अभ्यास प्रश्नोत्तर (कक्षा: नौ)


अभ्यास प्रश्नोत्तर 


प्रश्न 1: किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?

उत्तर: बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कंठ की एक सुंदर गौरैया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया। वह गौरैया की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में इस तरह जुट गए कि उसके बाद उनकी रुचि पूरे पक्षी-संसार की ओर मुड़ गई और वे पक्षी-प्रेमी बन गए।

प्रश्न 2: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?

उत्तर: सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित गंभीर खतरों का वर्णन किया होगा। वृक्षों की कटाई से लेकर इससे प्रकृति पर पहुँच रहे नुकसान तक के बारे में बताया होगा। साइलेंट वैली में रेगिस्तानी गर्म हवाओं के गंभीर असर के बारे में वर्णन किया होगा। वातावरण के बदलने से पशु-पक्षियों पर पहुँच रहे नुकसान और दुख-कष्टों का हृदयविदारक वर्णन किया होगा, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई होंगी।

प्रश्न 3: लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?

उत्तर: 'मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।'-- यह कहकर फ्रीडा स्पष्ट करना चाहती हैं कि लॉरेंस को अपने घर-परिवार से भी ज्यादा पक्षी, पेड़-पौधे, प्रकृति-जगत से लगाव था। अपनी पत्नी फ्रीडा से भी ज्यादा समय तो वे पक्षी गौरैयों के बीच बिताते थे, जैसे गौरैये उनके अंतरंग साथी हों। लॉरेंस के इसी प्रकृति और पक्षीप्रेम को उद्घाटित करने के लिए फ्रीडा ने ऐसा कहा होगा।

प्रश्न 4: इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: सालिम अली अनन्य प्रकृति प्रेमी थे। पक्षियों से उन्हें विशेष लगाव था। वे गले में हमेशा दूरबीन लटकाए रहते थे। उनके मन में पक्षियों की खोज करने का और उनकी सुरक्षा के उपाय खोजने का असीम चाव था। वह घुमक्कड़ स्वभाव के थे। लंबी यात्राओं ने उन्हें कमजोर कर दिया था। अपने दैनिक आचरण-व्यवहार में भी अत्यंत सीधे, सरल स्वभाव के इंसान थे।

प्रश्न 5: प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं? 

उत्तर: (i) पर्यावरण को बचाने के लिए हम अपने आसपास के क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगा सकते हैं। 

(ii) प्लास्टिक के बदले कागज या कपड़े से बने थैले और सामानों का प्रयोग कर सकते हैं।

(iii) कूड़े-कचरों को उपयुक्त और निश्चित जगह में जमा करके वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाए रख सकते हैं।


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प्रश्न 1: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?

उत्तर: प्रेमचंद एक संघर्षशील लेखक थे। वे सादा जीवन परंतु उच्च विचार के पक्षधर थे। वे गैर समझौतावादी और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। सामाजिक कुप्रथाओं और परंपरावादी रूढ़ियों के वे घोर विरोधी थे। वे दिखावटीपन से दूर रहते थे और चारित्रिक दृढ़ता को मनुष्य का मुख्य गुण मानते थे। कुल मिलाकर वे पाठ में एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में पाठकों के सामने आते हैं।

प्रश्न 2: नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए:

(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।

उत्तर: जूता अमीरी का और टोपी विद्वत्ता का प्रतिनिधित्व करता है। समाज में हमेशा अमीरों की ज्यादा इज्जत होते हुए देखा जाता है, जबकि विद्वत्ता की और विद्वान जनों की कीमत ज्यादातर लोग कम आँकते हैं। आज तो स्थिति यह हो गई है कि समाज का इज्जतदार और विद्वत वर्ग भी अमीरों के आगे सिर झुका लेता है।

(ख) तुम पर्दे का महत्व ही नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं।

उत्तर: प्रेमचंद ने कभी पर्दे को अथवा ढकने-छुपाने को महत्व नहीं दिया। उन्होंने वास्तविकता को कभी ढकने का प्रयास नहीं किया। भीतर-बाहर से वे एक समान थे। यहाँ पर्दे का सम्बन्ध इज़्ज़त बचाने के प्रयास से अथवा झूठी शान से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में प्रेमचंद जैसे कुछ लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त बचाने का झूठा प्रयास महत्वहीन है।

(ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अंगुली से इशारा करते हो?

