संगतकार/मंगलेश डबराल

 


संगतकार

प्रश्न 1: 'संगतकार' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि संगतकार जैसे व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न होकर भी समाज में अग्र पंक्ति में न आकर प्रायः पीछे ही क्यों रहते हैं? 

उत्तरः संगतकार जैसे व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न होकर भी समाज की अग्र पंक्ति में न आकर प्रायः पीछे रहते हैं क्योंकि वह मुख्य कलाकार के सहयोगी होते हैं और उसे धोखा नहीं देना चाहते। वह अपने प्रिय कलाकार की सफलता में अपनी सफलता देखते हैं। वह प्रतिभावान होते हैं, पर वह इस विशेषता से दूसरे को चमकाने में लगे रहते हैं। वह परोपकारी और त्यागी होते हैं। उन्हीं के कारण मुख्य गायक का महत्व बना रहता है।

प्रश्न 2: 'संगतकार' कविता में कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत कर रहा है?

उत्तरः संगतकार के माध्यम से कवि उन व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है जो सफल एवं प्रसिद्ध व्यक्तियों को सफलता तथा प्रसिद्धि पाने में सहयोग देते हैं। उनके महत्व एवं योगदान को कभी आँका नहीं जाता। उनकी भूमिका हमेशा रचनात्मक होती है। यह लोग अपने आदर्श व्यक्ति की छवि को निखारते हैं। मुसीबत में उनका साथ देते हैं तथा ढाढ़स बनाते हैं।

प्रश्न 3: 'संगतकार' कविता के आधार पर बताइए कि संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं? 

उत्तरः संगतकार मुख्य गायक गायिका के स्वर में स्वर मिलाकर उसे उच्चता प्रदान कर देता है। जब मुख्य गायक का स्वर बिखरने लगता है तो वह उन्हें संभाल लेता है। जब कभी गीत गाते समय मुख्य गायक की हिम्मत टूटने लगती है तो संगतकार उसकी प्रेरणा व हिम्मत बन जाता है, जिससे मुख्य गायक या गायिका में नया जोश भर जाता है।

प्रश्न 4: जब मुख्य गायक की आवाज थकने लगती है तो संगतकार क्या करता है? 

उत्तरः जब मुख्य गायक की आवाज गिरने लगती है तो संगतकार उसका साथ देता है। इससे मुख्य गायक को गायन के मध्य कुछ विश्राम मिल जाता है।

प्रश्न 5: कभी-कभी संगतकार आवश्यकता के बिना भी मुख्य गायक का साथ क्यों देता है?

उत्तर: कभी-कभी संगतकार बिना आवश्यकता के भी मुख्य गायक का साथ देता है जिससे उसको यह याद रहे कि वह अकेला नहीं है।

प्रश्न 6: तारसप्तक में मुख्य गायक का गला क्यों बैठते लगता है?

उत्तर: तारसप्तक में कंठ स्वर बहुत ऊँचा होता है। ऊँचे स्वर में निरंतर देर तक नहीं गया जा सकता। इससे मुख्य गायक का गला कुछ देर में ही थकने लगता है।

प्रश्न 7: संगतकार अपने स्वर को ऊँचा नहीं उठाता। क्या इसे उसकी विफलता कहा जा सकता है?

उत्तरः संगतकार धीमे स्वर में गाता है। वह अपने स्वर को ऊँचा नहीं उठाता, जिससे मुख्य गायक खुलकर गा सके। अतः इसे उसकी विफलता या असफलता नहीं माना जा सकता। यह तो उसकी मानवता है।

प्रश्न 8: '... जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन 
           जब वह नौसिखिया था।' -- यहाँ 'नौसिखिया' किसे कहा गया है? और किस संदर्भ में? 

उत्तरः यहॉं नौसिखिया मुख्य गायक को कहा गया है। जब वह(मुख्य गायक) सुरों की दुनिया में खो जाता है और संगीत के आनंद में लिप्त होकर अनहद आनंद की अनुभूति करने लगता है, तब संगतकार ही उसके स्वर में स्वर मिलाकर उसे मूल स्वर से जोड़ता है और उसे याद दिलाता है कि वह भी कभी नया सीखने वाला अथवा नौसिखिया था।

प्रश्न 9: '... अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है 
           उसे विफलता नहीं 
           उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।' -- संसार में इस प्रकार की मनुष्यता की क्या उपयोगिता है? 

उत्तरः इस प्रकार की निस्वार्थ मनुष्यता के माध्यम से ही अनेक लोग जीवन में सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं और अपने लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं। अनेक लोगों के निःस्वार्थ सहयोग और परोपकार के कारण ही कुछ लोग प्रसिद्धि व सफलता प्राप्त कर पाते हैं। 

प्रश्न 10: सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तो उसे सहयोगी किस तरह संभालते हैं? 

उत्तरः सफलता के चरम शिखर पर पहुँचते समय कई बार व्यक्ति लड़खड़ाता है। परंतु ऐसी कठिन परिस्थिति में उसके सहयोगी उसे आशा बँधाते हैं, ढाढ़स देते हैं, उसे उसकी क्षमता से परिचित करवाते हैं तथा निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहते हैं। अपना निरंतर सहयोग देकर वे उनकी गलतियों को भी सुधारते जाते हैं।




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