आत्मकथ्य/कक्षा 10

 


आत्मकथ्य 

प्रश्न 1: 'आत्मकथ्य' कविता में 'उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की' कथन के माध्यम से कई क्या कहना चाहता है? 

उत्तरः 'आत्मकथ्य' कविता में जयशंकर प्रसाद जी ने अपने जीवन में अनुभूत प्रेम के मधुर क्षणों का वर्णन किया है। कवि कहता है कि वह चाँदनी रातों में अथवा सुखभरे समय में अपनी पत्नी अथवा प्रियतमा के साथ गुजारे हुए उन मधुर क्षणों का वर्णन नहीं कर सकता। उस दिव्य आनंद को शब्दों में अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2: जयशंकर प्रसाद के लिए किसकी स्मृति 'पाथेय' बनी है?

उत्तरः कवि के लिए उसकी पत्नी अथवा प्रियतमा की स्मृति जीवन के मार्ग का पाथेय बनी है।

प्रश्न 3: 'छोटे से जीवन की बड़ी कथाएँ' कवि के जीवन के किसी तथ्य की ओर संकेत करती हैं? 

उत्तरः कवि के जीवन में अनेक घटनाएँ घटित हुई हैं। छोटे से जीवन में कवि को कठिन संघर्ष तथा कटु अनुभवों का सामना भी करना पड़ा है। इसी तथ्य को इस पंक्ति द्वारा यहॉं कवि व्यक्त कर रहे हैं। 

प्रश्न 4: कवि अपनी आत्मकथा को सुनाने के लिए अनिच्छुक क्यों हैं?

उत्तर: कवि कहता है कि उसकी कष्टों से भरी आत्मकथा को सुनने से किसी को क्या मिलेगा? इससे तो केवल उसके अपने सूखे घाव फिर से हरे हो जाएँगे। विगत बातों की कटु स्मृतियाँ उसे पुनः अधिक दुख देंगी। इसलिए कवि अपनी आत्मकथा सुनाने की इच्छा नहीं रखते।

प्रश्न 5: ' देखोगे यह गागर रीती' पंक्ति से क्या आशय है? 

उत्तरः 'गागर रीती' का आशय है -- खाली घड़ा अर्थात असफल जीवन। कवि कहना चाहता है कि उसने अपने जीवन में कोई विशेष उपलब्धि नहीं प्राप्त की है। उसका जीवन खाली ही है।

प्रश्न 6: कवि जयशंकर प्रसाद ने 'सीवन को उधेड़ कर देखना' किसे कहा है?

उत्तर: कवि ने अपनी आत्मकथा लिखने को 'सीवन को उधेड़ कर देखना' कहा है। कवि का आशय यह है कि यदि वह सच्ची आत्मकथा लिखेगा तो लोगों को उसके जीवन के एक-एक रहस्य का पता चल जाएगा। लोग उसके एक-एक दुख और अभाव को देखकर उसके जीवन के चिथड़े- चिथड़े कर डालेंगे।

प्रश्न 7: 'छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ' -- पंक्ति में 'छोटे से जीवन' और 'बड़ी कथाएँ' का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तरः कवि स्वयं को बहुत सामान्य व्यक्ति कहता है। इसलिए वह अपने जीवन को 'छोटा-सा जीवन' मानता है। 'बड़ी कथाएँ' का आशय है -- महान बातें, ऊंची बातें अथवा बड़ी उपलब्धियाँ। कवि अपनी सामान्य जिंदगी की बड़ी-बड़ी बातें कर बनावटी रूप से स्वयं को महान नहीं सिद्ध करना चाहता।

प्रश्न 8: कवि जयशंकर प्रसाद क्यों कहता है -- 'सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्मकथा'? 

उत्तरः कवि को लगता है कि उसके जीवन में कुछ भी महान घटित नहीं हुआ है। उसके जीवन के बारे में जानकर कुछ नहीं सीखा जा सकता। उसके जीवन में सरलता और भोलेपन के सिवा कुछ भी तो नहीं है। इसलिए वह कहता है कि ऐसे जीवन के बारे में कुछ जानना व्यर्थ है।

प्रश्न 9: 'आत्मकथ्य' कविता के आधार पर कवि की प्रेयसी के सौंदर्य का वर्णन कीजिए। 

उत्तरः कवि की प्रेमिका अतीव सुंदरी थी। उसके गालों की लाली ऐसी सुंदर, मोहक और मतवाली थी कि प्रातःकालीन सूरज की लाली भी उसके सामने फीकी पड़ जाती थी। उसका व्यक्तित्व प्रसन्नतादायक था। वह कवि के साथ खुलकर हँसती थी, खिलखिलाती थी और मुस्कुराती थी। वास्तव में वह तन मन -- दोनों से सुंदर थी।

प्रश्न 10: 'आत्मकथ्य' कविता के आधार पर बताइए कि जयशंकर प्रसाद की जीवन यात्रा कैसी रही?

उत्तर: 'आत्मकथ्य' कविता से पता चलता है कि जयशंकर प्रसाद को जीवन में अनेक कष्ट सहने पड़े। उनका प्रेम सफल न हो सका। दांपत्य का सुख उनके लिए एक सपना भर था। उनकी जीवनसंगिनी का उन्हें जीवन भर साथ न मिल सका। जयशंकर प्रसाद ने सरलता और भोलेपन से जीवन जिया। उनके अपनों ने उन्हें धोखे दिए। फिर भी उन्होंने अपनी सरलता न छोड़ी। उनकी यह सरलता ही उनके जीवन के लिए सज़ा बन गई।


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