उत्तर: सामाजिक बुराइयाँ, कुरीति, कुसंस्कार, घृणित कार्य अथवा गलत प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को प्रेमचंद्र बिल्कुल निंदनीय समझते थे। उनके प्रति वे ज़रा भी सम्मान नहीं दिखाते थे।

प्रश्न 3: आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?

उत्तर: प्रस्तुत व्यंग्य पढ़ने के बाद पाठकों को लेखक की कई बातें आकर्षित करती हैं। लेखक परसाई पारखी नजर रखते हैं। वे प्रेमचंद की सामान्य सी फोटो देखकर ही यह अनुमान लगा लेते हैं कि उनका व्यक्तित्व दिखावे से कोसों दूर है। उन्हें प्रेमचंद के चेहरे पर लज्जा, संकोच की जगह बेपरवाही ओर विश्वास दिखाई देता है। वह प्रेमचंद की अधूरी मुस्कान को सामाजिक विसंगतियों के प्रति व्यंग्य मानते हैं। लेखक की ऐसी सूक्ष्म दृष्टि किसी भी पाठक को अवश्य आकर्षित करती है।

प्रश्न 4: पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन संदर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा?

उत्तर: पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग सामाजिक विकास में बाधा प्रदान करने वाली विविध समस्याएँ, सामाजिक विषमता, अंधविश्वास, कुसंस्कार, संघर्ष, दुखद परिस्थितियाँ आदि की ओर इंगित करने के लिए किया गया होगा।

प्रश्न 5: आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?

उत्तर: आज वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में प्रेमचंद की सोच के विपरीत बड़ा परिवर्तन आया है। वेशभूषा से लोगों का व्यक्तित्व निखरता ही नहीं, उनकी पृष्ठभूमि, रुचि और उनकी मानसिकता का भी पता चलता है। आजकल लोग अपनी वेशभूषा के प्रति अधिक सतर्क दिखाई देते हैं। यथासंभव आज के लोग हमेशा नए, सुंदर, चमकीले, रंगीन और नए फैशन/डिजाइन के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी पहले के लोगों की तरह फटी-पुरानी वेश-भूषाओं से ही गुजारा करने पर विश्वास नहीं रखते। जितना संभव हो, वे भी नयापन चाहते हैं। पुराने ज़माने में बड़े अथवा विद्वान लोगों के सादगीपूर्ण जीवन को अनुकरणीय समझा जाता था, परंतु आज सादा जीवन जीनेवालों को पिछड़ा समझ लिया जाता है।


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प्रश्न 1: "मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।"  इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि --

(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी? 

उत्तर: उस समय लड़कियों की अवस्था अच्छी नहीं थी। उन्हें परिवार का बोझ समझा जाता था। उनके जन्म पर पूरे घर में मातम-सा छा जाता था। उन्हें पढ़ाई-लिखाई से दूर रखा जाता था और ज्यादा-से-ज्यादा घर के कामों में लगाया जाता था। कई परिवार तो उनके जन्म होते ही उन्हें मार तक देते थे। 

(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?

उत्तर: आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ कुछ बदली हैं। शिक्षित परिवारों में लड़कियों का भी लड़कों के समान ही स्वागत होता है। उन्हें भी अच्छी तरह से पढ़ाया-लिखाया जाता है। पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने के लिए उन्हें कहीं भी भेजा जाता है। लेकिन लड़कियों के जन्म को रोकने के लिए आज भी जितनी भ्रूण हत्याएँ हो रही हैं, वह एक चिंता का विषय है और उन्हें अवश्य ही रोकने की जरूरत है।

प्रश्न 2: लेखिका उर्दू फारसी क्यों नहीं सीख पाई?

उत्तर: लेखिका को उर्दू-फारसी पढ़ने में बिल्कुल रुचि नहीं थी। जब उन्हें उर्दू पढ़ाने के लिए मौलवी साहब घर में आते थे तो वह चारपाई के नीचे छिप जाती थी। इसलिए लेखिका उर्दू-फारसी नहीं सीख पाई।

प्रश्न 3: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?

