना (जरा-सी बात को बढ़ा-चढ़ा देना): बात तो छोटी-सी थी, तुमने तो तिल का ताड़ ही बना दिया।
24. थाली का बैंगन (अस्थिर व्यक्ति): आजकल के अधिकांश राजनीतिज्ञ थाली के बैंगन की तरह हैं, उनका कोई दीन-ईमान नहीं है।
25. दाँत काटी रोटी होना (गहरी मित्रता): भारत तथा रूस में दाँत काटी रोटी का संबंध है।
26. दाँत खट्टे करना (हराना): भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में पाक सेना के दाँत खट्टे कर दिए।
27. दंग रह जाना (आश्चर्य में होना): ताजमहल के सौंदर्य को देखकर विदेशी पर्यटक दंग रह जाते हैं।
28. दाँतों तले उंगली दबाना (आश्चर्यचकित रहना): अजंता की गुफाओं को देखकर सभी ने दाँतों तले उंगली दबा ली।
29. दाल न गलना (काम न बनना): आजकल दफ्तरों में बिना रिश्वत दिए दाल नहीं गलती।
30. दूध का दूध पानी का पानी (पूरा पूरा न्याय): न्यायाधीश महोदय ने अपने निर्णय में दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।
31. दाल में काला होना (संदेह की बात होना): सुधीर! साफ-साफ क्यों नहीं बताते? लगता है दाल में कुछ काला है।
32. दुम दबाकर भागना (डर कर भागना): शिवाजी की सेना को देख मुगल सैनिक दुम दबाकर भागने लगते थे।
33. दीवार के भी कान होना (रहस्य खुलने की आशंका होना): यह मत सोचो कि तुम्हारी बात कोई नहीं सुन रहा, कहते हैं दीवारों के भी कान होते हैं।
34. धाक जमाना (प्रभावित करना): राणा प्रताप ने अपने शौर्य से अकबर पर धाक जमा ली थी।
35. धुन सवार होना (काम करने की लगन होना): आजकल जिसे देखो उसी पर अधिक से अधिक धन कमाने की धुन सवार है।
36. धज्जियाँ उड़ाना (दुर्गति करना): सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इराक के प्रस्ताव की धज्जियाँ उड़ा दीं।
37. नमक-मिर्च लगाना (बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना): बात तो कुछ भी नहीं थी, मगर गीता ने उसे नमक-मिर्च लगाकर प्रचारित कर दिया।
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लोकोक्तियाँ
01. ओखली में सिर दिया तो मूसली से क्या डर (काम आरंभ करने के बाद मुसीबत से क्या घबराना): जब अधिकारों की लड़ाई प्रारंभ कर दी है तो जेल जाने से क्या भय? ओखली में सिर डाल दिया तो मूसली से क्या डर?
02. ओस चाटे प्यास नहीं बुझती (नाम मात्र की चीज से काम नहीं चलता): तुम 250 ग्राम दूध लेकर उस पहलवान की भूख शांत करना चाहते हो? कहीं ओस चाटे प्यास बुझती है?
03. कंगाली में आटा गीला (मुसीबत में और मुसीबत आना): गंगू पहले ही बहुत निर्धन था। छोटी-सी नौकरी में बड़ी मुश्किल से गुजारा कर रहा था। अब तो वह भी छूट गई। इसीको कहते हैं-- कंगाली में आटा गीला।
04. कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली (दो व्यक्तियों की स्थिति में बहुत अंतर): उस साधारण गायिका की तुलना लता मंगेशकर से करना उचित नहीं। कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।
05. कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा (बेमेल व्यक्तियों को इकट्ठा करके कोई संगठन करना): केंद्र में तेरह पार्टियों की मिली-जुली सरकार पर यह लोकोक्ति चरितार्थ होती है कि कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा।
06. काठ की हँडिया एक बार ही चढ़ती है (छल, कपट तथा चालकी से एक ही बार काम निकलता है): मैं एक बार तुमसे ठगा जा चुका हूँ, अब तुम्हारी चिकनी-चुपड़ी बातों में नहीं आ सकता क्योंकि काठ की हँडिया एक ही बार चढ़ती है।
07. का वर्षा जब कृषि सुखानी (समय बीत जाने पर सहायता व्यर्थ है या काम बिगड़ जाने पर साधन जुटाना बेकार है): अपनी लड़की के विवाह पर मुझे रुपयों की आवश्यकता थी। वह तो हो चुका। अब तुम्हारी सहायता लेकर क्या करूँगा? का वर्षा जब कृषि सुखानी?
08. कोयले की दलाली में मुँह काला (बुरे के साथ रहने पर बुराई मिलती है): उसका साथ छोड़ दो, बहुत बदमाश है, कभी तुम्हें भी ले बैठेगा। जानते नहीं, कोयले की दलाली में मुँह काला।
09. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है (देखादेखी रंग बदल जाना): तुम्हारे साथी शराबी हैं और अब तुम भी पीने लगे हो। किसी ने ठीक ही कहा है -- खरबूजे को देखकर खरबूजा अवश्य रंग बदलता है।
10. खोदा पहाड़ निकला चूहा (अधिक मेहनत, लाभ कम): बहुत लाभ कमाने के लालच में उसने अगरबत्ती की फैक्ट्री लगाई, पर वर्ष की समाप्ति पर उसे नाममात्र का ही मुनाफा हुआ। इसी को कहते हैं-- खोदा पहाड़ निकला चूहा।
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