उत्तर: लेखिका ने अपनी माँ के हिंदी प्रेम, लेखन और गायन के प्रति उनके शौक का उल्लेख किया है। वे हिंदी तथा संस्कृत की जानकार थीं जिसका प्रभाव महादेवी पर भी पड़ा। वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। नित्य पूजा-पाठ किया करती थीं, गीता पाठ करती थीं और मीरा के पद भी गाती थीं। वह लिखा भी करती थीं।

प्रश्न 4: जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेकर लेखिका ने आज के संदर्भ में उसे स्वप्न जैसा क्यों कहा है?

उत्तर: जवारा के नवाब के साथ महादेवी वर्मा का पारिवारिक संबंध सगे-संबंधियों से भी अधिक बढ़कर आत्मीयता भरा था। जवारा की बेगम ने ही लेखिका के भाई मनमोहन का नामकरण किया था। बच्चों के जन्मदिन हों या रक्षाबंधन अथवा मुहर्रम जैसे त्योहार हों -- हर अवसर को वे उनके साथ मिलजुल कर मनाते थे। ऐसे आत्मीय संबंधों की आज के समय और समाज में कल्पना तक नहीं की जा सकती। इसीलिए जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका स्वप्न जैसा कहती हैं। 

प्रश्न 5: महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे? 

उत्तर: यदि मेरे सामने देशहित का प्रश्न आता या किसी  विपत्ति को  दूर करने का प्रश्न आता तो मैं अपना चाँदी का कटोरा अवश्य प्रसन्नतापूर्वक दे देता/देती। ऐसा दान करते समय मैं दोगुनी प्रसन्नता अनुभव करता/करती। देश भक्ति या परोपकार की भावना को मैं हमेशा उच्च स्थान प्रदान करता/करती।


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प्रश्न 1. कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ क्यों कहा है?

उत्तर: कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ इसलिए कहा है क्योंकि उसकी शोभा अनुपम है। खेतों में दूर-दूर तक मखमली हरियाली फैली हुई है। उस पर सूरज की धूप चमक रही है। इस शोभा के कारण पूरी वसुधा प्रसन्न दिखाई देती है। इसके कारण गेहूँ, जौ, अरहर, सनई, सरसों की फसलें उग आई हैं। तरह-तरह के फूलों पर रंगीन तितलियाँ मँडरा रही हैं। आम, बेर, आड़ू, अनार आदि मीठे फल पैदा होने लगे हैं। आलू, गोभी, बैंगन, मूली, पालक, धनिया, लौकी, सेम, टमाटर, मिर्च आदि खूब फल-फूल रहे हैं। गंगा के किनारे तरबूजों की खेती फैलने लगी है। पक्षी आनंद विहार कर रहे हैं। ये सब दृश्य मनमोहक बन पड़े हैं। इसलिए गाँव सचमुच जन-मन को हरता है।

प्रश्न 2: कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?

उत्तरः कविता में सर्दी के मौसम के सौंदर्य का वर्णन है। इसी समय गुलाबी धूप हरियाली से मिलकर हरियाली पर बिछी चाँदी की उजली जाली का अहसास कराती है और पौधों पर पड़ी ओस हवा से हिलने पर उनमें हरा रक्त होने का भान होता है। इसके अलावा खेत में सब्ज़ियाँ तैयार होने, पेड़ों पर तरह-तरह के फल आने, तालाब के किनारे रेत पर मँगरौठ नामक पक्षी के आलस करते हुए सोने के वर्णन से पता चलता है कि यह सर्दी के मौसम का ही वर्णन है।

प्रश्न 3: गाँव को ‘मरकत डिब्बे-सा खुला’ क्यों कहा गया है?

उत्तरः गाँव में चारों ओर मखमली हरियाली और रंगों की लाली छाई हुई है। विविध फसलें लहलहा रही हैं। वातावरण मनमोहक सुगंधों से भरपूर है। रंगीन तितलियाँ उड़ रही हैं। चारों ओर रेशमी सौंदर्य छाया हुआ है। सूरज की मीठी-मीठी धूप इस सौंदर्य को और जगमगा रही है। इसलिए गाँव की तुलना 'मरकत डिब्बे' से की गई है।

प्रश्न 4: अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?

उत्तरः अरहर और सनई फलीदार फ़सलें हैं। इनकी फ़सलें पकने पर, जब हवा चलती है तो इनमें से मधुर आवाज़ आती है। यह मधुर आवाज़ किसी बालिका की कमर में बँधी करधनी से आती हुई प्रतीत होती है। इन्हीं मधुर आवाजों के कारण कवि को अरहर और सनई के खेत धरती की करधनी जैसे दिखाई देते हैं।

प्रश्न 5: निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?

तिनकों के हरे हरे तन पर

हिल हरित रुधिर है रहा झलक

उत्तरः-- 'हरे-हरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

-- ‘हरे-हरे तन पर हिल-हरित रुधि’ में अनुप्रास अलंकार है।

-- ‘हरित रुधिर’-रुधिर अथवा रक्त का रंग हरा बताने के कारण विरोधाभास अलंकार है।


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प्रश्न 1: बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।

उत्तरः बादलों के आने पर कवि ने प्रकृति की निम्नलिखित गतिशील क्रियाओं को चित्रित किया है--

(i) बादलरूपी मेहमान के आने की सूचना देने के लिए हवा का नाचते गाते चलना,

(ii) धूल का घाघरा उठा कर भागना,

(iii) पीपल के द्वारा झुककर बादल रूपी मेहमान का स्वागत करना,

(iv) लताओं का पेड़ की शाखाओं में छुप जाना,

(v) तालाबों का जल से भर जाना,

(vi) आकाश में बिजली का चमकना आदि।

प्रश्न 2: निम्नलिखित शब्द किसके प्रतीक हैं?

 धूल, पेड़, नदी, लता, ताल 

उत्तर: धूलः अतिथि के आगमन से अति उत्साहित चंचल बालिकाएँ

पेड़ः ग्रामीण व्यक्ति जो शहरी दामाद के आने पर गर्दन उचका-उचका कर उसे देखता है 

नदी: गाँव की युवती जो शहरी दामाद को आता देख उसे ठिठक-ठिठक कर देखती है

लता: युवा पत्नी जो बादलरूपी प्रियतम के बहुत दिनों बाद आने से रूठी हुई है और किवाड़ की ओट से उसे देखती है

ताल: मेहमान के स्वागत में उनके चरण धोने के लिए परात में लाया हुआ पानी

प्रश्न 3: लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?

उत्तरः लता ने बादल रूपी मेहमान को पेड़ की ओट से छिपकर देखा।वह अपने प्रियतम बादल के बहुत दिनों बाद आने पर उससे रूठी हुई है परंतु उसे देखे बिना रह भी नहीं पा रही है।

प्रश्न 4: मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर: मेघ के आने से प्रकृति में चारों ओर हवा बहने लगी। पेड़ झूमने-झुकने लगे। धूल भरी आँधी चलने लगी। नदियों की गति भी तेज होने लगी। लताएँ पेड़ की ओट में छिपने लगीं। तालाब जल से भरने लगे। आकाश में काले मेघों के आ जाने के बाद मूसलधार वर्षा होने लगी।

प्रश्न 5: मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है? 

उत्तरः मेघों के लिए 'बन-ठन के' और 'सँवर के' आने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि उनके आने पर गाँववासियों के और विशेष कर किसानों के मन में ठीक वैसा ही उल्लास होता है जैसा कि किसी सजे-सँवरे दामाद के गाँव में आने से होता है। अतः मेघों के लिए सजे-सँवरे शहरी दामाद का उपमान बिल्कुल ठीक है।

प्रश्न 6: कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए। 

उत्तर: 'मेघ आए' कविता में गाँव के रीति-रिवाजों का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया गया है, जो निम्नानुसार हैं --

(i) जब घर में मेहमान आता है तो सभी उसका स्वागत करते हैं,

(ii) बड़े बुजुर्ग उनका हाल-चाल पूछते हैं और उन्हें ऊँचे आसन पर बिठाते हैं,

(iii) घर की औरतें मेहमान के पैर धोने के लिए परात में पानी लेकर आती हैं, आदि।

प्रश्न 7: कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है?

उत्तरः सामान्यतया हर गाँव में कोई पुराना पीपल का पेड़ अवश्य होता है। वह अपनी ऊँचाई, विशालता और शाखाओं के विस्तार से सभी को अपना स्नेह और आश्रय प्रदान करता है। पीपल के पेड़ की आयु सामान्यतः अन्य पेड़ों से अधिक होती है। इन्हीं कारणों से उसे बड़ा बुजुर्ग कहा गया है।


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प्रश्न 1: 'बच्चे काम पर जा रहे हैं' कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।

उत्तर: कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा उन पर विचार करने से हमारे मन-मस्तिष्क में बाल-मजदूरी करते बच्चों की एक करुण एवं दयनीय तस्वीर उभरती है। मन में यह विचार आता है कि यह तो इन बच्चों की खेलने-कूदने की उम्र है, किंतु इन्हें भयंकर जाड़े के समय में और कोहरे में भी आराम नहीं है। उनका बचपन खो गया है। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ठंड के दिनों में सुबह-सुबह उठने के लिए और न चाहते हुए भी काम पर जाने के लिए ये बच्चे मज़बूर हैं।

प्रश्न 2: कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?

उत्तर: कवि के अनुसार इसे प्रश्न की भाँति पूछा जाना चाहिए ताकि इसका कोई हल निकले। अक्सर हम समस्याओं को विवरण की तरह लिखते हैं, अतः कोई हल नहीं निकलता। गंभीर समस्याओं को सवालों की तरह लिखे जाने से उनका जवाब भी मिल जाता है और देर-सबेर समस्याओं का समाधान भी हो जाता है।

प्रश्न 3: सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?

उत्तर: सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चों के वंचित रहने का मुख्य कारण उनकी गरीबी है। दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी इन बच्चों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। अतः सुख-सुविधा और मनोरंजन की दुनिया और उपकरणों से बच्चे हमेशा वंचित रहते हैं।

प्रश्न 4: आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?

उत्तर: शहर में अक्सर बच्चे --

(i) छोटी-बड़ी दुकानों में और कारखानों में काम करते हुए नज़र आते हैं,

(ii) ढाबों में और चाय की दुकानों में बरतन साफ़ करते हुए नज़र आते हैं,

(iii) बड़े-बड़े सरकारी और नीजी दफ्तरों में काम करते हुए नज़र आते हैं,

(iv) सड़कों के किनारे जूते पॉलिश करते हुए दिखाई देते हैं,

(v) घरों में भी अक्सर कम उम्र के बच्चों को ही नौकर के रूप में काम करते हुए देखा जाता है, (vi) अखबार, खिलौने, पानी की बोतलें, खाने की सामग्रियाँ बेचते हुए नज़र आते हैं, आदि।

प्रश्न 5: बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?

उत्तर: बच्चों के हाथों में ही इस दुनिया का भविष्य होता है। यह धरती कल बच्चों की ही है। ऐसी स्थिति में यदि उन्हें ही काम पर जाना पड़े तो मानव सभ्यता और दुनिया का विकास कैसे संभव होगा? ऐसी स्थिति में नुकसान केवल बच्चों का ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति का और इस पूरी धरती का होगा। इसलिए बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान है।

प्रश्न 6: आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?

उत्तर: बच्चों को काम पर इसलिए नहीं भेजा जाना चाहिए क्योंकि काम पर जाना बच्चों का दायित्व नहीं होता। यह तो बड़ों का दायित्व है कि वे काम पर जाएँ और बच्चों का भविष्य सँवारें। बच्चों को तो पढ़ने-लिखने और खेलने-कूदने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। यदि बच्चे ही काम पर जाएँगे तो उनके व्यक्तित्व का विकास कैसे हो सकेगा? पढ़ाई-लिखाई से दूर होने के कारण वे शिक्षित, समझदार अथवा बुद्धिमान नहीं हो पाएँगे। भविष्य में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने में वे सक्षम नहीं हो पाएँगे। यदि बच्चे ही काम पर जाएँगे तो भविष्य के वैज्ञानिक, कलाकार, डॉक्टर, लेखक, कवि, विद्वान आदि आएँगे कहाँ से? इसलिए बच्चों को काम पर भेजा नहीं जाना चाहिए। बच्चों को तो पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने, घूमने-फिरने, नाचने-गाने का मौका मिलना चाहिए, जिससे उनकी आंतरिक और छिपी हुई प्रतिभा का विकास हो और आसानी के साथ भविष्य की कठिनाइयों का सामना करने में वे सक्षम हों।


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प्रश्न 1: 'लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।' -- हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्रियों के प्रति प्रेमचंद के मन की सम्मान की भावना का पता चलता है। लेखक पाठकों को याद दिलाना चाहते हैं कि भारतीय संस्कृति के अनुसार नारी हमेशा आदर और सम्मान की पात्र रही है। परंतु देखा जाता है कि समाज उसे वह श्रद्धा व आदर नहीं देता जिसकी वह अधिकारिणी है।

प्रश्न 2: किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?

उत्तर: किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य का संबंध बहुत मधुर होता है। वे आपस में एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। वे परस्पर भावनात्मक संबंधों में बँधे होते हैं। पशु अपने मालिक या किसान को छोड़कर कहीं और जाना नहीं चाहते और किसान भी अपने पशुओं से बहुत प्यार करते हैं।

प्रश्न 3: 'इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।' --मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।

उत्तर: मोती के उपर्युक्त कथन से यह पता चलता है कि वह जान की कीमत और आशीर्वाद का महत्व जानता है। वह बिलकुल भी स्वार्थी नहीं है। इसलिए खुद बंधन में पड़कर भी अन्य प्राणियों को वह स्वतंत्र करा देता है। भागने का मौका मिलने पर भी वह अपने मित्र हीरा के साथ रह जाता है। मोती के इस कथन से हीरा के प्रति उसका सच्चा स्नेह और सच्ची मित्रता व्यक्त होती है। साथ ही कांजीहौस के अन्य पशुओं के प्रति उसका प्रेम एवं कर्तव्यबोध, उसकी दया की भावना आदि भी उभर कर आती है।


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प्रश्न 1: उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था? 

उत्तर: उस समय के तिब्बत में हथियार संबंधी कोई कानून न रहने के कारण लोग लाठी की तरह खुलेआम पिस्तौल, बंदूक आदि लिए फिरते थे। इसके अलावा डाकू यहाँ पहले यात्रियों को मार डालते थे, फिर देखते थे कि उनके पास पैसे हैं या नहीं। अतः यात्रियों को हर वक्त लूटे या मारे जाने का भय बना रहता था।

प्रश्न 2: लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?

उत्तर: लेखक का घोड़ा अत्यंत सुस्त स्वभाव का था। इसके अलावा वे रास्ता भटक कर एक-डेढ़ मील गलत रास्ते पर भी चले गए थे। इसलिए लङ्कोर के मार्ग में लेखक अपने साथियों से पिछड़ गए।

प्रश्न 3: 'ल्हासा की ओर' यात्रा-वृतांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?

उत्तर: उस समय के तिब्बती समाज में छुआछूत की प्रथा नहीं थी। स्त्रियों में पर्दा-प्रथा भी नहीं थी। वहाँ के निवासी अपरिचित मुसाफिरों तक पर विश्वास करते थे। हथियार संबंधी कोई कानून नहीं था। निर्जन स्थानों में लूटे या मारे जाने का भय बना रहता था। वहाँ के निवासी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। धर्मगुरुओं पर वे अत्यंत आस्था प्रकट करते थे।

प्रश्न 4: सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?

उत्तर: लगभग हर गाँव में सुमति के यजमान और परिचित लोगों के मिलने के आधार पर हम उनके बारे में यह अनुमान लगा सकते हैं कि वे अत्यंत लोकप्रिय व्यक्ति होंगे। उनके व्यवहार में लोगों के प्रति शायद काफी आत्मीयता होगी और एक आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में वे हर कहीं काफी प्रतिष्ठित होंगे।

प्रश्न 5: 'हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।'-- उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेश-भूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।

उत्तर: किसी व्यक्ति के प्रति हमारे व्यवहार का आधार उस व्यक्ति के व्यक्तित्व, गुण-अवगुण और अन्य चारित्रिक एवं व्यवहारगत विशेषता आदि होनी चाहिए, उनकी वेश-भूषा नहीं। सम्मान हमेशा गुणों का होता है। वेश-भूषा, आभूषण, प्रसाधन आदि तो बाहरी आवरण हैं जो किसी के वास्तविक व्यक्तित्व को स्पष्ट नहीं करते।

प्रश्न 6: यात्रा-वृतांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर: तिब्बत पहाड़ी इलाकों से भरा एक सुंदर सा भू-भाग है। हिमालय की सफेदी और हरियाली से पूर्ण चोटियाँ हमेशा यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता अनुपम है। परंतु मुश्किल भौगोलिक बनावट के कारण यहाँ की यात्रा करना बहुत कठिन है।

समतल अथवा मैदानी क्षेत्र, परिकल्पित सड़कें, व्यवस्थित यातायात, ऊँचे और सुंदर भवन आदि के साथ-साथ कल-कारखाने, प्रदूषण, यंत्रवत व्यस्त जीवन, वातावरण में प्राकृतिक सुंदरता का अभाव आदि हमारे शहर को तिब्बत से बिल्कुल अलग करते हैं।


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प्रश्न 1: मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?

उत्तर: मनुष्य ईश्वर को मंदिर-मस्जिद, काबा-काशी-कैलाश, कर्मकांड, योग-वैराग आदि में ढूँढ़ता फिरता है।

प्रश्न 2: कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

उत्तर: कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए तीर्थ यात्रा, पूजा-पाठ, योग-साधना, वैराग (संन्यासी जीवन) आदि सभी प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। कबीर के अनुसार इन में मन लगाना व्यर्थ है और ये सब ऊपरी दिखावे मात्र हैं।

प्रश्न 3: कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस में' क्यों कहा है?

उत्तर: कबीर ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस में' कहकर वास्तव में यह बताना चाहते हैं कि ईश्वर हर जीवित प्राणी की आत्मा में निवास करता है। ईश्वर कण-कण में व्याप्त है और सभी प्राणियों में समाया हुआ है। अतः कबीर के अनुसार जीवित प्राणियों की सेवा ही भगवान की सेवा है। 


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प्रश्न 1: ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?

उत्तर: कवि रसखान को ब्रजभूमि से गहरा प्रेम है। वे इस जन्म में ही नहीं, अगले जन्म में भी ब्रजभूमि का निवासी बने रहना चाहते हैं। वे ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वह उन्हें ब्रज का ग्वाला, नंद की गाय, गोवर्धन पर्वत का पत्थर अथवा कदंब के पेड़ का पक्षी बनाए ताकि उन्हें हमेशा श्रीकृष्ण का साथ मिलता रहे। 

प्रश्न 2: एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार हैं?

उत्तर: कवि रसखान के लिए भगवान श्रीकृष्ण सबसे महत्वपूर्ण हैं। श्रीकृष्ण से जुड़ी एक एक वस्तु उनके लिए विशेष है। इसलिए श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल के लिए वह अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं। यहाँ तक कि उनके पास तीनों लोकों की संपत्ति हो तो वह भी।

प्रश्न 3: आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?

उत्तर: कवि रसखान श्रीकृष्ण के एक बहुत बड़े भक्त हैं। वे किसी भी तरीके से श्रीकृष्ण का साथ पाना चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने कभी जहाँ-जहाँ विचरण किया था, उन-उन स्थानों में वे भी निवास करना अथवा विचरण करना चाहते हैं। इसी तरह श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति-भावना तृप्त होती है। इसलिए वह पशु, पक्षी या पहाड़ का पत्थर बनकर श्रीकृष्ण का साथ पाना अथवा सान्निध्य प्राप्त करना चाहते हैं।


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